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कृषि कुंभ : कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस संचालकों को मंडी खोलने के लिए लाइसेंस देगी सरकार

राज्य सरकार निजी क्षेत्र में मंडियों की स्थापना को बढ़ावा देगी। इसके लिए कोल्ड स्टोरेज व वेयरहाउस संचालकों को मंडियां स्थापित करने के लाइसेंस दिये जाएंगे।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 07:53 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 07:58 PM (IST)
कृषि कुंभ : कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस संचालकों को मंडी खोलने के लिए लाइसेंस देगी सरकार
कृषि कुंभ : कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस संचालकों को मंडी खोलने के लिए लाइसेंस देगी सरकार

लखनऊ (जेएनएन)। राज्य सरकार अब निजी क्षेत्र में मंडियों की स्थापना को बढ़ावा देगी। इसके लिए किसानों और कोल्ड स्टोरेज व वेयरहाउस संचालकों को कृषि उपज की मंडियां स्थापित करने के लिए लाइसेंस दिये जाएंगे। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय कृषि कुंभ के समापन समारोह में रविवार को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने यह एलान किया।

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एक बार जमा करने का प्रावधान 

शाही ने कहा कि किसी ब्लॉक में यदि कोई किसान अपनी जमीन पर मंडी स्थापित करना चाहता है तो सरकार इसके लिए उसे लाइसेंस देगी। वहीं प्रदेश में निजी क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज या वेयरहाउस (गोदाम) संचालित करने वाले लोग यदि अपनी जमीन पर मंडी स्थापित करना चाहते हैं तो सरकार उन्हें भी इसके लिए लाइसेंस देगी। किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने लाइसेंस फीस सिर्फ एक बार जमा करने का प्रावधान कर दिया है। 

गोदाम स्थापना के लिए प्रोत्साहन 

शाही ने बताया कि सरकार फार्मर्स प्रोड्यूसर्स आर्गेनाइजेशन (एफपीओ) को प्रदेश में गोदामों की स्थापना के लिए प्रोत्साहन देगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक वर्ष पहले रजिस्ट्रेशन कराकर काम कर रहे 100 एफपीओ में से प्रत्येक को राज्य सरकार इस साल 60 लाख रुपये अनुदान देगी। यह अनुदान बीजों के एक प्रोसेसिंग प्लांट और 500 मीट्रिक टन क्षमता के गोदाम की स्थापना के लिए दिया जाएगा। एफपीओ को गोदाम और प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना के लिए प्रोत्साहन देने पर सरकार इस साल 60 करोड़ रुपये खर्च करेगी। 

उपज बेचने पर नहीं देना होगा मंडी शुल्क

कृषि विपणन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाती सिंह ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य मिले, इसके लिए सरकार ने मंडी अधिनियम में संशोधन किया है। मंडी अधिनियम में हुए संशोधन के कारण अब किसान किसी भी मंडी में अपनी उपज बेच सकते हैं। क्रेता सीधे किसानों से उनकी उपज खरीद सकते हैं। यदि कोई किसान सीधे उपभोक्ताओं को कृषि उत्पाद बेचता है तो उसे मंडी शुल्क नहीं देना होगा।


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