Positive India: कोरोना के इलाज का किफायती मॉडल बना रहा केजीएमयू
केजीएमयू में सिर्फ दो डॉक्टर ही मरीजों को देखकर कम कर रहे पीपीई और मास्क की खपत।
लखनऊ[ रूमा सिन्हा]। कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही चिकित्सा संसाधनों, खासकर डॉक्टरों और पैरामेडिक स्टाफ की सुरक्षा के लिए आवश्यक सामग्री की तंगी पर सवाल उठने लगे हैं। बहरहाल, इस बहस में उलझने के बजाय किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ (केजीएमयू) के डॉक्टरों ने ऐसा किफायती मॉडल विकसित किया है जिसमें उपलब्ध संसाधनों का युक्ति पूर्वक इस्तेमाल कर कोरोना पीड़ितों को विश्व स्तरीय चिकित्सा मुहैया कराई जा रही है। इस मॉडल में डॉक्टरों और सहयोगी स्टाफ के संक्रमण के खतरे से पूरी तरह मुक्त रहने का दावा किया जा रहा है।
कोरोना संक्रमण के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए अगले दो सप्ताह काफी महत्वपूर्ण होंगे। मरीज बढ़े तो जाहिर तौर पर संसाधनों की जरूरत बढ़ेगी। ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए केजीएमयू के डॉक्टरों ने खास रणनीति बनाई है। कोरोना पॉजिटिव के इलाज में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट महत्वपूर्ण होती है। एक पीपीई किट की कीमत 1500-2000 रुपये होती है। डॉक्टर जानते हैं कि मरीज बढ़ने की स्थिति में अधिक मास्क और पीपीई की जरूरत पड़ेगी। यद्यपि सीमित संसाधनों में अपेक्षानुसार किट की उपलब्धता संभव नहीं दिखती। यह मानते हुए केजीएमयू में कम पीपीई और मास्क खर्च करने पर जोर दिया जा रहा है। सिर्फ केजीएमयू की ही बात करें तो मरीज बढ़ने पर इसे एक लाख पीपीई और डेढ़ लाख मास्क की जरूरत पड़ेगी। सिर्फ पीपीई और मास्क ही नहीं, मरीजों को देखने के दौरान डॉक्टरों को संक्रमण से बचाने के लिए फीवर क्लीनिक भी अलग ढंग से संचालित की जा रही है, जो देश के दूसरे चिकित्सा संस्थानों को राह दिखाने का काम करेगी।
जरा सी चूक पड़ती है भारी
डॉ हिमांशु बताते हैं कि कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में जरा सी चूक होने पर डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ संक्रमित हो सकता है। इसलिए, हम सतर्कता और पीपीई के कम खर्च के साथ आगे बढ़ रहे हैं। दो दिन पहले ही पीपीई और मास्क की आपूर्ति की गई है। अगले दो दिनों में एक लॉट और आने की उम्मीद है।
मरकज की घटना से बढ़ी चिंता
डॉ. हिमांशु निजामुद्दीन मरकज की घटना के बाद चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि अचानक मरीजों की संख्या में इजाफा होने की आशंका है। ऐसे में यदि मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ेगी तो पीपीई और मास्क की खपत तेजी से बढ़ सकती है। कोरोना वार्ड से जुड़े सभी डॉक्टर्स, मेडिकल स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी सभी को पीपीई और मास्क दिया जा रहा है।
इस तरह कम कर रहे खपत
केजीएमयू के इंफेक्शियस डिजीज हॉस्पिटल (आइडीएच) के इंचार्ज डॉ. डी हिमांशु बताते हैं कि पीपीई और मास्क को एक बार एक ही मरीज को देखने में प्रयोग किया जा सकता है। अब तक इसके चलते हमारे बहुत से पीपीई इस्तेमाल हो चुके हैं। अब हमने यह तय किया है कि मरीजों के पास दो ही डॉक्टर जाएंगे। बाकी टीम दूर रहेगी। यही नहीं, ओपीडी में फीवर क्लीनिक में हमने केबिन व्यवस्था शुरू की है। वहां जो रजिस्ट्रेशन काउंटर था, उसको कवर करके डॉक्टर उसमें बैठेंगे और मरीज को अंदर से देखेंगे। जांच की जरूरत पड़ी तो बाहर आकर फाइबर शीट लगाकर मरीज की जांच करेंगे। यही व्यवस्था ट्रॉमा सेंटर, आइडीएच बोर्ड व गायनी वार्ड में की जा रही है।