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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के रेस्टोरेंट्स और कैफे में चल रहे हुक्का बार पर लगाई रोक

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना-19 संक्रमण को देखते हुए उत्तर प्रदेश के रेस्टोरेंट कैफे और अन्य स्थानों पर चल रहे हुक्का बार को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 07:24 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 06:53 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के रेस्टोरेंट्स और कैफे में चल रहे हुक्का बार पर लगाई रोक
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के रेस्टोरेंट्स और कैफे में चल रहे हुक्का बार पर लगाई रोक

लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए उत्तर प्रदेश रेस्टोरेंट, कैफे और अन्य स्थानों पर चल रहे हुक्का बार को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया है। कोविड-19 के संक्रमण के मद्देनजर हुक्का बार बंद करने के संबंध में एक विधि छात्र ने हाई कोर्ट को पत्र लिखा था, जिसको संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने यूपी के मुख्य सचिव को इस आदेश का तत्काल प्रभाव से पालन कराने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता व न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने लखनऊ विश्वविद्यालय के एलएलबी छात्र हरगोविंद पांडेय के पत्र पर कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। 

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में हुक्का बार पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह किसी भी रेस्टोरेंट व कैफे में हुक्का बार चलाने की अनुमति न दें। कोर्ट ने मुख्य सचिव से 30 सितंबर तक इस आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट मांगी है। महानिबंधक को आदेश की प्रति मुख्य सचिव व प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को अनुपालन के लिए भेजने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अधिवक्ता विनायक मित्तल को स्वत: कायम जनहित याचिका पर पक्ष रखने के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। हर दिन कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। हाई कोर्ट ने इसके फैलाव को रोकने के लिए मुख्य सचिव को रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि लॉकडाउन किया गया था, उसके बावजूद कोरोना वायरस का संक्रमण जंगल की आग की तरह फैलता जा रहा है। यह मानव जीवन के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है। हम घने अंधेरे जंगल के बीच खड़े हैं। कल क्या होगा इसका पता नहीं है?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि यदि रेस्टोरेंट व कैफे में हुक्का बार पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो यह सामुदायिक संक्रमण का रूप ले लेगा। इसके मद्देनजर छात्र ने अधिकारियों को पत्र लिखा था, लेकिन कोई कार्यवाई नहीं की गयी। इस पर कोर्ट ने भी मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी की कि क्यों न याचिका स्वीकार कर ली जाय? लेकिन कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए हुक्का की अनुमति न देने का समादेश जारी कर पालन करने का निर्देश दिया है।

दरअसल, पिछले दिनों लखनऊ विश्वविद्यालय में लॉ की पढ़ाई करने वाले छात्र हरगोविंद दुबे ने हाई कोर्ट को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया था कि राज्य के लगभग हर जिले में काफी संख्या में हुक्का बार चल रहे हैं। इन हुक्का बार से कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से फैलने की आशंका है। ज्यादातर युवा यहां जाते हैं। इस पत्र का इलाहाबाद हाई कोर्ट संज्ञान लिया और प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया। यही नहीं हाई कोर्ट ने पत्र को जनहित याचिका में भी तब्दील कर दिया।


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