हनुमानजी के चरणों में अर्पित फूलों से बनाया हर्बल गुलाल और सुगंधित तेल, पढ़ें- लखनऊ विश्वविद्यालय का शोध
Lucknow University Research लखनऊ विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के प्रोफेसर को एक शोध में बड़ी सफलता मिली है। दरअसल प्रोफेसर और उनकी टीम ने शोध के बाद हनुमान सेतु मंदिर में चढ़े फूलों से हर्बल गुलाल और सुगंधित तेल बनाया है।
लखनऊ, [अखिल सक्सेना]। अब मंदिर, सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर चढ़ाए गए फूलों को इधर-उधर फेंकने की जगह उसका प्रयोग हर्बल गुलाल, सगंधित तेल सहित कई चीजें बनाने में किया जा सकेगा। लखनऊ विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर अमृतेश चंद्र शुक्ला ने अपने शोधार्थियों के साथ इन फूलों की मदद से शोध कर यह निष्कर्ष खोजा है। टीम ने मंदिरों से गुलाब, गेंदा, तुलसी की पत्ती, चमेली के चढ़ाए हुए फूलों का प्रयोग कर पांच से अधिक प्रोडक्ट तैयार कर किए हैं।
प्रोफेसर अमृतेश चंद्र शुक्ल बताते हैं कि भारत के मंदिर, गुरुद्वारों में हर साल लगभग 800 मिलियन टन फूल चढ़ाए जाते हैं। इनमें मुख्यत : लाल गुलाब, पीले गेंदा आदि शामिल हैं। भारत में प्रतिदिन लगभग 300 टन फूलों का कचरा निकलता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी और प्रयागराज धार्मिक गलियारा प्रतिदिन करीब 70-100 टन धार्मिक कचरा उत्पन्न करता है, जिसकी वजह से गंगा नदी का आक्सीजन का स्तर भी कम हो गया है। हालांकि फेंके गए इन फूलों से तमाम तरीके के उत्पाद बनाए जा सकते हैं। इसी दिशा में कार्य योजना बनाकर शोध किया गया है।
हनुमान सेतु से फूल लेकर किया शोध : प्रोफेसर अमृतेश चंद्र शुक्ल बताते हैं कि गुलाब में तेल की मात्रा बहुत कम (0.2- 0.5 फीसद) होती है, इसलिए गुलाब के सुगंधित तेल को डिस्टिल करने के लिए बड़ी मात्रा में गुलाब के फूलों की आवश्यकता होती है। इस शोध की शुरुआत हनुमान सेतु मंदिर में चढ़ाए गए गुलाब-गेंदा के फूलों से की। विभाग की बायोलाजिकल प्रोडक्ट लैब में फूलों को अलग किया। गुलाब के फूलों को सुखाने के बाद हाइड्रो डिस्टलेशन और स्टीम डिस्टिलेशन तकनीक से इन फूलों से सुगंधित तेल निकाला। इस प्रक्रिया में आठ से 16 घंटे का समय लगा।
गुलाब जल, पाउडर भी बनाया : शीशे के जार में पानी डालकर गुलाब की पंखुड़ी डालकर 40 डिग्री तापमान पर गर्म किया। एक से दो घंटे बाद उसका तापमान 60 डिग्री तक बढ़ाया। आठ घंटे की प्रक्रिया के बाद गुलाब जल (रोज वाटर) तैयार किया गया। गुलाब की इन पंखुड़ियों को सुखाकर सुगंधित पाउडर बनाया। प्रो. अमृतेश ने बताया कि गुलाल बनाने के लिए फूलों को अलग-अलग कर साफ किया गया। फिर छांव में उसे सुखाकर करीब दो घंटे तक पानी में उबाला, ताकि उनक रंग निकल सके। इस रंगीन पानी को फिर से अरारोट में मिलाकर उसे सुखाया और गुलाल तैयार हो गया।