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जमाखोरी या कम उत्पादन, आखिर क्या है सरसो के तेल की बेकाबू कीमत का कारण; यहां पढ़ें पूरी खबर

सरसों की जमाखोरी की वजह से तेल का भाव आसमान पर है। व्यापारी कह रहे हैं कि उत्पादन कम होने से भाव चढ़ा हुआ है जबकि कृषि विभाग इसे सिरे से नकारते हुए प्रदेश में सरसों का उत्पादन दोगुना होने का दावा कर रहा है।

By Vikas MishraEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 02:55 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 02:55 PM (IST)
जमाखोरी या कम उत्पादन, आखिर क्या है सरसो के तेल की बेकाबू कीमत का कारण; यहां पढ़ें पूरी खबर
खाद्य तेलों के दाम में हो रही लगातार बढ़ोतरी से आम आदमी परेशान है।

लखनऊ, [नीरज मिश्र]। सरसों की जमाखोरी की वजह से तेल का भाव आसमान पर है। व्यापारी कह रहे हैं कि उत्पादन कम होने से भाव चढ़ा हुआ है जबकि कृषि विभाग इसे सिरे से नकारते हुए प्रदेश में सरसों का उत्पादन दोगुना होने का दावा कर रहा है। नतीजा यह है कि खौलते तेल की आंच में अब आम आदमी दाल में तड़का लगाने से बच रहा है। हाल यह है कि गुरुवार को सरसों का तेल 180 से 185 रुपये लीटर फुटकर मंडी में पहुंच गया है। सवाल उठता है कि जब दोगुना तिलहन का उत्पादन है तो फिर तेल उबल क्यों रहा है और इस पर कौन नकेल कसेगा। खाद्य तेलों के दाम में हो रही लगातार बढ़ोतरी से आम आदमी परेशान है। तेल के दाम में आए उबाल के पीछे कृषि विभाग बिचौलियों और जमाखोरी को कारण बता रहे हैं। जबकि व्यापारियों का तर्क है फसल कम और डिमांड ज्यादा होने से तेजी है। बीते करीब एक माह में दस से पंद्रह रुपये प्रति लीटर की तेजी दर्ज की गई है। इससे पहले तेल का भाव 175 में था जो अब बढ़कर 185 रुपये लीटर हो गया है। वहीं सरसों के तेल 15 लीटर का पीपा थोक मंडी में 2720 रुपये में बिक रहा है। रिफाइंड ऑयल की कीमतों में कमी आई है।

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फुटकर मंडी 

  • खाद्य तेल   कीमत रुपये प्रति लीट    महीनेभर पहले   मौजूदा दर
  • बैल कोल्हू   170 से 175                 180                185
  • रिफाइंड ऑयल  160                      162               150-152

देश में मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश तिलहन उत्पादन में दूसरे नंबर पर है। देश में कुल उत्पादन का 16 फीसद हिस्सा उत्तर प्रदेश का है। मध्य प्रदेश में 24 फीसद उत्पादन हुआ है। लखनऊ में उत्पादन की बात करें तो नौ हजार हेक्टेयर में तिलहन की खेती होती है। इसमे तोरिया व सरसों दोनों शामिल हैं। वर्ष 2019-20 में 2321 मीट्रिक टन तिलहन का उत्पादन हुआ था तो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 4697 मीट्रिक टन हो गया है। बीते साल की तुलना में दो गुना उत्पादन हुआ है। इसके बावजूद तेल का दाम बढ़ रहा है। यह समझ से परे है। सरकार ने 5250 रुपये समर्थन मूल्य रखा है। - डाॅ. सीपी श्रीवास्तव, उपकृषि निदेशक

बोले कारोबारी

उत्पादन कम हुआ है। इसी वजह से सरसों की उपज घटी है। ऐसे में सरसों के तेल में तेजी बनी हुई है। सरसों के दाम 4500 के आसपास थे अब बढ़कर 8000 रुपये प्रति क्विंंटल पहुंच गए हैं। भाव चढ़ता देख किसान भी आगामी त्योहारी सीजन को देखते हुए अपना माल रोक रहे हैं। -विपुल अग्रवाल, फतेहगंज मंडी

फसल कम है। यही वजह की सरसों का दाम तेजी से चढ़ा हुआ है। फिलहाल तेल का भाव स्थिर है लेकिन पहले की तुलना में बाजार चढ़ा हुआ है। सरसों को तेल महंगा है। -अभय अग्रवाल, कारोबारी डालीगंज


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