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गर्मी से गम में गेहूं, चढ़ रहे पारे से घट सकती है पैदावार

मौसम विभाग ने अपनी ताजा भविष्यवाणी की है जिसके मुताबिक मार्च से मई महीने के दौरान देश के सभी भागों में तापमान सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 01 Mar 2018 03:39 PM (IST)Updated: Thu, 01 Mar 2018 06:00 PM (IST)
गर्मी से गम में गेहूं, चढ़ रहे पारे से घट सकती है पैदावार
गर्मी से गम में गेहूं, चढ़ रहे पारे से घट सकती है पैदावार

लखनऊ (जेएनएन)। सर्दियां खत्म होने को है और मौसम हल्का ठंडा होने की जगह पर गर्मी अभी से परेशान करने लगी है। मौसम विभाग ने अपनी ताजा भविष्यवाणी की है जिसके मुताबिक मार्च से मई महीने के दौरान देश के सभी भागों में तापमान सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है।

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इस भविष्यवाणी के मुताबिक उत्तर-पश्चिम भारत और मध्य भारत के ज्यादातर इलाकों में मार्च से मई महीने के दौरान तापमान सामान्य के मुकाबले औसतन 1 डिग्री सेल्सियस ऊपर रहेगा। इस बार गर्मियों के मौसम में सामान्य के मुकाबले बहुत ज्यादा हीट वेव (गर्म हवाएं) की स्थितियां बनने की आशंका है।

इसका सबसे अधिक असर गेहूं की फसल पर पड़ेगा। इन पूर्वानुमानों के मुताबिक पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मार्च से मई महीने के दौरान राजस्थान में अधिकतम तापमान सामान्य के मुकाबले एक डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म रहने की आशंका है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक औसत तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी का सीधा मतलब यह है कि अप्रैल और मई में जबरदस्त गर्मी पड़ेगी। मई के महीने में ज्यादातर इलाकों में लू चलने लगेगी और हीट वेव कहर बरपाने लगेगी।

न्यूनतम तापमान की बात करें प्रदेश के पश्चिमी व पूर्वी क्षेत्र के साथ ही बुंदेलखंड में औसतन न्यूनतम तापमान में एक डिग्री सेल्सियस से ज्यादा की बढ़ोतरी की आशंका जताई है यानी इन इलाकों में दिन के साथ-साथ रातों में भी गर्मी से राहत मिलने की संभावना नहीं है।

प्रदेश में अभी से गरमी होने का असर गेंहूं की फसल पर पड़ेगा। अभी खेतों में हरी खड़ी गेहूं की फसल में लगातार चढ़ रहा पारा नुकसान पहुंचा सकता है। इससे किसान भी चिंतित हैं, क्योंकि एक सिंचाई ज्यादा करनी पड़ रही है, उसके बाद भी दाना कमजोर पैदावार घटने की आशंका है।

चाहिए 27 डिग्री तक

रबी की प्रमुख फसल गेहूं है और इस बार सरकार को लक्ष्य से अधिक उत्पादन होने की उम्मीद है। अगेती फसल में दाना बनने की प्रक्रिया चल रही है, जबकि पिछेती फसल की बालियों में फूल चढ़ रहा है। ऐसे में अधिकतम तापमान 27 व न्यूनतम 13 डिग्री सेल्सियस रहना चाहिए, मगर फरवरी में ही हालात इस फसल के अनुकूल नहीं चल रहे है।

छू रहा 30 डिग्री

फरवरी में ही पारा 30 डिग्री सेल्सियस के निशान को छूने लगा है। इसी दौरान कभी-कभी हवा भी चल जाती है। हवा चलने से नमी वाले खेतों में बाली के वजन से फसल गिर रही है, क्योंकि गर्मी बढऩे से फसल के जल्दी सूखने पर किसान सिंचाई कर रहे हैं। इस स्थिति को किसान व कृषि वैज्ञानिक अच्छी नहीं बता रहे हैं। उनका मानना है कि हालात ऐसे रहे तो इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा। गेहूं का दाना हल्का होने से पैदावार कम होगी। गेहूं की फसल में दाना पड़ रहा है। ऐसे में गर्मी व हवा अच्छी नहीं है। दाना हल्का हो जाएगा। इससे पैदावार घट जाएगी।

कृषि वैज्ञानिक का मानना है कि फरवरी में इतना तापमान नहीं होता है। अभी गेहूं की फसल को ठंड की जरूरत है। ठंड से ही दाने की मोटाई बढ़ती है। गेहूं प्रमुख फसल है। इससे किसानों को काफी उम्मीदें रहती हैं। ऐसे मौसम में उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। गेहूं की फसल के हिसाब से दिन और रात का औसत तापमान अधिक है। इससे गेहूं को नुकसान हो सकता है।  


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