Move to Jagran APP

महंत ज्ञानदास के साथ पीएम से मिलने की तैयारी में हाशिम

बाबरी मस्जिद के मुद्दई मो. हाशिम अंसारी ने आज अयोध्या में शाम को अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत ज्ञानदास से उनके आवास, हनुमानगढ़ी पर भेंटकर करने के बाद फिर से रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के सौहार्दपूर्ण हल की संभावनाएं टटोलीं। महंत ज्ञानदास तीन माह बाद अयोध्या लौटे हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 23 Feb 2015 09:31 PM (IST)Updated: Tue, 24 Feb 2015 09:21 AM (IST)
महंत ज्ञानदास के साथ पीएम से मिलने की तैयारी में हाशिम

लखनऊ। बाबरी मस्जिद के मुद्दई मो. हाशिम अंसारी ने आज अयोध्या में शाम को अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत ज्ञानदास से उनके आवास, हनुमानगढ़ी पर भेंटकर करने के बाद फिर से रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के सौहार्दपूर्ण हल की संभावनाएं टटोलीं। महंत ज्ञानदास तीन माह बाद अयोध्या लौटे हैं।

loksabha election banner

हाशिम अंसारी ने इस दिशा में निर्णायक कदम बढ़ाने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की जरूरत पर बल दिया और कहा कि वे लंबे समय से सौहार्द के पक्षधर हैं और इस दिशा में महंत ज्ञानदास जो निर्णय करेंगे, हम उनके साथ हैं। उन्होंने ज्ञानदास पर पूरा भरोसा जताया। महंत ज्ञानदास ने भी बाबरी मस्जिद के मुद्दई के रुख का गर्मजोशी से स्वागत किया एवं सौहार्द की दिशा में प्रधानमंत्री से मिलने के सुझाव में आगे बढऩे की योजना को मूर्त रूप देने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि पहले वे अपने स्तर से प्रधानमंत्री से इस बारे में बात करेंगे और यदि प्रधानमंत्री विवाद के सौहार्दपूर्ण हल के लिए उत्सुक होते हैं, तो वे हाशिम अंसारी के साथ उनसे भेंट कर मसले के सौहार्दपूर्ण हल की मुहिम को आगे बढ़ाएंगे। ज्ञानदास ने स्पष्ट किया कि मसले का सौहार्दपूर्ण हल ही बेहतर विकल्प है और दोनों समुदायों के लोग ऐसा ही चाहते हैं पर ऐसी किसी कोशिश से विहिप को दूर रखना होगा। उन्होंने कहा कि विहिप किसी भी कीमत पर मसले का सौहार्दपूर्ण हल नहीं चाहेगी, क्योंकि इससे उसकी दुकानदारी बाधित होगी और उसका वजूद नफरत फैलाने पर ही टिका हुआ है।

सितंबर 2010 में विवाद का इलाहाबाद हाईकोर्ट से निर्णय आने के वक्त भी महंत ज्ञानदास हाशिम को साथ लेकर सौहार्दपूर्ण हल की कोशिश कर चुके हैं। सूत्रों की मानें तो इस कोशिश में वे काफी आगे बढ़ गए थे और उन्हें दोनों समुदायों के कई दिग्गजों का समर्थन भी मिल रहा था। स्वयं ज्ञानदास का आरोप है कि उस बार भी विहिप ने ही सुलह की कोशिश बाधित कर दी थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.