सुनवाई के बीच अपर मुख्य सचिव के टाॅयलेट जाने पर कोर्ट ने फटकारा, कहा- बिना पूछे हिलोगे नहीं
10 जुलाई 2018 को कोर्ट ने गुप्ता को पाया था अवमानना का दोषी। सहायक समीक्षा अधिकारियों की वरिष्ठता सूची बनाने का मामला। कोर्ट ने लगाया 25 हजार का जुर्माना।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने योगी सरकार में अहम स्थान रखने वाले अपर मुख्य सचिव, सचिवालय प्रशासन महेश कुमार गुप्ता को अदालत की अवमानना मामले में कोर्ट के चलने तक कस्टडी में रहने की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 25 हजार का जुर्माना भी लगाया है। वहीं, बिना अनुमति के महेश के कोर्ट से बाहर जाने पर जमकर फटकार भी लगाई। गुप्ता ने गिड़गिड़ाते हुए कहा कि मैं टॉयलेट गया था। इसपर कोर्ट ने बिना पूछे वे कोर्ट से कही नहीं हिलेने का आदेश दिया।
बता दें, जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने डॉ. किशोर टंडन व आठ अन्य की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर पारित आदेश पर गुप्ता को मंगलवार को तलब किया गया। महेश कुमार गुप्ता को सुबह 10.30 बजे ही कस्टडी में ले लिया गया था। करीब 12.30 बजे मामले की सुनवाई दोबारा शुरू हुई। गुप्ता हाथ बंधे कोर्ट के सामने पेश हुए। इस दौरान महेश कुमार के वकील ने कोर्ट से बार-बार दया की विनती की लेकिन गुप्ता के आचरण को देखते हुए सवा चार बजे तक कोर्ट की कस्टडी में रहने की सजा सुना दी।
कोर्ट ने बुलाकर फटकारा, कहा - बिना पूंछे हिलना नहीं
दरअसल, गुप्ता कोर्ट की बिना परमिशन के करीब 1:10 बजे पर कोर्ट रूम से बाहर चले गए। कोर्ट ने उन्हें वापस बुलाकर बुरी तरह फटकारा। गुप्ता ने गिड़गिड़ाते हुए कहा कि मैं टॉयलेट गया था। कोर्ट ने उन्हें एकबार फिर चेताया और कहा कि बिना पूंछे वे कोर्ट से कही नहीं हिलेंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने अपने सुरक्षाकर्मियों को भी फटकारा की बिना अनुमति के गुप्ता के बाहर जाने की हिम्मत कैसे हुई। सुरक्षा कर्मियों को गुप्ता पर नजर रखने का दिया आदेश।
ये है पूरा मालमा
दरअसल, सरकार ने सहायक समीक्षा अधिकारियों की एक वरिष्ठता सूची आठ सितंबर 2015 को बनायी थी जिसे याचीगणों ने कोर्ट में चुनौती दी थी जिस पर उस सूची को 21 सितंबर 2017 को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने, छह माह में नई सूची बनाने का आदेश दिया था। बावजूद इसके कोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी उक्त सूची के तीन अधिकारियों को प्रोन्नति दे दी गई।
10 जुलाई 2018 को इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसे अदालत के आदेश की जानबूझ कर की गई अवमानना मानते हुए, महेश कुमार गुप्ता को तलब किया। महेश कुमार गुप्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर, दो माह में आदेश का अनुपालन करने की बात कहते हुए, हाईकोर्ट के 10 जुलाई 2018 के आदेश पर स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया। इस बीच वरिष्ठता सूची को खारिज करने वाले आदेश को हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील के माध्यम से चुनौती भी दे दी गई। हालांकि दो सदस्यीय खंडपीठ ने महेश के खिलाफ चल रहे अवमानना के मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया।
एक दिन पहले सुनवाई को रोकने का किया था अनुरोध
सोमवार को अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान महेश की ओर से दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील की सुनवाई पूरी होने तक, अवमानना पर सुनवाई को रोकने का अनुरोध किया गया। कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि राज्य सरकार अपने कर्मचारियों के वरिष्ठता निर्धारण में पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं अपना सकती है। कोर्ट ने कहा कि महेश ने जानबूझ कर कुछ कर्मचारियों के साथ वर्तमान मामले में भेदभाव किया व अदालत के आदेश की अवमानना की।
प्रमुख सचिव गृह के खिलाफ नहीं दी अभियोजन की स्वीकृति
आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की ओर से दाखिल मानहानि के परिवाद में शासन ने प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं दी है। अमिताभ ठाकुर ने आरोप लगाया था कि उनके आइजी रूल्स एंड मैनुअल के पद पर तैनात रहने के दौरान कार्य निष्पादन मूल्यांकन रिपोर्ट (पीएआर) में प्रमुख सचिव गृह ने बतौर समीक्षा अधिकारी अनुचित टिप्पणी की थी। आरोप था कि यह मानहानि की श्रेणी में आता है। इसे लेकर कोर्ट में परिवाद दाखिल किया गया था। शासन ने कहा है कि गोपनीय प्रविष्टि कोई सार्वजनिक दस्तावेज नहीं है। यह तथ्य नियोक्ता व कार्मिक के मध्य सीमित है। प्रमुख सचिव गृह ने समीक्षा अधिकारी के तौर पर हासिल अधिकारों के तहत टिप्पणी की थी, न कि व्यक्तिगत क्षमता में। प्रविष्टि के विरुद्ध अमिताभ ठाकुर ने दो जनवरी को अपना प्रत्यावेदन प्रस्तुत किया था, जो अभी निर्णयाधीन है।