सीतापुर में भाकियू कार्यकर्ताओं ने पानी की टंकी पर चढ़कर किया हंगामा, मनाने में जुटे अधिकारी; जानें-पूरा मामला
मांगों को लेकर भाकियू कार्यकर्ता महोली व सिधौली में गुरुवार को पानी टंकी पर चढ़ गए। मनरेगा मजदूरों की बकाया मजदूरी का भुगतान न होने पर सिधौली व महोली तहसील में चल रहा भाकियू किसान संगठन कार्यकर्ताओं का धरना प्रदर्शन तेरहवें दिन जारी रहा।
सीतापुर, जागरण संवाददाता। मांगों को लेकर भाकियू कार्यकर्ता महोली व सिधौली में गुरुवार को पानी टंकी पर चढ़ गए। मनरेगा मजदूरों की बकाया मजदूरी का भुगतान न होने पर सिधौली व महोली तहसील में चल रहा भाकियू किसान संगठन कार्यकर्ताओं का धरना प्रदर्शन तेरहवें दिन जारी रहा। महोली में गुरुवार को पांच कार्यकर्ता अखिलेश पंजाबी, विक्रम, प्रवीण सिंह, राजपाल व छोटे पानी टंकी पर चढ़ गए। एसडीएम, सीओ, बीडीओ, ईओ व पुलिस प्रदर्शनकारियों को टंकी से उतरने के लिए मनाने में जुटे थे। कार्यकर्ता डीएम को मौके पर बुलाने व मांगें पूरी करने की जिद पर अड़े थे। सिधौली में तहसील में बनी पानी टंकी पर संगठन के कार्यकर्ता चढ़ गए और नारेबाजी करने लगे। इनमें प्रदेश महामंत्री मान सिंह चौहान, दीपू जायसवाल, धूम सिंह, अवधेश सिंह व ओम प्रकाश शामिल थे।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रशासन किसान, मजदूरों की मांगों की अनदेखी कर रहा है। मजबूरन उनको टंकी पर चढ़ने जैसा कदम उठाना पड़ा। तहसीलदार आरपी सिंह व सीओ यादवेंद्र कुमार ने मनाने का प्रयास किया लेकिन कार्यकर्ता उतरे नहीं। 400 मनरेगा मजदूरों की बकाया मजदूरी भुगतान करने, फर्जी भुगतान करने व अफसरों की तानाशाही रवैये से गुस्साए कार्यकर्ता लगातार धरना दे रहे हैं। इस अवधि में संगठन ने भ्रष्टाचार का पुतला फूंका, सिर मुड़वाकर भंडारा किया और बुद्धि शुद्धि हवन भी किया।
संगठन के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप शुक्ला श्यामू ने कहा कि इतने दिन से चल रहा धरना प्रदर्शन का अधिकारियों पर कोई असर नहीं है। कोई प्रतिनिधि संगठन से मिलने नहीं आया। मजदूरों की मजदूरी का भुगतान लटका है। महुआकोला, परसेहरा, भगवानपुर ग्रंट व चिन्हारा में मजदूर पैसा मिलने की राह देख रहे हैं। ग्राम पंचायतों में फर्जीवाड़ा कर धन हड़प लिया गया है। पूर्व में शिकायतों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया, लेकिन जांच लंबित हैं। मनरेगा में फर्जी भुगतान का आरोपित सेक्रेटरी निलंबित तक नहीं किया गया ऐसे में मजबूरन विरोध प्रदर्शन को दूसरा रूप देना पड़ा।