गुरु रंधावा के नाम रही आइआइएम की आखिरी शाम, रॉक गीतों पर जमकर थिरके छात्र
आइआइएम लखनऊ के तीन दिवसीय आइआइएम मेनफेस्ट का शानदार समापन रॉक गीतों पर जमकर थिरके मैनेजमेंट छात्र।
लखनऊ, जेएनएन। आइआइएम मेनफेस्ट ‘वर्चस्व’ का आखिरी दिन खेलकूद, रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ धमाल भरा रहा। अंतर्नाद के तहत रामलीला बेहद खास रही तो वहीं लीडर्स टॉक में प्रख्यात वक्ताओं ने भावी प्रबंधकों को विपरीत परिस्थितियों और कम संसाधनों में बेहतर करने के टिप्स दिए। खेलों में आइआइएम लखनऊ ने सबको पीछे छोड़ दिया। देर शाम नाइट शो में रॉक सिंगर गुरु रंधावा के गीतों पर छात्र जमकर थिरके।
रविवार को मेनफेस्ट वर्चस्व का शानदार समापन हुआ। तीन दिवसीय समारोह में हुई खेल प्रतियोगिताओं के परिणामों की घोषणा हुई। क्रिकेट में आइआइएम लखनऊ विनर और आइआइएम कोलकाता रनर रहा। फुटबाल में आइआइएम लखनऊ विनर रहा, जबकि एक्सएलआरआइ जमशेदपुर रनर रहा। बॉस्केटबाल में भी आइआइएम लखनऊ विनर रहा और आइआइएम कोलकाता रनर रहा। कबड्डी में आइआइएम कोलकाता विनर और आइआइएम लखनऊ रनर रहा। वॉलीबाल में भी आइआइएम लखनऊ विनर रहा।
केस स्टडी में दिखाई बेस्ट स्ट्रैटजी : तोलाराम स्ट्रैटाथॉन के तहत हुई केस स्टडी प्रतियोगिता में मैनेजमेंट छात्रों को केस स्टडी दी गई। जिस निर्धारित समय के बीच बेहतर ढंग से पूरा करना था।
आज के युग में अगर रामलीला होती, तो किस प्रकार होती यह आइआइएम में आयोजित अंतर्नाद में देखने को मिला। जब, कलाकारों ने मॉर्डन रामलीला को मंच पर उतारा, तो मौजूदा समय में कलाकारों की समस्याओं से भी लोग रूबरू हुए।
रावण एक हजार रुपये के लिए किसी को भी मार सकता है। वहीं मॉर्डन सीता एक पुरुष भी हो सकती है। समंजस्य सभागार में मंचित रामलीला के किरदारों को देख दर्शक भाव-विभोर हो गए। सबसे पहले श्री राम स्वरूप के कलाकारों ने रावण की समस्या विषय पर रामलीला का मंचन किया। उसके बाद बीबीडीयू की टीम ने रामलीला का मंचन किया। शिवकांत शुक्ला और गुरनीत छाबड़ा के निर्देशन में मंचित रामलीला में राम लक्ष्मण परशुराम संवाद और सीता का स्वयंवर प्रसंग मंच पर उतारा। इसमें राम के किरदार में अक्षत और सीता के किरदार में स्मारिका ने लोगों को कुर्सी से उठने नहीं दिया।
वहीं हिमांशु, अनुज, अंकुर, शिवांग, आकाश आदि ने भी शानदार अभिनय किया। उसके बाद एफएमएस दिल्ली की टीम ने रामलीला का मंचन कर सभी को खूब हंसाया। आज की रामलीला को कलाकारों ने नए तरीके से प्रस्तुत किया। इसमें रावण की भूमिका निभा रहे नलिन सिंघल ने अपनी अदाकारी से दर्शकों को हंसाने के साथ उसके पीछे छुपे सामाजिक संदेश को भी सभी के सामने रखा। मॉर्डन युग की रामलीला में एक पुरुष को सीता बनते देख दर्शक अपनी हंसी रोक नहीं सके। अनुभव कटारिया के निर्देशन में तरुण, सचिन, अवनी, पल्लवी, साहिल आदि ने शानदार अभिनय किया।
कविताओं से सराबोर हुई शाम
वार्षिकोत्सव में एक सेशन कविता पाठ का भी रहा, जिसमें मैं और मेरी तन्हाई, जिंदगी ख्वाब है, तुङो खुद से अलग कैसे करूं थीम पर युवाओं ने हिंदी और अंग्रेजी में कविता सुनाईं।