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RSS के वरिष्ठ पदाधिकारी जे नंदकुमार ने कहा राम जन्मभूमि सिर्फ संघ की नहीं भारत की आवश्यकता

राम जन्मभूमि सिर्फ संघ की नहीं भारत की आवश्यकता है। राम जन्म भूमि की मुक्ति भारत की जरूरत है। संघ में सारी समस्याओं पर काम हो रहा है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 01 Dec 2018 01:32 PM (IST)Updated: Sat, 01 Dec 2018 01:33 PM (IST)
RSS के वरिष्ठ पदाधिकारी जे नंदकुमार ने कहा राम जन्मभूमि सिर्फ संघ की नहीं भारत की आवश्यकता
RSS के वरिष्ठ पदाधिकारी जे नंदकुमार ने कहा राम जन्मभूमि सिर्फ संघ की नहीं भारत की आवश्यकता

लखनऊ, जेएनएन। अयोध्या में रामजन्मभूमि से अपने जुड़ाव को राष्ट्रीय स्वयं सेवक एक बड़ी जरूरत के रूप में देखता है। लखनऊ में आज वैचारिक कुंभ दैनिक जागरण के 'संवादी' में राष्ट्रीय स्वयंसेवक के वरिष्ठ पदाधिकारी जे नंदकुमार ने राम जन्मभूमि को भारत की आवश्यकता बताया। वह दैनिक जागरण लखनऊ के स्थानीय संपादक सद्गुरुशरण अवस्थी से साथ वार्ता कर रहे थे।

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आज संवादी का पहला सत्र ''समय के साथ संघ का शुभारंभ" में जे नंद कुमार ने सद्गुरुशरण अवस्थी से संघ के सफर के बारे में विस्तार से वार्ता करने के साथ ही संघ के कार्यकलाप पर प्रकाश डाला।

प्रश्न : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ 93 साल का हुआ। कैसा रहा सफर।

- संघ समय की आवश्यकता थी। संघ की स्थापना के समय को समझने के लिए आपको पता होगा। संघ में बदलाव आया है। मगर वह भी समय की मांग थी। 1897 में विवेकानंद में विश्व भ्रमण कर के सनातन धर्म की स्थापना की। कोलम्बो से वे चेन्नई आये। वह युवाओं का कार्यक्रम था। उन्होंने तमाम बातें की। आप लोग जानते होंगे। आने वाले पचास साल में पूजा भारत माता की होनी चाहिये। उन्होंने बताया कि अंग्रेज क्या कर रहे हैं। जिससे प्राभिवित होकर युवा ने कहा कि आपने भारत की स्वतंत्रता में नेतृत्व क्यों नहीं लिया। उस युवा को शेर की तरह देखा। उन्होंने कहा कि मैं आउंगा स्वतंत्रता आंदोलन में आउंगा। मैं कल से स्वतन्त्रता दूंगा।

प्रश्न: क्या आप इस स्वतंत्रता में अपने को कायम रखने में कामयाब होंगे।

- आपको स्वतंत्रता को कायम रखने के लिए भारतिय संस्कृति और भारतीयता को कायम रखना होगा। आप इसको कायम रख पाएंगे। जिसके जवाब में 1925 संघ की स्थापना डॉ हेडगेवार जी ने की थी। संघ जैसा संगठन पूरी दुनिया मे नहीं है। संघ जैसी कार्यपाधित नहीं है।

प्रश्न : स्वतंत्रता आंदोलन में संघ की भूमिका क्या थी।

- भारत के समाज को परम वैभव तक के जाने के लिए काम किया। संघ का लक्षय उस दौरान तक आजादी दिलाना था। बहुत सारे स्वयं सेवक जेल गए थे। डॉ हेडगेवार भी असहयोग आंदोलन में जेल गए थे। ऐसे ही बहुत से संघ के नेता और जेल गए। हमने अपनी पहचान भारतीय रखी। मगर हमने ऐसा नहीं किया। हमने अपनी पहचान बदली नहीं। हमने भगवा टोपी और झंडा नहीं लिया। इसलिए हमारे पास कोई सुबूत नहीं हैं। बहुत से क्रांतिकारी काम करने पर संघ के लोग मारे गए। 1936 में हमने पहली बार तिरंगा फहराया था। वह तिरंगा इतना ऊंचा था। वह फंस गया था। तब किशन चंद राजपूत ने अपनी जान हथेली पर रख कर उसको ठीक किया। उनका सम्मान किया गया। उनको लोग नेहरू जी के पास ले गए। उनको अभिन्नदन किया जाना था। मगर कांग्रेस के लोगों ने नेहरू जी को भड़काया। इसी कारण किशन चंद राजपूत का अभिन्नदन नहीं किया गया। डॉ हेडगेवार ने यह बात सुनी तो उन्होंने राजपूत की तारीफ की।

