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कल-कल बहती सरयू किनारे सदियों बाद हुई ऐतिहासिक आरती...अलग थी रौनक

Ayodhya Ram Mandir Verdict 2019 अयोध्या के फैसले के बाद सरयू तट पर हुई एतिहासिक आरती। बेसब्री से इंतजार कर रहे थे भक्त।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 11:03 AM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 11:10 AM (IST)
कल-कल बहती सरयू किनारे सदियों बाद हुई ऐतिहासिक आरती...अलग थी रौनक
कल-कल बहती सरयू किनारे सदियों बाद हुई ऐतिहासिक आरती...अलग थी रौनक

लखनऊ [रघुवर शरण]। रामनगरी में सरयू के आधा दर्जन घाटों पर पुण्य सलिला की नित्य आरती होती है। शनिवार को भी इस परंपरा का पालन हुआ, मगर इसकी रौनक कुछ अलग थी। यह भरोसा पक्का होने के साथ कि जिन भगवान राम पर सरयू को नाज है, उनकी जन्मभूमि पर उनका भव्य मंदिर बनेगा। फैसला सुबह आया। फैसले का इंतजार अयोध्या बड़ी बेसब्री से कर रही थी। पंचकोसी एवं 14 कोसी परिक्रमा के चलते पांच से आठ नवंबर तक श्रद्धालुओं से सरगर्म रहने वाला सरयू तट शनिवार को किंचित अलसाया होता है, किंतु शनिवार को ऐसा नहीं था। सरयू किनारे डेरा डाले पुरोहित देश के सबसे बड़े फैसले को लेकर अत्यंत उत्सुक थे। उनके पास टीवी तो नहीं है पर इक्का-दुक्का युवा पुरोहितों के पास स्मार्ट फोन होता है ओर वे इसी माध्यम से पल-पल की खबर सहेजने की कोशिश कर रहे थे। 

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कुछ ही पलों में माहौल करवट बदलता है। इंतजार की बेसब्री फैसले से उपजे उत्साह में बयां होती है। सरयू में स्नान कर लौट रहे बाराबंकी के बुजुर्ग रामसेवक वर्मा उस ओर कान लगाते हैं, जहां करतलिया बाबा आश्रम के महंत रामदास त्यागी सोशल मीडिया पर चल रही आदेश की एक-एक पंक्ति पढ़ कर सुना रहे होते हैं। सरयू की नित्य आरती करने वाले पुरोहित योगेंद्र पांडेय उस दौर को आज के आईने में ढालने की कोशिश करते हैं। भला हो शीर्ष अदालत का जिसने नियमित सुनवाई की। बगल ही बह रहीं सरयू इस संवाद को सुनती हुई आगे बढ़ रही होती हैं, जैसे वे युगों से अपने दामन में रामनगरी का अतीत समेटे हुई हैं।

हिमालय से उतरकर अयोध्या पहुंची सरयू

पुण्य सलिला सरयू भगवान राम के पूर्वज इक्ष्वाकु और राम के वंशियों के कुल गुरु वशिष्ठ के आध्यात्मिकप्रताप के चलते ही हिमालय से उतरकर रामनगरी तक पहुंचीं। पुण्य सलिला की नित्य आरती करने वाली संस्था आंजनेय सेवा संस्थान के अध्यक्ष महंत शशिकांतदास कहते हैं कि फैसले की खबर से मन प्रसन्न है।


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