Move to Jagran APP

सावन के आखिरी सोमवार को शिव मंदिरों में उमड़ा भक्तों का सैलाब

मान्यता है कि अगर सावन के सोमवार को शिव को जल या दूध अर्पित किया जाए तो पूरी जिंदगी शिव का आशीर्वाद बना रहता है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 09:34 AM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 11:01 AM (IST)
सावन के आखिरी सोमवार को शिव मंदिरों में उमड़ा भक्तों का सैलाब

लखनऊ (जेएनएन)। सावन के अंतिम सोमवार को आज तड़के से ही प्रदेश के विख्यात शिव मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा गोरखपुर, कानपुर, इलाहाबाद, मेरठ तथा अन्य सभी जिलों में लोग जलाभिषेक करने को लंबी-लंबी लाइन में देखे गए। लखनऊ तथा पास के जिलों में सुबह से ही बारिश के बाद भी भक्तों की भीड़ मंदिरों में बढ़ती ही जा रही थी।

loksabha election banner

सावन के आखिरी सोमवार को आज प्रदेश के सभी शिवालयों में भक्तों का जनसैलाब उमड़ रहा है। वाराणसी के श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में शिवभक्तों का दृश्य देखते ही बन रहा है। यहां पर बम भोले के उद्घोष और शंखनाद की ध्वनियां आस्था की अनुपम छटा पेश कर रही हैं। सावन के चौथे और अंतिम सोमवार श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार में भक्तों का रेला उमड़ा। रात से लगी कतार लगी और भोर में मंगला आरती के बाद 3.45 बजे दर्शन शुरू हुआ। नौ बजे तक 70 हजार कांवरियों व शिव भक्तों ने दर्शन व जलाभिषेक किया। लगभग चार किलोमीटर का इलाका बम बोल और हर हर महादेव के उद्घोष से गूंज रहा है।

वाराणसी में आज दूर-दूर से कांवडिय़ों और आम भक्तों की भीड़ विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन के लिए लंबी लाइन लगाकर बाबा की एक झलक पाने को बेताब दिख रही है। शहर के अलग-अलग मंदिरों में भी बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि सावन के चारों सोमवार को वाराणसी में कांवडिय़ों की जबरदस्त भीड़ है। 

वाराणसी के शिव मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ है। लोगों के साथ कई कांवडि़ए भी शिव मंदिरों में संगम का जल लेकर पहुंच रहे हैं। कई दशकों बाद विशेष संयोग बनने से श्रद्धालुओं में इस बार खास उत्साह देखने को मिल रहा है। गोरखपुर में भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए सावन के सोमवार में हर शिव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ है। आज अंतिम सोमवार को भीड़ बढ़ गई है। 

यहां पर पानी के बढ़ाव की वजह से कोई हादसा न हो इसे दृष्टिगत रखते हुए गंगा नदी में कुछ दूर पर बैरिकेडिंग कर इसके आगे कांवडिय़ों को न जाने की हिदायत दी जा रही थी।

एनडीआरएफ और पीएसी की टीम को भी गंगा के किनारे लगाया गया है। इसके अलावा श्रीविश्वनाथ मंदिर के आसपास और हाईवे पर ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही है।

कानपुर में भी भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है। कई स्थानों पर अंतिम सोमवार को खास बनाने के लिए शिवायलों में विशेष तैयारियां की गई है। 

यहां पर गंगा नदी के किनारे बने सुप्रसिद्ध प्राचीन मंदिर आनंदेश्वर मंदिर में रविवार रात से भक्तों की लम्बी कतारें लगी हैं। चारों तरफ बम भोले के जयकारों की आवाज दूर से भी सुनी जा रही है। यहां पर भक्त बाबा शिव की एक झलक पाने के लिए भक्त बेताब हैं।

संगम नगरी इलाहाबाद के शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। सिविल लाइंस के हनुमान मंदिर में बाबा भोले भंडारी को खुश करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए कोई मंदिरों में जलाभिषेक कर रहा है तो कोई दूध व बेल की पत्तियों से पूजा-अर्चना कर रहा है।इसे देखते हुए आखिरी सोमवार को भी प्रशासन ने ज्यादा भीड़ रहने का अंदाजा लगाते हुए तैयारियां मुकम्मल कर रखी थीं। विश्वनाथ मंदिर दर्शन करने जाने से पहले कांवडिय़ों का जत्था दशाश्वमेध घाट पर स्नान के लिए जाता है।

लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ है। इसके बीच इंद्रदेव ने भी शिव भक्तों को बड़ी राहत दी है। कानपुर के बाबा आनंदेश्वर मंदिन के साथ ही गोरखपुर के बाबा गोरखनाथ मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ है। मेरठ के औघडऩाथ तथा इलाहाबाद के मनकामेश्वर मंदिर में लोग सुबह से ही बड़ी संख्या में जलाभिषेक कर रहे हैं।

क्या है मान्यता

मान्यता है कि अगर सावन के सोमवार को शिव को जल या दूध अर्पित किया जाए तो पूरी जिंदगी शिव का आशीर्वाद बना रहता है। शायद यही वजह है कि महादेव का आशीष प्राप्त करने की आशा लिए लोग सावन के अंतिम सोमवार को वाराणसी के साथ ही अन्य शहरों में जलाभिषेक करने को तड़के से ही मंदिरों में हैं।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.