प्रश्न: देश की समस्याओं में राम मंदिर को ही बड़ा क्यों मानते हैं।

- राम जन्मभूमि सिर्फ संघ की नहीं भारत की आवश्यकता है। राम जन्म भूमि की मुक्ति भारत की जरूरत है। संघ में सारी समस्याओं पर काम हो रहा है। हमने आबादी रोकने के लिए एक राष्ट्रीय नीति लाने का प्रचार किया। हमारी योजनाओं का प्रचार नहीं होता है। पर्यावरण में हमने 20 राष्ट्रीय कार्यक्रम में भाग लिया। हम महिला सम्बन्धित विषयों पर भी 1944 से काम कर रहे हैं। जिसमें भारतीय दृष्टि पर काम किया है। संघ की शाखाएं 2010 से 2018 तक 60 फीसद शाखाएं बढ़ी हैं। कुछ लोग कहते हैं कि 2014 में हमारी शाखा बढ़ी हैं। लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हम योजना बनाकर चल रहे हैं। 

प्रश्न : डॉ मोहन भागवत के समय में गणवेश सहित बहुत सारे बदलाव क्यों आ आये।

- पहले संगठन को मजबूत करने की जरूरत थी। आज लोग बहुत ज्यादा लोग जानते थे। 1925 में अगर जागरण संवादी होता तो आप हमको नहीं बुलाते क्योंकि हम कहीं नहीं थे। मगर आज बहुत बढ़ गया। इसलिए डॉ भागवत आक्रामक बदलाव कर रहे हैं। मुझे डॉ भागवत व डॉ हेडगेवार की भाषण में खास फर्क नहीं है। हम ज्यादा प्रचार आज नहीं करते हैं। हम 12 बार गणवेश बदल चुके हैं। बहुत परिवर्तन हुए हैं।

प्रश्न : संघ की स्थापना के इतने साल बाद बावजूद हिन्दू समाज मे बिखराव हैं। वनवासी समाज संकट में हैं। कोई चूक हुई।

- मुझे ऐसा नहीं लगता है। भारत के हिंदू समाज में जाति का संघर्ष पहले भी था। बहुत पहले नहीं रहा। ब्रिटिश लोगों के आने के बाद यह श्रेणी बनाई। उन्होंने तोड़ा। जाति अभी अभी है। संघ ने एक बड़ी लकीर खींची। हमने बताया हम सब हिंदू हैं। इसी आधार पर आगे जाने की जरूरत है। सभी हिंदू हैं। जो भारत मे है। कुछ हिंदू होने का गर्व करते हैं। कुछ हिंदू खुद को मानते नहीं है। तीसरे हैं जो राजनीति के आधार पर हिंदु विरोधी हैं। चौथे हैं जो खुद को हिंदू हैं जानते ही नहीं हैं। कुछ भारत को तोडऩे वाले जातिवाद अंग्रेजों की तरह बढ़ा रहे हैं। इसको मीडिया में हवा दी जा रही हैं। हजार लोगों का प्रदर्शन हाइप पता है। मगर लाखों लोगों की बात दबी रह जाती है।

प्रश्न : संघ के गेट महिला के लिए कब खुलेंगे।

- संघ की स्थापना शाखा केंद्रित काम है। मानसिक और बौद्धिक एक्सरसाइज से पुरुषों का बदलाव करना था। जिस तरह से पुरुषों की क्रिकेट टीम में महिला नहीं खेल सकती है वैसे ही हमारी भी कहीं भी अलग-अलग शाखाएं नहीं होती हैं। 


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