सांसद रवि किशन की पहल से भोजपुरी को सांविधानिक दर्जा मिलने की जगी उम्मीद Lucknow News
गोरखपुर के सांसद व भोजपुरी सिने स्टार रवि किशन ने भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की।
लखनऊ, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जब पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की चुनावी रैलियों में भाषण की शुरुआत भोजपुरी में की तो यह उम्मीद जगी कि इस भाषा को सांविधानिक दर्जा मिलेगा। उनकी सरकार की दूसरी पारी शुरू हो गई पर, यह सपना ही रह गया। सोमवार को गोरखपुर के सांसद व भोजपुरी सिने स्टार रवि किशन ने भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की लोकसभा में मांग उठाई तो एक बार फिर भोजपुरी को सांविधानिक दर्जा मिलने की उम्मीद जगी है।
दरअसल, भोजपुरी को सांविधानिक मान्यता दिलाने का वादा भाजपा और उसके सहयोगी दल के बड़े नेता करते रहे हैं। पिछली सरकार में राजधानी के शकुंतला मिश्र विश्वविद्यालय में भोजपुरी सेंटर का उद्घाटन करने आये रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने का भरोसा दिया था। सांसद चुने जाने के बाद रवि किशन भोजपुरी में शपथ लेना चाहते थे लेकिन, संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल न होने से उनको इजाजत नहीं मिल सकी। इसलिए अब वह भोजपुरी पट्टी के सांसदों, साहित्यकारों और आमजन की ओर से प्रधानमंत्री तक गुहार लगा रहे हैं। वह निजी विधेयक लाने की भी तैयारी में हैं।
ऐसा नहीं कि भोजपुरी को सांविधानिक मान्यता दिलाने की लड़ाई की शुरुआत रवि किशन कर रहे हैं। दशकों पहले उप्र और बिहार के कई सांसद भोजपुरी के लिए निजी विधेयक भी पेश कर चुके हैं। जन भोजपुरी मंच के संयोजक और काशी हिंंदू विश्वविद्यालय हिंंदी विभाग के प्रोफेसर सदानंद शाही की अगुवाई में एक करोड़ से अधिक लोगों ने ट्विटर और पत्रों के जरिये प्रधानमंत्री से अपनी मांग रखी है।
प्रोफेसर शाही कहते हैं 'पिछलका बार मोदी प्रधानमंत्री बनलें तब ई उम्मीद जगल कि भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में शामिल कईल जाई लेकिन, अब बहुत देर हो गईल बा। एके मान्यता दिहले से हिंंदी मजबूत होई। करोड़ों-करोड़ भोजपुरिया समाज के भी खुशी मिली।
करीब 50 लोकसभा क्षेत्रों में भोजपुरी का प्रभाव
पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड मिलाकर देश के करीब 50 लोकसभा क्षेत्रों में भोजपुरी का प्रभाव है। यद्यपि भोजपुरी पट्टी के ही कई हिंदी साहित्यकार तर्क देते हैं कि यदि भोजपुरी खड़ी हुई तो हिंदी टूट जाएगी लेकिन, भोजपुरी के पैरोकारों का कहना है कि हिंदी इतनी कमजोर नहीं है कि भोजपुरी उसे तोड़ देगी। भोजपुरी के विकास से हिंदी समृद्ध होगी। गंगा का दायरा इसलिए बहुत बड़ा है क्योंकि उसमें बहुत सी नदियां मिलती है। अब संकेत मिल रहे हैं कि भोजपुरी पट्टी के सांसद एकजुट होकर इसके विकास की मांग उठाएंगे।
भोजपुरी मगधी का अपभ्रंश
भोजपुरी का उदय बिहार के भोजपुर से हुआ। राजा भोज के नाम पर भोजपुर पड़ा और वहीं भोजपुरी बोली का विकास हुआ। विद्वान मानते हैं कि भोजपुरी मगधी का अपभ्रंश है। विश्व पटल पर इसका विस्तार है। 1901 में अंग्रेजों ने एग्रीमेंट कर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को मजदूर के रूप मेंं फिजी, सूरीनाम, गुयाना, मारीशस, टोबैगो, त्रिनिदाद जैसे देशों में ले गये और आज भोजपुरी वहां की समृद्ध भाषा है। उन देशों के लोग उप्र और बिहार में अपनी जड़ों की तलाश में आते हैं और भोजपुरी ही उनकी भाषा होती है।