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आहत शिवपाल मंत्रिमंडल विस्तार समारोह में नहीं पहुंचे, शाम को आएंगे लखनऊ

शिवपाल सिंह यादव ने आज अखिलेश यादव सरकार के सातवें मंत्रिमंडल विस्तार समारोह का बहिष्कार कर दिया। बेहद आहत शिवपाल सिंह यादव शाम को इटावा से लखनऊ आएंगे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2016 09:49 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2016 01:32 PM (IST)

लखनऊ (जेएनएन)। प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने आज अखिलेश यादव सरकार के सातवें मंत्रिमंडल विस्तार समारोह का बहिष्कार कर दिया। बेहद आहत शिवपाल सिंह यादव शाम को इटावा से लखनऊ आएंगे।

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शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ ही विधानसभा चुनाव 2017 के प्रभारी भी हैं। माना जा रहा है कि शिवपाल सिंह यादव ने बीते दिनों पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की सहमति से गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय कराया था।

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इसके बाद मचे कोहराम के कारण समाजवादी पार्टी को अपने इस निर्णय से वापस होना पड़ा। मुख्यमंत्री तथा समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव इस विलय के पक्ष में नहीं थे और उन्होंने सार्वजिनक मंच से इस फैसले की निंदा की थी। इसके साथ ही शिवपाल सिंह यादव ने बिहार के विधानसभा चुनाव से पहले जनता परिवार के साथ महागठबंधन के फैसले में अग्रणी भूमिका अदा की थी, लेकिन पार्टी ने बाद में उस निर्णय पर भी सहमति नहीं बनी थी। माना जा रहा है शिवपाल सिंह यादव इस तरह के कई निर्णय से खासे आहत हैं। अब वह आज शाम को लखनऊ पहुंचेंगे। शिवपाल सिंह यादव ने चार वर्ष में पहली बार अपने तेवर दिखाए हैं। वह अपनी राजनीतिक चोट पर साख से खासे आहत हैं।

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कौमी एकता दल की समाजवादी पार्टी में विलय को लेकर जिस तरह से उनकी फजीहत हुई है, वह किसी से छिपी नहीं है। इसकी कारण से वह कल ही इटावा चले गये। कौमी एकता दल को समाजवादी पार्टी में शामिल कराने में बलराम यादव के साथ शिवपाल यादव ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी, लेकिन मुख्यमंत्री ऐसे नाराज हुए की बलराम यादव को ही मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

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इस खींचतान के बीच परसों जब समाजवादी पार्टी की पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक हुई तो उसमें शिवपाल यादव बिल्कुल अकेले पड़ गए। यहां तक कि बैठक में रामगोपाल यादव ने भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का साथ दिया। आखिर में समझौता यह हुआ की बलराम यादव को फिर से मंत्री बना दिया जाए और कौमी एकता दल का विलय नहीं हो।

मुलायम सिंह के करीबी माने जाने वाले, बलराम यादव के मंत्रिमंडल में वापसी से उनकी इज्जत तो बच गई, लेकिन शिवपाल यादव के पास फजीहत के अलावा कुछ भी नहीं बचा। इस मंत्रिमंडल विस्तार में वरिष्ठ मंत्री आजम खां भी मौजूद नहीं थे, जो मेरठ के एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं।


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