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WOW! अब 'एग्रीसी' पर एक क्लिक से मिलेगी मछलियों की सभी Species की जानकारी

एक्वेटिक जेनेटिक रिसोर्स इनफार्मेशन सिस्टम ऑफ इंडिया (एग्रीसी) ऑनलाइन डेटाबेस से मछलियों की स भी प्रजातियों की जानकारी मिलेगी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 01 Mar 2019 07:22 PM (IST)Updated: Fri, 01 Mar 2019 07:22 PM (IST)
WOW! अब 'एग्रीसी' पर एक  क्लिक से मिलेगी मछलियों की सभी Species की जानकारी
WOW! अब 'एग्रीसी' पर एक क्लिक से मिलेगी मछलियों की सभी Species की जानकारी

लखनऊ, जेएनएन। यदि आप देश में मौजूद मछलियों से जुड़ी कोई जानकारी चाहते हैं तो बस एक क्लिक से प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के उपमहानिदेशक मात्स्यिकी डॉ. जेके जेना ने एक्वेटिक जेनेटिक रिसोर्स इनफार्मेशन सिस्टम ऑफ इंडिया (एग्रीसी) नामक ऑनलाइन डेटाबेस को लॉन्च किया।

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नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसर्च (एनबीएफजीआर) में आइसीएआर एवं नेटवर्क ऑफ एक्वाकल्चर्स सेंटर्स इन एशिया पेसफिक (नाका) बैंकॉक, थाईलैंड के सहयोग से आयोजित अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय विशेषज्ञ परामर्शी सम्मलेन म ें डेटाबेस को लांच किया गया। डॉ. जेना ने बताया कि किसी भी स्पीसीज की फिश से जुड़ा समस्त ब्योरा महज एक क्लिक पर मिल जाएगा। इससे खासतौर पर शोधार्थियों को विशेष मदद मिलेगी।

जेनेटिक रिसर्च ने बढ़ाई म‍छलियों की संख्या  

सम्मेलन में आए विशेषज्ञों ने कहा कि मछली उत्पादन में आज जो जबरदस्त वृद्धि हुई है उसका श्रेय गुणवत्तापरक मत्स्य बीजों को जाता है। जेनेटिक अनुसंधान उपलब्धियों ने उत्पादन बढ़ाने में मदद की है। राजीव गांधी सेंटर फॉर एक्वाकल्चर से आये वैज्ञानिक डॉ. अनूप मंडल ने बताया कि भारत के जलजीव पालन तंत्र में झींगा प्रजातियां प्रमुख रूप से निर्यात के लिए व कार्प प्रजातियां घरेलू उपभोग के लिए बड़े पैमाने पर संवर्धित की जाती हैं। इनमें प्रयुक्त बीजों की गुणवत्ता सुधार कर देश की अर्थव्यवस्था में पर्याप्त वृद्धि की जा सकती है।

कृषि एवं खाद्य संगठन से आए वरिष्ठ जलजीव पालन अधिकारी डॉ. ग्राहम मायर बताते हैं  कि वैश्विक जलजीव उत्पादन का उपभोग 1.2 फीसद वार्षिक की दर से बढ़ रहा है जबकि इसका उत्पादन वर्ष 2030 तक 201 मिलियन टन तक होने का अनुमान है। 


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