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अब इंटरमीडिएट पास विद्यार्थी भी कर सकेंगे B.Ed की पढ़ाई, NCTE ने दिखाई हरी झंडी

उत्तर प्रदेश में अब इंटरमीडिएट पास विद्यार्थी भी बीएड की पढ़ाई कर सकेंगे। एनसीटीई ने चार वर्षीय एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने की अनुमति दे दी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 06:40 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2019 06:47 PM (IST)
अब इंटरमीडिएट पास विद्यार्थी भी कर सकेंगे B.Ed की पढ़ाई, NCTE ने दिखाई हरी झंडी
अब इंटरमीडिएट पास विद्यार्थी भी कर सकेंगे B.Ed की पढ़ाई, NCTE ने दिखाई हरी झंडी

लखनऊ [आशीष त्रिवेदी]। उत्तर प्रदेश में अब इंटरमीडिएट पास विद्यार्थी भी बीएड की पढ़ाई कर सकेंगे। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने चार वर्षीय एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने की अनुमति दे दी है। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से सभी विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों को यह नया कोर्स शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। अभी तक विद्यार्थी स्नातक के बाद दो वर्षीय बीएड कोर्स की पढ़ाई करता है। ऐसे में उसे इंटर करने के पांच साल बाद बीएड की डिग्री मिल पाती है। अब उसे सिर्फ चार साल में ही यह डिग्री मिल सकेगी।

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यह चार वर्षीय एकीकृत अध्यापक शिक्षा कोर्स कला व विज्ञान दोनों वर्गों के विद्यार्थी पढ़ सकेंगे। ऐसे संस्थान में उन्हीं संस्थानों को जहां पर बीए व बीएससी के कोर्स चल रहे हैं, वही यह कोर्स चला सकेंगे। क्योंकि वहां पर इस कोर्स को चलाने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद होंगे। उच्च शिक्षा विभाग ने कोर्स चलाने के इच्छुक सभी संस्थानों को 31 जुलाई तक एनसीटीई की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करने के निर्देश दिए गए हैं।

आवेदन के बाद एनसीटीई मानकों की जांच कर कोर्स शुरू करने की अनुमति दे देगा। एनसीटीई की मंजूरी मिलते ही डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों को यह कोर्स शुरू करने के निर्देश दिए। फिलहाल सूबे में चार वर्षीय एकीकृत अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने की मांग लंबे समय से हो रही थी। उप्र स्वावित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी का कहते हैं कि सबसे बड़ा फायदा इस चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स का यह होगा कि विद्यार्थियों का पूरा एक वर्ष बचेगा।

स्नातक के बाद दो वर्षीय बीएड करने में पांच वर्ष लग जाते हैं। अब चार साल के इस कोर्स में उन्हें स्नातक के साथ-साथ बीएड के समकक्ष की डिग्री भी मिलेगी। फिलहाल छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय सहित लगभग सभी विश्वविद्यालयों ने अपने संबद्ध कॉलेजों को नए कोर्स की जानकारी दे दी है।


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