यूपी के स्पीकर हृदयनारायण दीक्षित ने बदली यूरोपीय परंपरा
नेता सदन योगी आदित्यनाथ व नेता विपक्ष रामगोविंद चौधरी ने उनको ससम्मान उठाया और अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन कराया।
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। आजादी के बाद पहली बार विधानसभा में यूरोपियन परंपरा को बदल दिया गया। नवनियुक्त अध्यक्ष (स्पीकर) छिपकर नहीं बैठे और न ही उनको ढूंढने की मशक्कत करनी पड़ी। सदन में सत्ता पक्ष की ओर दूसरी पंक्ति में बतौर सदस्य बैठे हुए हृदयनारायण दीक्षित को नेता सदन योगी आदित्यनाथ व नेता विपक्ष रामगोविंद चौधरी ने ससम्मान उठाया और अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन कराया। दीक्षित ने अध्यक्ष के पदभार ग्रहण करने की यूरोपियन परंपरा को हास्यास्पद बताया। कहा कि इस परिपाटी का विरोध नहीं करते लेकिन वर्तमान समय में यह औचित्यहीन हो चुकी है।
17वीं विधानसभा के सर्वसम्मत अध्यक्ष बने हृदयनारायण दीक्षित ने गुरुवार को पद संभालने के बाद यूरोपियन परंपरा के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश संसदीय परंपरा में स्पीकर हत्या के डर से छिप जाते थे और उनको तलाश कर लाना पड़ता था। यूरोपियन लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देशों में वर्तमान में भी यह हो रहा है। दीक्षित ने प्राचीन भारतीय सभा व समितियों की व्यवस्थाओं के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि जब सभा शक्तिहीन हो जाती है तो महाभारत होती है।
भारतीय संसदीय परंपरा को यूरोपीय लोकतांत्रिक व्यवस्था से समृद्ध बताया। उनका कहना था, भारतीय परंपरा में जब काग भुसुंडि और गरुड़ जो पक्षी के रूप में उल्लेखित हैं, वो आपस में बिना लड़ाई के बात और संवाद कर सकते हैं, तो हम सभी जो लाखों जनाकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, बिना लड़े संवाद क्यों नहीं कर सकते?
दीक्षित ने कहा कि आम जन सभी कामों की कुंजी विधायक को मानता है, संसदीय नियमावली को अपनी अपेक्षाओं के सामने रख कर नहीं सोचता है। ऐसे में सदन की जिम्मेदारी ज्यादा हो जाती है। सूचना क्रांति के युग में सदन में जो भी होगा, वह सब जनता देख रही है इसलिए सर्तक रहने की जरूरत है।
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दीक्षित पूर्ववर्ती सरकारों पर कटाक्ष करना भी नहीं भूले। उन्होंने कहा कि सरकार का नाम लिए बिना आज पहले दिन ही चाहूंगा कि पूर्व में सदन में हुए अप्रिय व गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली स्थिति अब नहीं बननी चाहिए।
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