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बाराबंकी में बोलीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मातृभाषा में हो मेडिकल और टेक्निकल एजुकेशन की पढ़ाई

राज्यपाल ने बताया कि मातृभाषा में बच्चे विषय वस्तु को अच्छी तरह से समझ पाते हैं। बताया मैं अंग्रेजी की विरोधी नहीं हूं जिन्हें विदेश जाना है वह जरूर पढ़ें। लेकिन स्थानीय स्तर पर रहने वालों को मातृभाषा में पढ़ने में ही अच्छा लगता है।

By Vikas MishraEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 11:01 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 11:01 PM (IST)
बाराबंकी में बोलीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मातृभाषा में हो मेडिकल और टेक्निकल एजुकेशन की पढ़ाई
राज्यपाल ने सामान्य शिक्षा के साथ ही मेडिकल व टेक्निकल एजुकेशन भी मातृभाषा में दिए जाने पर बल दिया।

बाराबंकी, संवाद सूत्र। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सामान्य शिक्षा के साथ ही मेडिकल व टेक्निकल एजुकेशन भी मातृभाषा में दिए जाने पर बल दिया। उन्होंने इस दिशा में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को महत्वपूर्ण बताया। वह सोमवार को सफेदाबाद के हिंद मेडिकल कालेज के आडीटोरियम में मुस्कान ड्रीम्स संस्था की ओर से आयोजित प्रोजेक्ट डिजिटल कार्यशाला के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रही थीं।

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उन्होंने डिजिटल शाला प्रोजेक्ट का माडल बाराबंकी के 75 स्कूलों में लागू करने पर प्रसन्नता व्यक्त की और और इसे प्रदेश के सभी स्कूलों में लागू किए जाने योग्य बताया। साथ टीबी रोग से मुक्ति के अभियान में जिले में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। शिक्षा के बढ़ते ग्राफ के बावजूद संस्कारों में आ रही गिरावट पर चिंता भी जताई। बोलीं-सौ-दो सौ साल पहले वृद्धाश्रम नहीं हुआ करते थे।

राज्यपाल ने बताया कि मातृभाषा में बच्चे विषय वस्तु को अच्छी तरह से समझ पाते हैं। बताया, मैं अंग्रेजी की विरोधी नहीं हूं, जिन्हें विदेश जाना है वह जरूर पढ़ें। लेकिन, स्थानीय स्तर पर रहने वालों को मातृभाषा में पढ़ने में ही अच्छा लगता है। उन बच्चों को अंग्रेजी पढ़ने के लिए विवश नहीं करना चाहिए, जिनके माता-पिता अंग्रेजी की एबीसीडी नहीं जानते। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कक्षा पांच तक की पढ़ाई मातृ भाषा में कराने की व्यवस्था की गई है।

शिक्षा के साथ स्वास्थ्य भी जरूरी : राज्यपाल ने शिक्षा के साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने पर बल दिया। बताया, शिक्षक की नजर इस बात पर होनी चाहिए कि बच्चे के साथ क्या समस्या है। उन्होंने विद्यालय भ्रमण के अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब वह पहुंची तो दो बच्चियां बेहोश होकर गिर गई थीं। पता चला कि वह दूर से बिना कुछ खाए पैदल आती हैं। दोपहर में एमडीएम का भोजन पाती हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वह बच्चों को भूखे पेट स्कूल न भेजें। भूखा रहने पर बच्चा कुपोषित होगा और वह पढ़ाई में धीमा होगा।

सर्वाइकल कैंसर व थैलेसीमिया से बच्चों को बचाएं : राज्यपाल ने कहा कि महिलाओं में सर्वाइकल व यूट्रेस कैंसर होने की आशंका रहती है। इस रोग से बालक व बालिकाएं दोनों पीड़ित होते हैं। इसलिए मैं चाहती हूं कि सरकार थैलेसीमिया का सभी बच्चों का टेस्ट कराए। विवाह से पहले यह टेस्ट कराकर कुंडली की तरह मिलाएं तभी विवाह करें। कहा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से थैलेसीमिया एक्ट लागू कराने के लिए बात करेंगी। बताया, सर्वाइकल व यूट्रेस कैंसर के निदान के लिए वैक्सीन है। जिसे नौ से 18 आयु वर्ग के मध्य बलिकाओं को लगवाया जाता है। अभिभावक बालिकाओं को जरूर लगवाएं।

वैक्सीन महंगी है लेकिन बालिका के जीवन के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोविड की तरह देश में इसकी वैक्सीन शीघ्र ही सौ-दो सौ रुपये में उपलब्ध होगी। खाद्य रसद एवं नागरिक आपूर्ति राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा व अयोध्या सांसद लल्लू सिंह ने भी संबोधित किया। संचालन आशीष पाठक ने किया। रुदौली विधायक रामचंद्र यादव, डीएम डा. आदर्श सिंह, संयुक्त मजिस्ट्रेट एसडीएम सदर सुमित यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. अमित कुमार सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।

वृद्धाश्रम व कारागार के लिए दिया सामान : राज्यपाल ने भुहेरा स्थित वृद्धाश्रम के लिए 100 कुर्सियां, इंवर्टर व बैटरी तथा वाटर कंटेनर तथा जिला कारागार के बंदियों के लिए दो कूलर व स्क्रीन सहित एक प्रोजेक्टर प्रदान किया।

मिशन उद्भव का विमोचन : संयुक्त मजिस्ट्रेट एसडीएम सदर सुमित यादव के प्रयास से मिशन उद्भव के तहत तहसील नवाबगंज के 75 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास के संचालन से संबंधित पत्रिका का विमोचन भी किया।

प्रतीक चिन्ह स्कूलों के लिए दिए : राज्यपाल को मुस्कान ड्रीम्स संस्था के फाउंडर व सीईओ अभिषेक दुबे व हिंद मेडिकल कालेज की चेयरपर्सन रिचा मिश्रा ने जो प्रतीक चिन्ह प्रदान किया उन्हें विद्यालय में रखने के लिए देवा के बीईओ राम नारायन को प्रदान किया। सीडीओ एकता सिंह ने राज्यपाल को एक जिला एक उत्पादन के तहत चयनित स्टोल प्रदान किया।


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