यूपी में शहर और संपत्ति की पहचान अब 17 अंकों के यूनिक कोड से, कहीं से भी पता चल जाएगा संपत्ति का विवरण
प्रदेश में नगर निकायों की संपत्तियों की एक यूनिक आइडी होगी जिससे संपत्ति के बारे में कहीं से भी जानकारी हासिल की जा सकती है। कुल 17 अंकों की यूनिक आइडी से आप किसी भी संपत्ति के बारे में पता कर सकेंगे।
By Rafiya NazEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 10:45 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 10:45 AM (IST)
लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। प्रदेश में नगर निकायों की संपत्तियों की एक यूनिक आइडी होगी, जिससे संपत्ति के बारे में कहीं से भी जानकारी हासिल की जा सकती है। कुल 17 अंकों की यूनिक आइडी से आप किसी भी संपत्ति के बारे में पता कर सकेंगे। इस यूनिक आइडी से आप गूगल लोकेशन से किसी भी संपत्ति तक पहुंच सकेंगे। खास बात यह होगी कि संपत्ति की श्रेणी के लिए अलग-अलग अक्षर होंगे, जिससे किसी भी संपत्ति के बारे में कोई जान सकेगा कि वह आवासीय या अनावासीय और मिश्रित संपत्ति में दर्ज है।
जैसे अभी तक लखनऊ में दस नंबरों की आइडी थी तो कानपुर और अन्य शहरों की अलग-अलग अंकों की आइडी थी। सत्रह नवंबर को प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग दीपक कुमार की तरफ से जारी आदेश के बाद इसका नया सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है।
दरअसल संपत्तियों की पहचान के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया एकरूपता न होने से संपत्तियों के विवरण की जानकारी किसी को सुलभ तरह से नहीं मिल पाती है। इस दुविधा को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने बिजनेस रिफाम्र्स में सुधार करने के लिए नगरीय क्षेत्र में संपत्तियों की यूनिक प्रापर्टी पहचान बनाई जाने वाली है।
17 अंकों का यूनिक कोड ऐसे होगा प्रथम दो अंक प्रदेश का कोड
- तीन से पांच स्थानीय निकाय
- छह से सात स्थानीय निकाय जोनल कोड
- आठ से दस स्थानीय निकाय वार्ड का कोड
- 11 से 16 संपत्ति का कोड
विशेष अक्षर
- आर आवासीय संपत्ति
- एन अनावासीय संपत्ति
- एम मिश्रित संपत्ति
- सॉफ्टवेयर में ऐसे दिखेंगे नंबर
- राज्य कोड दो
- निकाय कोड तीन
- जोन कोड दो
- वार्ड कोड तीन
- संपत्ति व भूखंड कोड छह
विशेष अक्षर एक
नगर निगम लखनऊ के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक कुमार सिंह ने बताया कि अभी लखनऊ नगर निगम का दस अंकों का कोड था और इसी तरह अन्य नगर निकायों का अलग-अलग अंक का कोड था और एकरूपता न होने से संपत्तियों की पहचान एक जगह से नहीं हो पाती थी। अब ई-नगर सेवा पोर्टल के निर्देशों के अनुसार यूनिक आइडी की व्यवस्था लागू होने से प्रदेश के निकायों की संपत्तियों के बारे में कहीं से भी जानकारी ली जा सकती है। इसी तरह गूगल लोकेशन से संपत्ति की लोकेशन पता करने में कोई परेशानी नहीं होगी।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें