बस से सफर कर रहे हैं तो साथ रखें चादर, कहीं टूटी खिड़कियां न बन जाए आफत
ठंड में रोडवेज की आम सेवाओं में सफर करना पड़ सकता है मंहगा। कई बसों की खिड़कियों में शीशे नहीं, शीत लहर ने बढ़ाई दिक्कतें।
लखनऊ[नीरज मिश्र]। रोडवेज की आम सेवाओं में सफर कर रहे हैं तो अपने साथ मोटी चादर जरूर रखें। क्योंकि ये पता नहीं कि आप जिस बस से सफर करने जा रहे हैं उसमें शीशे हैं या नहीं। ऐसे में साथ लाई चादर आपके लिए बड़ा सहारा बनेगी। ठंड शुरू हो गई लेकिन, विभागीय अफसर अभी भी नींद में ही हैं। हाल यह है कि कई बसों की खिड़कियों में शीशे नहीं हैं। जिनमें हैं भी, उनके यात्री सफर के दौरान शीशे पकड़कर बैठने को मजबूर हैं। क्योंकि, शीशे इतने ढीले हैं कि चलती बस में बार-बार खिसक जाते हैं। ठंड के दौरान रोडवेज बसों के कष्टकारी सफर की पड़ताल करती रिपोर्ट...।
शीशों के बीच बनी दूसरी खिड़की
कैसरबाग डिपो की बस संख्या यूपी32सीजेड/0308 में एक ऐसी खिड़की मिली जिसमें जरूरत से छोटे-छोटे दो ऐसे शीशे लगे थे जिनसे आ रही शीत लहर यात्रियों को बीमार करने के लिए पर्याप्त थी।
ढीले शीशों से खेल रहे बच्चे
बस संख्या यूपी33टी/3590 उपनगरीय सेवा के शीशे इतने ढीले मिले कि बस में सवार बच्चे उन्हें इधर-उधर सरकाते हुए खेलते नजर आए।
पिछली सीट पर शीशा ही नहीं
उपनगरीय सेवा बस नंबर यूपी32सीजेड/4702 की पिछली सीट के पास की खिड़की में शीशा ही नहीं था। यात्री खिड़की को ढकने के लिए गमछे का प्रयोग पर्दे के रूप में कर रहे थे। यही हाल बस संख्या लखनऊ से गोंडा के बीच चलने वाली गाड़ी नंबर यूपी41एटी/3777 में देखने को मिला। खिड़की के कई शीशे ही लापता हो चुके थे।
अनुबंधित सेवाओं का हाल सबसे ज्यादा खराब
बाराबंकी हो या फिर सिधौली, महमूदाबाद, सीतापुर और लखीमपुर की सेवाएं। इनमें कई बसें ऐसी मिलीं जिनमें शीशे नहीं थे। इनमें सवार होने वाले यात्री ठंडी हवा से बचाव को जुगाड़ ढूंढते नजर आए। बाराबंकी जा रही एक अनुबंधित गाड़ी ऐसी मिली जिसमें यात्री की कौन कहे चालक की ओर का दरवाजा ही नहीं था।
क्या कहते हैं अफसर?
क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव बोस के मुताबिक, लखनऊ रीजन की सभी बसों में हफ्तेभर के भीतर खिड़कियों के शीशे दुरुस्त करा दिए जाएंगे। उसके बाद बिना शीशे वाली बस मिली तो कार्रवाई होगी।