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उद्योग जगत की चिंताः बढ़ते अपराध से कहीं धरे न रह जाएं यूपी में निवेश के मंसूबे

लगातार बिगड़ती कानून व्यवस्था से दहले उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने कहा कि इस निरंकुश व्यवस्था में तो निवेश जुटाने के सरकारी मंसूबे ध्वस्त हो जाएंगे।

By Ashish MishraEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 12:39 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 07:52 AM (IST)
उद्योग जगत की चिंताः बढ़ते अपराध से कहीं धरे न रह जाएं यूपी में निवेश के मंसूबे
उद्योग जगत की चिंताः बढ़ते अपराध से कहीं धरे न रह जाएं यूपी में निवेश के मंसूबे

लखनऊ (जेएनएन)। यूपी इन्वेस्टर्स समिट के जरिये सरकार ने उद्योग जगत के सामने जो समां बांधा था, एपल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या ने प्रदेश की उस गुलाबी तस्वीर को तार-तार कर दिया है। कारपोरेट जगत के अधिकारी की सिपाही द्वारा की गई हत्या ने सूबे में कानून व्यवस्था को लेकर उद्योग जगत के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। घटना से दहले उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने यह कहने से भी गुरेज नहीं किया कि इस निरंकुश व्यवस्था में तो निवेश जुटाने के सरकारी मंसूबे ध्वस्त हो जाएंगे।

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सूक्ष्म, लघु व मध्यम दर्जे के उद्योगों के प्रतिनिधि संगठन इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील वैश्य ने घटना को शर्मनाक बताया और कहा, उद्योग जगत इसकी भरपूर निंदा करता है। इससे साबित होता है कि कानून-व्यवस्था का ज्वलंत मुद्दा जो प्रदेश में उद्योग जगत के लिए चिंता का विषय रहा है, वह आज भी सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। उनके मुताबिक, 'यूपी इन्वेस्टर्स समिट के जरिये प्रदेश में निवेश का माहौल बनाने की जो कोशिश हुई थी, यह घटना उस पर पानी फेर रही हैं।

आम जनता की रक्षक मानी जाने वाली पुलिस कितनी निर्दयी, निरंकुश और बेलगाम हो गई है, यह वारदात उसकी बानगी है। यदि सरकार ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर अंकुश नहीं लगाया तो इन्वेस्टर्स समिट से जो माहौल बना था, वह चौपट हो जाएगा। उनसे इत्तेफाक जताते हुए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) यूपी काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष किरण चोपड़ा कहते हैं कि यदि पुलिस अकारण आम आदमी पर गोली चलाकर उसकी जान ले ले तो इसे क्या कहेंगे। इसकी जितनी भत्र्सना की जाए, कम है। उप्र में निवेश जुटाने के लिए सरकार की ओर से जो धारणा बनायी जा रही है, जाहिर है कि ऐसी घटना उद्योग जगत को उस पर सवाल उठाने के लिए मजबूर करेगी।

आखिर उद्यमी किस भरोसे पर प्रदेश में निवेश करेगा? इससे सरकार की छवि ही धूमिल होती है। रोंगटे खड़े कर देने वाली इस घटना से सरकार को शिद्दत से यह अहसास होना चाहिए कि जिन पुलिस सुधारों को अरसे से नजरअंदाज किया गया, उस पर अब गंभीरता से काम करने की जरूरत है।

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के यूपी चैप्टर के को-चेयरमैन मुकेश बहादुर सिंह ने कहा कि दिल दहला देने वाली यह घटना उद्योग जगत के लिए चिंता का विषय है। इससे निवेश जुटाने की सरकार की मुहिम पटरी से उतर जाएगी। फिक्की यूपी के पूर्व अध्यक्ष एलके झुनझुनवाला पुलिस के किरदार पर सवाल उठाने के साथ यह कहने से नहीं चूके कि इस घटना ने उद्योग जगत में असुरक्षा का भाव पैदा किया है। यदि सरकार ने समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए तो निवेशक कदम पीछे खींचने लगेंगे।

दूभर होगा कारपोरेट जगत के लिए काम करना

एसोचैम यूपी के अध्यक्ष विजय आचार्य कहते हैं कि कानून व्यवस्था उद्योग जगत का पहला सरोकार है। ऐसी घटनाएं उद्योग जगत के लिए दहशत पैदा करने के साथ सरकार की साख पर भी बट्टा लगाती हैं। निश्चित तौर पर प्रदेश में निवेश की संभावनाएं तलाश रहे उद्यमी ऐसी घटना से हतोत्साहित होंगे। कारपोरेट जगत के लोग देर रात अपने कार्यस्थलों से घर लौटते हैं। यदि पुलिसिंग का यही हाल रहा तो उनके लिए प्रदेश में काम करना दूभर हो जाएगा। पुलिसिया संस्कृति को बदलने और पुलिस को शिक्षित करने की जरूरत है।  


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