मुन्ना बजरंगी की हत्या की न्यायिक जांच का आदेश, जेलर व डिप्टी जेलर निलंबित
माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की आज बागपत जेल में हत्या मामले में न्यायिक जांच के आदेश के साथ ही बागपत के जेलर व डिप्टी जेलर के साथ चार जेलकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
लखनऊ (जेएनएन)। गाजीपुर से भाजपा विधायक रहे कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में झांसी जेल में बंद माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की आज बागपत जेल में हत्या कर दी गई। जेल में हत्या की सूचना पर शासन प्रशासन सक्रिय हो गया। इस मामले में न्यायिक जांच के आदेश के साथ ही बागपत के जेलर व डिप्टी जेलर के साथ चार जेलकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या की घटना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती के बाद जेलर सहित चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। शासन ने बागपत जिला कारागार के जेलर उदय प्रताप सिंह, डिप्टी जेलर शिवाजी यादव, हेड वार्डर अरजिंदर सिंह व वार्डर माधव कुमार को निलंबित कर दिया है। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि बागपत में मुन्ना की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। एडीएम को पूरी घटना की मजिस्ट्रेटी जांच सौंपी गई है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को घटना की सूचना दी गई है। बताया गया कि जेल में न्यायिक अभिरक्षा में मुन्ना बजरंगी की हत्या की न्यायिक जांच भी होगी।
एडीजी जेल चंद्र प्रकाश ने कहा कि सुबह बागपत जेल के अंदर झगड़े के दौरान मुन्ना बजरंगी को गोली मारी गई है। गोली सुनील राठी ने मारी है। इसके बाद हथियार को गटर में फेंक दिया। एडीजी जेल ने कहा कि घटना जेल की सुरक्षा में गंभीर चूक है। पूरी घटना की न्यायिक जांच होगी। वहीं पोस्टमार्टम डॉक्टरों के पैनल के साथ वीडियो रिकॉर्डिंग में होगा। उन्होंने कहा कि मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सूचित कर दिया गया है। पोस्टमॉर्टम एनएचआरसी के दिशा-निर्देश के आधार पर भी किया जाएगा। पूरे मामले की जांच के लिए टीमें पहुंच चुकी हैं। एसएसपी और डीएम मौके पर हैं।
झांसी जेल से पेशी पर कल रात आए मुन्ना बजरंगी की जेल के अंदर हत्या के मामले में गैंगस्टर सुनील राठी और उसके शूटर पर शक है। सुनील राठी भी बागपत जेल में बंद है। मुन्ना बजरंगी की आज बागपत कोर्ट में बसपा के पूर्व विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के मामले में पेशी थी। कल ही झांसी से बागपत लाया गया था। प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी को मई में झांसी जेल भेजा गया था। जेल में माफिया डॉन की हत्या से अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है।
मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है। उसका जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे, मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों को कुचल दिया। उसने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। किशोर अवस्था तक आते आते उसे कई ऐसे शौक लग गए जो उसे जुर्म की दुनिया में ले जाने के लिए काफी थे। मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था। फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। मात्र 17 वर्ष की उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। मुन्ना ने इसके बाद फिर कभी पलटकर नहीं देखा. वह जरायम के दलदल में धंसता चला गया।
मुन्ना अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था। इसी दौरान उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल हो गया। मुन्ना उसके लिए काम करने लगा था। इसी दौरान 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी. उसके मुंह खून लग चुका था। उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दम दिखाया। उसके बाद उसने कई लोगों की जान ली।
पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। यह गैंग मऊ से संचालित हो रहा था, लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था। मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा और 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद इस गैंग की ताकत बहुत बढ़ गई। मुन्ना सीधे तौर पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था। वह लगातार मुख्तार अंसारी के निर्देशन में काम कर रहा था।