'ओ-नीर' तकनीक से दो पैसे प्रति लीटर मिलेगा शुद्ध पानी
सीएसआइआर-आइआइटीआर द्वारा विकसित ओनीरटीएम को काफी पसंद किया जा रहा है। इस तकनीक को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की उपस्थिति में दिल्ली हस्तांतरित किया गया।
लखनऊ, (जेएनएन) : शुद्ध पानी के लिए अब महंगे उपकरणों की जरूरत नहीं पड़ेगी। सीएसआइआर-आइआइटीआर द्वारा विकसित ओनीर को काफी पसंद किया जा रहा है। संस्थान इसकी टेक्नोलॉजी दे चुका है। माना जा रहा है कि यह ओनीरटीएम उपकरण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पीने योग्य पानी की आवश्यकताओं को पूरा करने में काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। इस तकनीक को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की उपस्थिति में दिल्ली हस्तांतरित किया गया।
निदेशक डॉ.आलोक धावन बताते हैं कि ओनीर तकनीक पानी के निरंतर उपचार के लिए उपयोगी है। इसमें रोगाणुओं, बैक्टीरिया, कवक, प्रोटोजोआ और सिस्ट आदि को नष्ट करने की खूबी है। इस तकनीक से उपचारित पानी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा है। इसमें केवल दो पैसे प्रति लीटर की लागत से प्रदान कर पानी उपचारित हो सकेगा। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सामुदायिक स्तर का मॉडल 450 एलपीएच क्षमता का है जिसे 5000 से एक लाख लीटर प्रति दिन तक बढ़ाया जा सकता है। खास बात यह है कि इसमें रखरखाव पर भी कोई खर्च नहीं आता। यह प्रौद्योगिकी विशेष रूप से ग्रामीणों के लिए सहायक है क्योंकि यह सौर ऊर्जा से संचालित हो सकती है।
आइआइटीआर के निदेशक डॉ. आलोक धवन का कहना है कि यह तकनीक पानी में संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया, कवक, प्रोटोजोआ और सिस्ट को खत्म करती है। वहीं सभी अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय मानकों को भी इसमें पूरा किया गया है। आम प्यूरीफायर की तरह इसमें झिल्ली बदलने की जरूरत भी नहीं है।
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के नवागत महानिदेशक डॉ. शेखर सी मंडे ने बताया कि वर्तमान में ग्रामीण समुदाय का एक बड़ा हिस्सा अब भी अशुद्ध पानी पी रहा है। यह पानी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानकों को भी पूरा नहीं करता है। स्वास्थ्य के लिये सुरक्षित पेयजल की पहुंच लोगों तक बहुत जरूरी है।