Lockdown-2 : मन को भी रखें दुरुस्त-हारेगा कोरोना, समस्या हो तो यहां करें फोन
इंडियन सायकाट्रिक सोसायटी ने दो दवाएं देने का दिया है सुझाव । केजीएमयू व लोहिया इंस्टीट्यूट की हेल्पलाइन पर कर सकते हैं बात ।
लखनऊ, (पवन तिवारी)। कोरोना से जंग में तो आपका तन बहादुरी से डटा हुआ है, पर ध्यान रखें मन कहीं डगमगा न जाए। मौजूदा दौर में एक खास तरह की अनिश्चितता ने कहीं न कहीं डर और घबराहट पैदा की है। कुछ सामान्य सी बातों का ध्यान रखें ताकि तंदुरुस्ती के साथ मन भी चंगा रहे। मेडिकल हेल्पलाइनों और मनोचिकित्सकों के पास इन दिनों मन की उलझन सुलझाने के लिए अनगिनत फोन आ रहे हैं। लोग बेचैन हैं कि आखिर कब तक इस मुश्किल से निजात मिल सकेगी। बेहद आसान है इससे उबरना। रूटीन की गतिविधियां, सकारात्मकता और खुशमिजाजी तो मददगार है ही। सामान्य दवाओं से भी इस परेशानी को परास्त कर सकते हैं।
जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर और पैनिक डिसऑर्डर
डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट के मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. देवाशीष शुक्ल बताते हैं कि कोरोना काल में दो तरह ही दिक्कतें ज्यादा उभरकर आ रही हैं। पहली जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर और दूसरी पैनिक डिसऑर्डर। दोनों मानसिक परेशानियां हैं। एंग्जाइटी डिसऑर्डर में आमतौर मरीज को घबराहट, बेचैनी होती है जबकि पैनिक डिसऑर्डर में मरीज को लगता है कि अभी उसकी सांसें थम जाएंगी। इसी घबराहट में वह रोने लगता है। इन मरीजों में ज्यादा डर दिखाई दे रहा है। दरअसल, लॉकडाउïन की वजह से बीमारी का लेवल बढ़ गया है। अब तक इसके मरीज दवाओं से नियंत्रित थे। हालात ये हैं कि वे आत्महत्या तक की सोच रहे हैं।
ये करें
परिवार के साथ रहें। एक-दूसरे का ख्याल रखें। दोस्तों से बातचीत और वीडियो कॉल से जुड़ें। व्यावहारिक परिवर्तन दिखे तो तत्काल उसका पता लगाएं। क्वारंटाइन सेंटर पर हैं तो लोगों से परिचय बढ़ाएं। इंटरनेट के जरिये परिवार के संपर्क में रहें।
दो कारगर दवाएं दे सकते हैं अभी
डॉक्टरों के मुताबिक इस समय सौ में 90 लोग उलझन व घबराहट से ग्रसित हैं। इंडियन सायकाट्रिक सोसायटी की ओर से कुछ दवाओं को ऑनलाइन प्रिस्क्राइब करने की अनुमति दे दी गई है। इनके साइड इफेक्ट भी नहीं हैं। इन दो दवाओं के नाम हैं-क्लोनाजिपॉम और सरटॉलिन। दोनों दवाएं इन बीमारियों में राहत देंगी। जबकि लॉकडाउन खत्म होने के बाद संबंधित चिकित्सक से मरीज अपना स्थायी इलाज करा लेंगे।
डॉ. देवाशीष शुक्ल का कहना है कि मानसिक रोगों की दवाएं नारकोटिक्स की श्रेणी में आती हैं, इसलिए उनको ऑनलाइन या टेलीफोन पर बता नहीं सकते। सोसायटी की ओर से सुझाई गई दोनों दवाओं से कोई नुकसान नहीं है। उलझन, घबराहट मायूसी, चिड़चिड़ापन वगैरह है तो इन दवाओं से राहत मिलेगी।
हेल्पलाइन से लें मदद
अगर मन उलझा है तो आप इन नंबरों पर फोन करके डॉक्टर को अपनी परेशानी बताएं- 8887019140- डॉ. पीके दलाल, केजीएमयू 8765676900 डॉ. देवाशीष शुक्ल, लोहिया इंस्टीट्यूट।