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हाईकोर्ट ने रद कर दी सरकार की- 'अंत में आओ, पहले जाओ' तबादला नीति

यूपी हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापकों के संबंध में राज्य सरकार द्वारा बनाई गई अंत में आओ, पहले जाओ स्थानांतरण नीति को रद कर दिया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 12:51 PM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 12:51 PM (IST)
हाईकोर्ट ने रद कर दी सरकार की- 'अंत में आओ, पहले जाओ' तबादला नीति

जेएनएन, लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जूनियर एवं सीनियर बेसिक स्कूलों के सहायक अध्यापकों के संबंध में राज्य सरकार द्वारा बनाई गई 'अंत में आओ, पहले जाओ'  स्थानांतरण नीति को रद कर दिया है। न्यायालय ने सरकार को अध्यापकों के तबादले व समायोजन के संबंध में नियमों का पालन करते हुए नई पॉलिसी बनाने की छूट दी है। कोर्ट ने 14 सितंबर को ही इस नीति के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी थी और अब सुनवाई पूरी कर नीति ही रद कर दी है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल सदस्यीय पीठ ने सैकड़ों शिक्षकों की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। याचीगण वर्ष 2015, 2016 और 2017 में पोस्टेड हुए थे। याचियों की ओर से कहा गया था कि 20 जुलाई, 2018 के शासनादेश द्वारा सहायक अध्यापकों के लिए ट्रांसफर पॉलिसी जारी की गई। इसकी शर्त संख्या 2(2)(1) व 2(3)(4) में 'लास्ट इन, फस्र्ट आउट' व अध्यापकों और छात्रों का अनुपात निर्धारित किया गया। इनके तहत अध्यापकों और छात्रों का अनुपात एक अध्यापक पर 40 छात्रों का होगा व यह अनुपात एक अध्यापक पर 20 छात्रों से कम नहीं होगा।

इस नीति के कानूनी पहलू पर याचियों की ओर से वरिष्ठ वकील एचजीएस परिहार का तर्क था कि इस पॉलिसी के तहत यदि अध्यापकों की संख्या किसी संस्थान में अनुपात से अधिक हो जाती है तो जो अध्यापक संस्थान में लम्बे समय से तैनात हैं, वह वहीं तैनात रहेगा और बाद में प्रमोशन से जाने वाले का दूसरे संस्थान तबादला कर दिया जाएगा। इसका बड़ा नुकसान जूनियर शिक्षकों को होगा। यह भी कहा गया कि शासनादेश पांच अगस्त तक के लिए ही था लेकिन, बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक ने 16 अगस्त को एक सर्कुलर जारी करते हुए इसकी समय सीमा 19 अगस्त तक बढा दी, जबकि समय सीमा बढ़ाने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार को है।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अध्यापक व छात्रों का अनुपात तय करने के लिए 30 सितंबर, 2017 के आंकड़ों को आधार बनाया गया है, जबकि शिक्षा सत्र एक अप्रैल से 31 मार्च का है। अगस्त में जबकि सत्र चार महीने चल चुका है, तब तबादला करना शिक्षा कैलेंडर को पटरी से उतारने जैसा है। शिक्षा विभाग में खाली पड़े पदों को जल्द न भरने का सरकार पर आरोप लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि पॉलिसी बनाते समय सरकार को छात्रों के हित का ख्याल रखना चाहिए। कोर्ट ने 20 जुलाई, 2018 के शासनादेश व 16 अगस्त, 2018 के सर्कुलर को रद कर दिया। कोर्ट ने याचियों के तबादले व समायोजन संबंधी आदेशों को भी रद कर दिया।


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