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नमामि गंगे की सफलता पर भारी छोटी नदियों की अनदेखी, गोमती-काली सहित सभी में बह रहा बेहिसाब प्रदूषण

गंगा मैदानी क्षेत्र के एक बड़े हिस्से में बसे उत्तर प्रदेश में गंगा यमुना गोमती व बड़ी संख्या में मौजूद सहायक व छोटी नदियों का जाल बिछा हुआ है। यह सभी सहायक नदियां व उनसे जुड़ी स्थानीय छोटी- छोटी जलधाराएं बेहिसाब प्रदूषण से जूझ रही हैं।

By Vikas MishraEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 10:50 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 10:50 AM (IST)
उत्तर प्रदेश में गोमती, काली, हिंडन सहित अन्य सभी छोटी नदियां बेहिसाब प्रदूषण से जूझ रही हैं।

लखनऊ, (रूमा सिन्हा)। गंगा मैदानी क्षेत्र के एक बड़े हिस्से में बसे उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना, गोमती व बड़ी संख्या में मौजूद सहायक व छोटी नदियों का जाल बिछा हुआ है। यह सभी सहायक नदियां व उनसे जुड़ी स्थानीय छोटी- छोटी जलधाराएं बेहिसाब प्रदूषण से जूझ रही हैं। वर्षों से इन छोटी नदियों के प्रदूषण की अनदेखी के चलते सारा प्रदूषित उत्प्रवाह गंगा की मुख्य धारा में पहुंचकर नमामि गंगे योजना के लिए बड़ी बाधा साबित हो रहा है।

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गोमती, हिडंन, काली, रामगंगा, बेतवा, राप्ती, आमी सहित 12 छोटी नदियों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 'पोल्यूटेड रिवर स्ट्रेचेज' की श्रेणी में सूचीबद्ध किया है। इन सभी छोटी नदियों का प्रवाहतंत्र गंगा की मुख्य धारा में मिलता है। ऐसे में इन नदियों को प्रदूषण मुक्त किए बिना गंगा को निर्मल व अविरल बनाने की मुहिम एक चुनौती साबित होगी। विगत चार वर्षों से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा इन नदी धाराओं की गुणवत्ता की निरंतर निगरानी की जा रही है, परंतु इन नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अभी तक कोई भी ठोस योजना मूर्त रूप नहीं ले पाई है। 

गोमती की 26 सहायक नदियों में से 20 का अस्तित्व खतरे मेंः अधिकतर छोटी नदियों पर जल शोधन के पर्याप्त प्रबंध न होने के कारण सारा प्रदूषित प्रवाह सीधे गंगा में पहुंचकर उसकी गुणवत्ता को लगातार खराब कर रहा है। गोमती बेसिन का ही उदाहरण लें तो गोमती की 26 सहायक नदियों में से 20 लगभग सूख चुकी हैं या नाला बन कर रह गई हैं। खुद गोमती ही अपनी जमीन खो चुकी है। लखनऊ में दौलतगंज और भरवारा पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए, लेकिन प्रदूषण में कोई सुधार नहीं हुआ। कमोबेश यह हालत ङ्क्षहडन, काली, आमी, बेतवा, सई सहित सभी नदियों की है। ये नदियां जस की तस बनी हुई हैं, नदी प्रवाह भी कम हो रहा है।

नदी तंत्र की बहाली के लिए पांच सूत्रों पर करना होगा कामः पर्यावरणविद व नदी विशेषज्ञ डा. वेंकटेश दत्ता कहते है कि नमामि गंगे योजना में सभी बड़ी, छोटी नदियों की बहाली के लिए पांच सूत्रों पर काम करना होगा। 

  • नदी जलधारा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
  • नदियों के बाढ़ क्षेत्र की मैपिंग कर उन्हें सुरक्षित रखना।
  • वेटलैंड का संरक्षण।
  • भूजल और नदी के रिश्ते को पुनस्र्थापित करना।
  • नदी तट पर सघन वृक्षारोपण। 

गंगा, यमुना की मुख्य धाराओं पर तो प्रदूषण नियंत्रण के कार्य किए जा रहे हैं। छोटी नदियों के समूचे तंत्र को भी प्रदूषण मुक्त करना होगा। नदी तंत्र की पुनस्र्थापना के लिए चरणबद्ध तरीके से काम करना होगा। -डा. वेंकटेश दत्ता, नदी विशेषज्ञ


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