Move to Jagran APP

इंटरनेट-सोशल नेटवर्किंग साइट्स का बढ़ रहा एडिक्शन, खतरे समझ लें फिर बच्चों को दें मोबाइल

घातक है इंटरनेट और स्क्रीन एडिक्शन का नशा, बेहतर पेरेंटिंग की जरूरत।

By Edited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 03:39 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 07:48 AM (IST)
इंटरनेट-सोशल नेटवर्किंग साइट्स का बढ़ रहा एडिक्शन, खतरे समझ लें फिर बच्चों को दें मोबाइल
इंटरनेट-सोशल नेटवर्किंग साइट्स का बढ़ रहा एडिक्शन, खतरे समझ लें फिर बच्चों को दें मोबाइल
लखनऊ[राफिया नाज]। इंटरनेट और स्क्रीन एडिक्शन किशोरों के लिए एक नया नशा बन चुका है। विशेषज्ञों के अनुसार इस आयु में मोबाइल दिया जाना कोकीन दिये जाने के बराबर है। मानसिक और शारीरिक परिवर्तन की स्टेज में चल रहे टीनएजर्स सही और गलत में फर्क नहीं कर पाते हैं और इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर होने वाले फ्रॉड की जद में आसानी से आ जाते हैं। ऐसे में उन्हें बेहतर पेरेंटिंग और सोशल नेटवर्किंग साइट पर होने वाले फ्रॉड के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। सोशल नेटवर्किंग साइट के एडिक्शन और किशोरों के व्यवहार परिवर्तन पर दैनिक जागरण संवाददाता की रिपोर्ट - फोन छीनने पर ¨हसक हुई स्कूल छात्रा: केस.1- एक कॉन्वेंट स्कूल की 16 वर्षीय लड़की एग्जाम में फेल होने के बाद से अकेली पड़ गई। स्कूल में दोस्तों ने बात करना छोड़ दिया। घर में माता-पिता और भाई-बहन से भी ज्यादा बात नहीं करती थी। इसी बीच वह मोबाइल पर लड़कों से चैट करने लगी। अभिभावकों के पूछने पर उसने बहाने बनाने शुरू कर दिए। जब उन्हें इसकी भनक लगी तो लड़की से फोन छीन गया गया। वह ¨हसक हो उठी। अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ मारपीट करने लगी। दिन रात चैटिंग की वजह से उसे स्पॉन्डलाइटिस हो गया उसे गर्दन में इतना ज्यादा दर्द हो गया कि वो बिस्तर से उठ नहीं पा रही थी। फेसबुक फ्रेंडशिप ने ले ली जान : केस.2- फेसबुक फ्रेंडशिप के बाद पश्चिम बंगाल से 17 वर्षीय लड़का अपनी दोस्त से मिलने लखनऊ आया। यहां उसकी हत्या कर दी गई, बाद में केस खुला तो पता चला कि लड़की और उसकी मां ने मिलकर उसकी हत्या कर दी। फोटो शेयर के लिए मना करने पर छोड़ दी पढ़ाई : केस. 4- एक 15 वर्षीय 11वीं क्लास की लड़की ने नई-नई फेसबुक और इंस्टाग्राम पर आइडी बनाई। अनजान लड़कों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और उनके साथ फोटो शेयर करने शुरू कर दिए। जब अभिभावकों का इस पर ध्यान गया और उन्होंने उसे इससे रोका तो उसने पढ़ना-लिखना छोड़ दिया। उन लड़कों से बात करने की इतनी ज्यादा लत लग गई थी कि वह घर छोड़कर जाना चाहती थी। उसे किसी तरह से काउंसिलिंग के लिए लेकर आया गया। जान देने की कोशिश : केस.4 - 17 वर्षीय लड़के ने सोशल नेटवर्किंग साइट की वजह से पढ़ाई छोड़ दी। उसे नये-नये मोबाइल सेट्स खरीदने और नेट सर्फिंग करने की लत पड़ी हुई थी। माता-पिता के मना करने पर उसने सुसाइड करने की धमकी दी और कई बार जान देने की कोशिश की। ¨हसक हो रहे हैं टीनएजर्स : किशोरावस्था में लड़के और लड़कियों के शरीर और हार्मोन में तेजी से परिवर्तन आता है जिसकी वजह से वो पहले से ही मूड स्विंग, एंगर और कई तरह के मानसिक परिवर्तनों से गुजरते हैं। ऐसे में अगर वो सोशल नेटवर्किंग के आदी और स्क्रीन एडिक्शन से ग्रस्त हो जाएं तो यह