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हरियाली से खुशहाली का मंत्र दे गईं राज्यपाल, कहा-हर गांव में रोपे जाएं पीपल-बरगद के पौधे

कहा 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं पीपल-बरगद के पेड़। राज्‍यपाल ने नदी के किनारे मवैया गांव के समूह की महिलाओं द्वारा औषधीय वाटिका लगाए जाने की सराहना भी की।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 05:23 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 07:26 AM (IST)
हरियाली से खुशहाली का मंत्र दे गईं राज्यपाल, कहा-हर गांव में रोपे जाएं पीपल-बरगद के पौधे

बाराबंकी, (जगदीप शुक्ल)। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सोमवार को होलीपुरवा मजरे मवैया में कल्याणी नदी के तट पर न सिर्फ पीपल का पौधा रोपा, बल्कि पीपल-बरगद जैसे औषधीय पौधों की उपयोगिता बताते हुए जिंदगी की खुशहाली का सशक्त माध्यम भी बताया। कहा, पौधों से हरियाली के साथ ही खुशहाली भी आती है। सुबह करीब 12 बजे पहुंची राज्यपाल ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के बाद सीधे नदी के तट पर पौधारोपण किया और कल्याणी नदी के प्राकृतिक स्वरूप को निहार कर खुशी जताते हुए पुनरोद्धार कार्य करने वाले श्रमिकों, मवैया व हैदरगंज के ग्राम प्रधानों और प्रशासन की सराहना की। उन्होंने नीम, आम, मौलश्री, जामुन, बरगद, पाकड़, सहजन जैसे औषधीय फलदार और छायादार अच्छे पौधों का रोपने का आह्वान किया। समूह की महिलाओं के विभिन्न प्रजातियों के आर्गेनिक तरीके से औषधीय पौधे रोपने से उनकी जिंदगी में खुशहाली आने की उम्मीद जताई। कहा, औषधीय पौधों से जहां शरीर को रोग मुक्त बनाए रखने में मदद मिलेगी वहीं आर्थिक स्तर में भी मजबूती मिलेगी।

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वृक्षों के अंधाधुंध कटान से पनपीं बीमारियां

एक शिक्षक की तरह समझाते हुए राज्यपाल ने कहा कि वृक्षों के अंधाधुंध कटान से इससे पर्यावरण प्रभावित हुआ और हम बीमार होने लगे। आयुर्वेद को छोड़कर एलोपैथी दवाओं से एक दिन में बुखार ठीक करने की लालसा हमें रोग से ग्रसित करती रही। कोरोना कॉल में आयुर्वेद ने अपनी उपयोगिता सिद्ध की। कहा, फलदार पौधे भी लगाए जाने चाहिए ताकि पक्षियों को भी भोजन मिलता रहे हैं और हमें भी पौष्टिक आहार। उन्होंने विलुप्त हो चुके पक्षियों पर चिंता जताते हुए कहा कि फलदार पौधों के कम होने से तमाम पक्षी हमारे बीच नहीं रहे। कहा, औषधीय, छायादार व अच्छी हवादार वाले पौधे लगेंगे तो मानवजीवन के साथ ही पशु-पक्षियों का जीवन भी सुखमय होगा।

महिला के संघर्ष की सुनाई कहानी

राज्यपाल ने उत्तराखंड की एक पर्यावरण प्रेमी पद्मश्री से विभूषित महिला की कहानी सुनाई। कहा, पहाड़ पर पेड़ काटने वालों को रोकने के लिए संबंधित महिला ने महिलाओं का समूह बनाकर उनसे लोहा लिया। गांव वाले भी जुड़े और पहाड़ पर करीब 25 हजार नए पौधे रोपे गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी जी को जब पता चला तो उन्होंने उन्हें पद्मश्री सम्मान के लिए नामित कराया।

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सोमवार को यहां फतेहपुर ब्लॉक के ग्राम होलीपुरवा मजरे मवैया के तट पर पीपल का पौधा रोपा। पौधरोपण के बाद उन्होंने अपने संबोधन में हर गांव में सौ-पचास पीपल व बरगद के पौधे रोपित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि पीपल व बरगद ऐसे वृक्ष हैं जो 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं। बतौर मुख्य अतिथि के रूप में वन महोत्सव में शिरकत करने पहुंचीं राज्यपाल ने नदी के पुनरुद्धार व पौधारोपण के लिए संबंधित लोगों को सराहा। प्रधानमंत्री के जल संचयन व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज यहा नदी का स्वरूप बहाल हुआ है और पौधे भी रोपित किए गए। कल्याणी सबका कल्याण करेगी। उन्होंने कहा कि कम ऑक्सीजन में श्वांस लेने में दिक्कत होती है। पीपल-बरगद के पेड़ रातों-दिन ऑक्सीजन देते हैं। इसलिए फलदार व अन्य पौधों के साथ ही हर गांव में 100-50 पीपल-बरगद पौधे रोपने चाहिए। औषधीय पौधे रोपने पर बल देते हुए कहा कि कोविड 19 बीमारी से बचना है तो काढ़ा पीना है।

उन्‍होंने नदी के किनारे मवैया गांव के समूह की महिलाओं द्वारा औषधीय वाटिका लगाए जाने की सराहना भी की। उन्होंने हर बच्चे को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करते हुए बालिका शिक्षा पर बल दिया। दहेज प्रथा को मिटाने के लिए पढ़े-लिखे लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया।भाजपा जिलाध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव, सांसद उपेंद्र सिंह रावत, विधायक साकेंद्र प्रताप वर्मा, शरद अवस्थी, सतीश चंद्र र्श्मा, बैजनाथ रावत, बछरावां विधायक राम नरेश रावत, डीएम डॉ. आदर्श सिंह, सीडीओ मेधा रूपम, एसपी डॉ. अरविंद चतुर्वेदी, डीएफओ एनके सिंह आदि शामिल रहे।

उल्लेखनीय है कि विलुप्त हो रही कल्याणी नदी को मवैया गांव में मनरेगा से दोबारा खोदवाकर प्राकृतिक स्वरूप देने का काम किया गया है। मवैया में 2600 मीटर नदी की सिल्ट सफाई के बाद पड़ोस की ग्राम पंचायत हैदरगंज में भी काम चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में कल्याणी नदी की सिल्ट सफाई में प्रवासी श्रमिकों के योगदान को सराहा था। इसके बाद उत्साहित अधिकारियों वन महोत्सव का आयोजन कर वृहद पौध रोपण कराया। 


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