अब होटल-गेस्ट हाउस भी हो जाएं अलर्ट, साउंड लेवल 55 डेसीबल क्रॉस तो होगा सीज
मानकों को ताक पर रखकर चल रहे थे प्रिंटिंग प्रेस। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नोटिस के बावजूद हो रहा था संचालित। आवासीय इलाके में चल रहा था प्रेस।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। अब शहर में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने को लेकर मानकों को ताक पर रखकर चल रहे प्रिंटिंग प्रेस, होटल, गेस्ट हाउस पर प्रशासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में बुधवार को पहली बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने कैंट रोड इलाके में चल रहे प्रिंटिंग प्रेस को बंद करा दिया। इस दौरान संचालक के समर्थन में तमाम वकील सीलिंग के खिलाफ हंगामा करने लगे, लेकिन प्रशासन की के चलते उन्हें बैरंग लौटना पड़ा।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नोटिस के बावजूद हो रहा था संचालित
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रशासनिक अफसरों की टीमों को भी निगरानी का जिम्मा सौंपा है। सिटी मजिस्ट्रेट विवेक कुमार के मुताबिक, कैंट रोड पुराना किला इलाके में सीता आफसेट नाम से प्रिंटिंग प्रेस चल रहा था। आवासीय इलाके में अधिकतम 55 डेसीबल तक ध्वनि विस्तारित कर सकते हैं, लेकिन यहा पर इसका स्तर 78 डेसीबल पाया गया। प्रेस में इस्तेमाल की जा रही स्याही भी नालियों में बहाई जा रही थी, जिससे दूसरे कारक भी प्रदूषित हो रहे थे। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने प्रेस को नोटिस भेजी थी, लेकिन संचालक ने इसका संज्ञान नहीं लिया और सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया। आखिरकार प्रशासन को प्रेस पर ताला लगाना पड़ा।
होटलों और गेस्ट हाउस संचालकों को दिया अल्टीमेटम
वीवीआइपी और साइलेंट जोन में ध्वनि प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए प्रशासन कुछ और कदम उठाने जा रहा है। कानफोडू शोर से लोगों को राहत मिले इसकी खातिर प्रशासन ने होटलों और गेस्ट हाउस संचालकों को अल्टीमेटम दिया है। डीएम ने साफ कहा है कि अगर एक चेतावनी के बाद सुधार नहीं किया तो फिर सीधे सीलिंग की कार्रवाई होगी।
कई और निशाने पर
सिटी मजिस्टेट के अनुसार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से उन संस्थानों की सूची मागी है, जिन्होंने नोटिस के बावजूद अब तक सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। प्रशासन को उम्मीद है कि तीन-चार दिनों में सूची मिल जाएगी, जिसके बाद संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई होगी।