उनके मानसिक स्तर को काफी नीचे कर देता है। वहीं इस आयु में बच्चों में सबसे ज्यादा शिकायत उनके ¨हसक व्यवहार को लेकर आती है। अकेलापन है इंटरनेट एडिक्शन की वजह : चाइल्ड सायकोलॉजिस्ट नेहा आनंद ने बताया कि आजकल एकल परिवार का कॉन्सेप्ट बढ़ गया है। अभिभावकों के पास बच्चों के लिए समय नहीं होता है। बच्चों को व्यस्त रखने के लिए वो उन्हें खुद से मोबाइल और लैपटॉप आदि दे देते हैं। इस वजह से उन्हें स्क्रीन एडिक्शन हो जाता है। वे इस वर्चुअल व‌र्ल्ड को ही सच मानने लगते हैं। अपना अकेलापन दूर करने के लिए वर्चुअल फ्रेंड बनाने लगते हैं। ऐसे बच्चे या तो कोई क्राइम कर बैठते हैं या फिर खुद किसी तरह से क्राइम का शिकार हो जाते हैं। पड़ता है शारीरिक और मानसिक प्रभाव : - 30 मिनट तक मोबाइल स्क्रीन यूज करने पर भी पड़ता है मानसिक प्रभाव - डिप्रेशन - ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिस्आर्डर - आक्रामक होना - एंजाइटी कैसे करें बचाव: डॉ.राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय के साइबर एक्सपर्ट प्रो.अमनदीप सिंह ने साइबर क्राइम से बचने उपाय बताए - - बच्चों को स्क्रीन एडिक्शन और सोशल नेटवर्किंग साइट से दूर रखने के लिए बचपन से ही ध्यान रखना चाहिए। एकदम से अगर किशोरावस्था में एडिक्शन छुड़ाया जाएगा तो वो ¨हसक हो सकते हैं। - सोशल नेटवर्किंग साइट और मोबाइल के लिए बच्चों का एक टाइम टेबिल बनवाना चाहिए। - आजकल सोशल नेटवर्किंग साइट का सबसे आसान जरिया मोबाइल फोन बन चुका है। इसलिए फोन को खुद से दूर रखना चाहिए। - अभिभावकों को बच्चों को समय देना चाहिए। - स्कूल कॉलेज में चले अवेयरनेस प्रोग्राम- इंटरनेट एडिक्शन को लेकर स्कूल और कॉलेज में जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाए। नेटवर्किंग साइट के फ्रॉड से बचने के लिए अपनाएं तरीके : नोडल अधिकारी साइबर क्राइम सेल अभय मिश्रा ने बताया कि आजकल के दौर में सोशल नेटवर्किंग साइट से दूर रहना लगभग नामुमकिन है। ऐसे में अगर टीनएजर्स इन साइट्स पर अपनी आइडी बना भी रहे हैं तो उन्हें खास ध्यान रखने की जरूरत है। - किसी भी अनजान व्यक्ति से फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट न करें, हमेशा अपने दोस्त, घर के पास रहने वाले लोग या कॉलेज के फ्रेंड से दोस्ती करें। इसमें भी यह ध्यान रखें कि वो व्यक्ति किस तरह का है। - फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने से पहले प्रोफाइल जरूर चेक करें। अक्सर लड़के लड़कियां बनकर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज देते हैं। - किसी भी अनजाने व्यक्ति से फोटो और वीडियो शेयर न करें, यह ब्लैक मेलिंग का आधार बन सकता है। - हमेशा सिक्योरिटी सेटिंग करके रखें, कभी भी पब्लिक में नंबर और प्रोफाइल व्यू न करें। - वाट्सएप में भी रखें निजता। फ्रॉड होने पर ले सकते हैं साइबर सेल का सहारा : अगर किसी के साथ भी सोशल नेटवर्किंग साइट पर फ्रॉड होता है तो वह साइबर सेल की मदद ले सकता है। गुमराह करना, बरगलाना, फेक आइडी से बात करना, फ्रॉड करना, ब्लैक मेलिंग करना, भगा कर ले जाना, फिजिकल एब्यूज आदि सभी में आइपीसी की धारा के तहत मुकदमा लिखा जाता है। सूचना और साक्ष्य के आधार पर चार्ज शीट दायर की जाती है। छेड़छाड़ और सेक्सुअल हरैसमेंट पर आइपीसी की धारा 363 से लेकर 370 तक मुकदमा दर्ज हो सकता है।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.