उद्योगों की नहीं सुधर रही सेहत, हर साल दस से पंद्रह फीसद औद्योगिक इकाइयां हो रही बीमार
आइआइए के अध्यक्ष सुनील वैश्य ने बताया कि उनके संगठन का आकलन है कि उत्तर प्रदेश में 10 से 15 फीसद एमएसएमई इकाइयां हर साल बीमार हो रही हैं।
लखनऊ, जेएनएन। राज्य सरकार ने उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए तमाम योजनाएं जरूर शुरू की, लेकिन पिछले दो सालों में स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। हाल यह है कि हर साल दस से पंद्रह फीसद औद्योगिक इकाइयां बीमार हो रही हैैं। सूक्ष्म, लघु व मध्यम दर्जे के उद्योगों (एमएसएमई) के प्रतिनिधि संगठन इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आइआइए) ने कहा है कि व्यवस्थागत खामियों के चलते उद्योगों का हाल बुरा है। सरकारी तंत्र की उदासीनता और उपेक्षा के चलते प्रदेश की औद्योगिक इकाइयां अन्य राज्यों का रुख करने के लिए मजबूर हैं।
आइआइए के अध्यक्ष सुनील वैश्य ने बताया कि उनके संगठन का आकलन है कि प्रदेश में 10 से 15 फीसद एमएसएमई इकाइयां हर साल बीमार हो रही हैं। योगी सरकार ने बीते दो वर्षों के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में निवेश जुटाने के लिए 13 नीतियों की घोषणा की, लेकिन उनके क्रियान्वयन की निगरानी के लिए कोई कारगर तंत्र नहीं बना। इन नीतियों के तहत कई शासनादेश अब तक जारी नहीं हुए। मिसाल के तौर पर एमएसएमई प्रोत्साहन नीति 2017 में प्रावधान है कि सूक्ष्म व लघु उद्योगों को दो करोड़ रुपये तक के कोलेटरल फ्री लोन के लिए बैंकों द्वारा क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल इंटरप्राइजेज की खातिर ली जाने वाली एकमुश्त गारंटी फीस और वार्षिक सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिए राज्य सरकार बजट में व्यवस्था करेगी। इस घोषणा का क्रियान्वयन आज तक नहीं हो सका है।
सरकारी विभागों और उपक्रमों द्वारा एमएसएमई इकाइयों से 20 प्रतिशत खरीदारी अनिवार्य रूप से करने के आदेश का पालन भी नहीं हो रहा है। सरकारी विभागों को एमएसएमई इकाइयों से खरीदे गए सामान का भुगतान 45 दिनों में करने के शासनादेश के बावजूद इसमें महीनों और वर्षों लग रहे हैं। बिजली विभाग पर तो कई इकाइयों का करोड़ों रुपये बकाया है। समय से भुगतान न होने के कारण इकाइयां पहले बीमार और फिर बंद हो रही हैैं। वहीं अविश्वास के चलते कानपुर का टैनरी और प्लास्टिक उद्योग भी बंदी के शिकार हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि बीती 24 जून को उन्होंने केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर एमएसएमई सेक्टर की समस्याओं की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया।
यूपीसीडा का बुरा हाल
उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के औद्योगिक क्षेत्रों की हालत बहुत खराब हैै। ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर औद्योगिक क्षेत्र की बदहाली की ओर तो आइआइए मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव का ध्यान आकर्षित करा चुकी है। अपने घाटे को पूरा करने के लिए यूपीसीडा मनमाने तरीके से मेंटेनेंस चार्ज व अन्य शुल्क बढ़ा रहा है। पैसा जमा करने के बावजूद उद्यमियों को यूपीसीडा से प्लॉट नहीं मिल पा रहे हैं। मथुरा में यूपीएसआइडीसी की डेढ़ सौ एकड़ जमीन पर कब्जा है। यही हाल उन्नाव में ट्रांस गंगा सिटी परियोजना और कानपुर के मंदना औद्योगिक क्षेत्र का है।
उद्योग बंधु की बैठकें बेनतीजा
आइआइए के महासचिव मनमोहन अग्रवाल ने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय उद्योग बंधु कीे बैठकें बेनतीजा साबित हो रही हैं। अपनी मांगों और समस्याओं को लेकर आइआइए की ओर से योगी सरकार को अब तक दो दर्जन पत्र भेजे जा चुके हैं लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा है।
ये मांगें भी अनसुनी
- रूफ टॉप सोलर पावर प्लांट के लिए उद्योगों को भी मिले नेट मीटङ्क्षरग की सुविधा।
- केंद्र सरकार की तरह प्रदेश में भी सरकारी विभागों और उपक्रमों के लिए एमएसएमई से 25 फीसद खरीदारी अनिवार्य की जाए।
- बीमार एमएसएमई इकाइयों के पुनर्जीवन और पुनर्वासन के लिए एग्जिट नीति बने।
समस्याओं का निराकरण कराएंगे : महाना
औद्योगिक विकास एवं एमएसएमई मंत्री सतीश महाना का कहना है कि राज्य सरकार उद्योगों को बढ़ावा देने के हरसंभव प्रयास कर रही है और इसके सार्थक परिणाम भी मिले हैं। यदि उद्यमियों की कुछ समस्याएं हैं तो वे मुझे बतायें। मैं वास्तविक समस्याओं का निराकरण कराऊंगा।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप