Move to Jagran APP

गांव में थी आतंकी मुस्तकीम की दहशत, वहाबी समुदाय से जुड़ने पर गांव वालों ने तोड़ ल‍िया था नाता

मुस्तकीम के आतंक का आलम यह था कि घर के सामने स्थित सात दशक पुराने मस्जिद का जीर्णोद्धार भी कराने की हिम्मत ग्रामीणों में नहीं थी। अक्खड़ी स्वभाव के मुस्तकीन की गांव में किसी से नहीं बनती थी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 07:40 PM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 06:07 AM (IST)
गांव में थी आतंकी मुस्तकीम की दहशत, वहाबी समुदाय से जुड़ने पर गांव वालों ने तोड़ ल‍िया था नाता
गांव में थी आतंकी मुस्तकीम की दहशत, वहाबी समुदाय से जुड़ने पर गांव वालों ने तोड़ ल‍िया था नाता

बलरामपुर, जेएनएन। आतंकी मुस्तकीम उर्फ अबू यूसुफ ने अपने घर मे ही नहीं बल्कि गांव के लोगों में भी दहशत बनाकर रखी थी। यही कारण था कि उसके खिलाफ कोई आवाज उठाने की हिम्मत नहीं करता था। गांव में अपने परिवार व दो अन्य घरों को छोड़कर किसी अन्य के घर उसका आना जाना नहीं था। बढ़या भैसाहीं ग्राम सभा की आबादी करीब साढ़े चार हजार है। जिनमें तीन सौ से अधिक हिंदू भी निवास करते हैं। मुस्तकीम के आतंक का आलम यह था कि घर के सामने स्थित सात दशक पुराने मस्जिद का जीर्णोद्धार भी कराने की हिम्मत ग्रामीणों में नहीं थी। मस्जिद के मोअज्जिज बताते हैं कि गांव के लोगों ने जब भी मरम्मत के लिए हौसला जुटाना चाहा मुस्तकीम हमेशा विरोधी बनकर खड़ा हो जाता था।

loksabha election banner

पूर्व प्रधान पप्पू खां बताते हैं कि मुस्तकीम का परिवार पहले सुन्नी समुदाय से ताल्लुक रखता था। वर्ष 2011 में तैयबपुर गांव में एक तुर्क परिवार की लड़की से निकाह करने के बाद वहाबी समुदाय से जुड़ गया। इस समुदाय से जुड़ने के बाद ग्रामीणों ने कफील खां के परिवार से नाता खत्म कर दिया। गांव में शादी या अन्य कार्यक्रमों में उस परिवार को आमंत्रित नहीं किया जाता था। यही कारण है कि गांव में इसके परिवार के साथ दो अन्य परिवार ही नाता रखते थे। मस्जिद की मरम्मत रोकने के पीछे भी मुस्तकीम की वहाबी व आतंकी सोच ही बताई जा रही है। ग्रामीण बताते हैं कि सउदी से लौटने के बाद ही उसकी मानसिकता बदली। बदलते-बदलते यहां तक पहुंच गई कि उसने विध्वंसक रूपरेखा तैयार कर डाली। उसके इस कृत्य का समर्थन गांव में करने वाला कोई नहीं है।

कल तक जो थे साथ...आज हो गए बेगाने

आतंकी मुस्तकीम उर्फ अबू यूसुफ की गिरफ्तारी के बाद उसका परिवार सदमे में है। बढ़या भैसाही गांव में सन्नाटा पसरा है। बेटे के कृत्य से आहत पिता मानसिक तनाव में हैं। वह रह-रहकर अपने सिर के बाल नोच कर बेटे को कोस रहे हैं। पत्नी आयशा चारों बच्चों के साथ मायके चली गई है। मां कहकशां भी गांव वालों से नजरे बचाकर घर में ही रहती है। बहनों ने भी ग्रामीणों के ताने से बचने के लिए खुद को घर में कैद कर लिया है। सगे-संबंधी भी इस घटना के बाद परिवार के संपर्क में आने से बच रहे हैं। सूत्र की मानें तो अबू यूसुफ उर्फ मुस्तकीम से रोजाना गांव के अगल-बगल के मनिहार मिलने आते थे। घटना के बाद से ही सभी ने मुंह फेर लिया।

मनिहारों से मुस्तकीन का था गहरा नाता

बढ़या भैसाही गांव निवासी अबू यूसुफ उर्फ मुस्तकीम का उतरौला कोतवाली क्षेत्र के कई गांवों के मनिहार उससे मिलने आते थे। अक्खड़ी स्वभाव के मुस्तकीन की गांव में किसी से नहीं बनती थी। वह दो किलोमीटर दूर हासिमपारा बाजार में श्रृंगार की दुकान करता था। जो दस से 15 दिन में एक दिन खोलता था। वह बाइक से प्रतिदिन निकल लेता था। कहां जाता था और किससे मिलता था। यह किसी को पता नहीं होता था।

परिवारजन से मुंह मोड़ा

मुस्तकीम के पिता कफील खां नलकूप मिस्त्री है। जिनकी क्षेत्र व आसपास के गांवों में काफी इज्जत है। घटना के बाद से उनके पिता से जैसे सभी ने नाता ही तोड़ लिया। वह भी अपने बेटे के कृत्य से काफी आहत हैं। पुलिस का लफड़े में न पड़ने की बात कहकर लोग उनके घरों की तरफ जाना पसंद नहीं कर रहा है। वह भी किसी से बात नहीं कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.