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Coronavirus lockdown: उद्यमी बोले, 60 दिन की बंदी पड़ेगी 60 माह तक भारी

कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन ने उद्योगों की तोड़ी कमर। उद्यमी सरकार से लगा रहे राहत की गुहार।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 03:52 PM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 08:20 PM (IST)
Coronavirus lockdown: उद्यमी बोले, 60 दिन की बंदी पड़ेगी 60 माह तक भारी
Coronavirus lockdown: उद्यमी बोले, 60 दिन की बंदी पड़ेगी 60 माह तक भारी

लखनऊ, जेएनएन। 22 मार्च को जनता कर्फ़्यू के साथ ही दौड़ते उद्योगों को तालों ने जकड़ लिया था। कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन फर्स्ट के 21 दिन को तो उद्यमियों ने जैसे-तैसे गुजार लिया मगर उसके बाद क्रमवार बढ़ते लॉक डाउन ने की रीड तोड़ दी। समय बीतता गया और उद्योगों को बंद हुए करीब 60 दिन से अधिक का समय हो गया, जिसके बाद उनमें हुमसने की भी हिम्मत न रही। आहत मन से उद्यमी अब यही कह रहे हैं कि यह 60 दिन 60 माह तक भारी पड़ेंगे।

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उद्योग शुरू होने में ये आ रही कठिनाइयां

  • बाजार और उद्योगों में सामंजस्य बनाना।
  • डीलर, दुकानदार में कोरोना संक्रमण का खतरा है।
  • जटिल प्रशासनिक आदेश जैसे कामगारों को काम पर लेने से पहले उनका कोरोना संक्रमण की जांच कराना।
  • आदेश में अव्यवहारिक शर्तों का होना। जैसे इंडस्ट्रलिस्ट द्वारा ही कामगारों की कोरोना जांच कराना।
  • जांच के खर्चे को प्रसाशन द्वारा न उठाया जाना।
  • रोजाना सैनिटाइजेशन के लिए सैनिटाइजर खरीद की व्यवस्था का सुनिश्चित न कराया जाना।
  • सभी कर्मचारियों को मास्क मुहैया कराना।
  • शारीरिक दूरी के मानक को बनाए रखने के लिए मशीनरी उपकरण की शिफ्टिंग आदि में समय और खर्च लगना।
  • ट्रांसपोर्टेशन का सुगम न होना।
  • जिलों की सीमाओं निर्बाध आवागमन न होना।
  • नियमित कामगारों (मजदूरों) का पलायन कर जाना।
  • जिलो के बीच आपसी समन्यव न होने से व्यवस्थाओं में समानता न होना।

क्‍या कहते हैं उद्यमी

  • हालात अच्छे नहीं है। मगर विकल्प भी नहीं है। ऐसे में इंडस्ट्री को शुरू करना मजबूरी भी बन गई है। उद्योगों के लिए यह साल तो ब्लैक ईयर ही साबित हो रहा है। कोविड-19 के पहले जहां गाड़ी 100 की रफ्तार से चल रही थी अब वहां 50 गिरफ्तार ही रह गई हैं। ऐसे में स्वाभाविक है कि कॉस्ट एंड लेबर कटिंग करनी पड़ेगी। अंकित दयाल, चेयरमैन, कनफेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) यूपी चैप्टर
  • होटल और रेस्टोरेंट इंडस्ट्री के सबसे बुरे दिन यही है। जब तक ट्रेनें नहीं चलेंगी, बसें नहीं चलेंगी, आवागमन सामान नहीं होगा तब तक कुछ भी कह पाना मुश्किल है। इसका असर अगले दो से पांच साल तक हम पर पड़ेगा। कारीगर भी अपने घर चले गए हैं। यही कारण है कि मौजूदा समय में आयोजनों की बुकिंग बंद है और आगे भी बुकिंग के लिए अभी सोचा नहीं गया। लॉकडाउन के शुरुआत से ही हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि कम से कम बिजली का बिल माफ कर दिया जाए, मगर सरकार ने इस ओर तनिक भी ध्यान नहीं दिया। सुरेन्द्र शर्मा अध्यक्ष चारबाग होटल एंड रेस्टोरेंट ओनर एसोसिएशन
  • लेबर की समस्या बहुत बड़ी समस्या है। कामकाज शुरू करने की हिम्मत जुटाई जा रही है मगर स्थाई लेबर न मिलने के कारण बार-बार व्यवधान आ रहा है। एक और बात यह है भी है कि अभी तक बाजार बंद थे, इस कारण पहले से उपलब्ध माल की खपत नहीं हो पाई। डंप माल निकले तभी उत्पादन का लाभ मिलेगा। शिव शंकर अवस्थी, अध्यक्ष अमौसी इंडस्ट्री एसोसिएशन 

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