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जागरण संवादीः संवाद खत्म होते ही शुरू हो जाती है हिंसा : विश्वनाथ तिवारी

साहित्य अकादमी (नई दिल्ली) के अध्यक्ष विश्वनाथ तिवारी ने कहा कि संवादी एक ऐसा शब्द है जिसके बिना यह सृष्टि की ही कल्पना नहीं की जा सकती है। धरती के सभी जीव अपने अपने ढ़ंग से संवाद करते हैं।

By Ashish MishraEdited By: Published: Fri, 03 Nov 2017 03:55 PM (IST)Updated: Fri, 03 Nov 2017 06:19 PM (IST)
जागरण संवादीः संवाद खत्म होते ही शुरू हो जाती है हिंसा : विश्वनाथ तिवारी

लखनऊ (जेएनएन)। अभिव्यक्ति के उत्सव दैनिक जागरण संवादी के चौथे संस्करण की शुरुआत आज गोमतीनगर स्थित भारतेंदु नाट्य अकादमी में हुई।

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'संवादी' के उद्घाटन समारोह में शब्दों के निनाद ने मानों सार्थक संवाद की जमीन तैयार कर दी। मुख्य वक्ता और साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डा. विश्वनाथ तिवारी ने शब्दों की महत्ता को अभिव्यक्ति और संवाद से जोड़ते हुए उसके दार्शनिक पक्ष को सामने रखा कि 'शब्द ही ब्रह्म है' तो मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने इसे देश के स्वाभिमान से जोड़ दिया। दैनिक जागरण के प्रधान संपादक संजय गुप्त ने इसे और विस्तार दिया-'हिंदी एक अनुभूति है। पूरे भारत में हिंदी और भारतीयता एक जैसी हो चुकी है। 

डा. विश्वनाथ तिवारी ने कहा कि बारहवीं शताब्दी में आचार्य दंडी ने कहा था कि शब्द की ज्योति से ही यह सृष्टि आलोकित है। संवाद खत्म होने के बाद हिंसा शुरू हो जाती है। कलाओं को हिंसा के विरोध में खड़ा किया जा सकता है। समाज को यदि सौंदर्यबोध से युक्त करना है तो हमें कलाओं के पास जाना होगा। 

मुख्य अतिथि डा. दिनेश शर्मा ने अपने संबोधन में उनकी बातों को ही सहज विस्तार दिया और कहा कि पति का पत्नी के साथ संवाद न हो तो तलाक हो जाता है। नेता का जनता से संवाद न हो तो उसकी पराजय हो जाती है। उन्होंने कहा कि विद्वत पुरुषों के मुंह से निकले हुए शब्द सकारात्मक होते हैैं। 

उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि देश का स्वाभिमान भाषा के रूप में खड़ा होता है। यहां का चिंतन देश के लिए महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगले आयोजन से सरकार इसमें हर संभव सहयोग देगी। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि संवाद अगर पति पत्नी के बीच न हो तो उनके बीच तलाक की नौबत आ जाती है। इसी तरह से नेता और जनता के बीच न हो तो नेता की हार होती है। इसलिये हमें संवाद बनाये रखना चाहिये।

साहित्य अकादमी (नई दिल्ली) के अध्यक्ष विश्वनाथ तिवारी ने कहा कि संवादी एक ऐसा शब्द है जिसके बिना यह सृष्टि की ही कल्पना नहीं की जा सकती है। धरती के सभी जीव अपने अपने ढ़ंग से संवाद करते हैं। तिवारी जी ने कहा कि संवाद के खत्म होते ही हिंसा शुरू हो जाती है इसलिये हिंसा से बचना है तो आपस में संवाद अवश्य करना चाहिये।

दैनिक जागरण के प्रधान संपादक संजय गुप्त ने कहा कि संवादी कार्यक्रम की रूपरेखा राजस्थान साहित्य समारोह से ली गई है। जिसके अनुसार ही उत्तर प्रदेश में जागरण संवादी की परिकल्पना की गई है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से इस जैसे कार्यक्रमों के लिये बड़ी जगह उपलब्ध कराने की गुजारिश भी की। 

भारतेंदु नाट्य अकादमी के सभागार में समारोह के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डा. विश्वनाथ तिवारी ने अभिव्यक्ति और संवाद को शब्दावली के पवित्रतम शब्दों की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि संवाद के बिना सृष्टि संभव नहीं है। सारी सृष्टि ही अभिव्यक्ति है और इसीलिए पुराने विचारकों ने इसे 'देवताओं की कविता' कहा है। उन्होंने  कहा कि मनुष्य ने अनेक कलाओं के माध्यम से अभिव्यक्ति दी है। शरीर सिर्फ तत्वों का संयोजन नहीं है, कुछ खास बेताबियों होती हैैं जो कलाओं में अभिव्यक्त होती हैैं। 

इससे पहले दैनिक जागरण के प्रधान संपादक संजय गुप्त ने राजधानी लखनऊ में कार्यक्रम के आयोजन के कारणों पर प्रकाश डाला और प्रदेश सरकार से सहयोग की अपेक्षा की। दैनिक जागरण के प्रधान संपादक संजय गुप्त ने कहा कि संवादी कार्यक्रम की रूपरेखा राजस्थान साहित्य समारोह से ली गई है। जिसके अनुसार ही उत्तर प्रदेश में जागरण संवादी की परिकल्पना की गई है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से इस जैसे कार्यक्रमों के लिये बड़ी जगह उपलब्ध कराने की गुजारिश भी की। अतिथियों का स्वागत राज्य संपादक, उत्तर प्रदेश आशुतोष शुक्ल ने किया। 

इसके पहले चौथे संस्करण का उद्घाटन उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा के साथ साहित्य अकादमी (नई दिल्ली) के अध्यक्ष विश्वनाथ तिवारी व दैनिक जागरण के प्रधान संपादक संजय गुप्त ने किया। उद्घाटन सत्र में ही दैनिक जागरण हिंदी बेस्टसेलर की दूसरी तिमाही की सूची भी जारी की गई। इसमें कथा, कथेतर व अनुवाद श्रेणी की टॉप टेन सूची शामिल की गई है।  

इसके पहले संपादक उत्तर प्रदेश अाशुतोष शुक्ला ने आये हुये सभी मेहमानों का परिचय कराने के साथ ही उनका स्वागत किया।


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