गोरखनाथ मंदिर में बेइंतहा खुशी के साथ योगी से बिछुडऩे की कसक
गोरक्षपीठाधीश्वर के मुख्यमंत्री बनने से सब बेइंतहा खुश थे, पर कसक इस बात की थी कि अब उन्हें महाराज का उतना समय नहीं मिलेगा। सुबह-शाम मुस्कराते हुए अब रोज हाल-चाल कौन पूछेगा।
गोरखपुर [गिरीश पांडेय]। इस बार बहुत कुछ माहौल विदाई जैसा था। मंदिर और उसकी व्यवस्था से जुड़े महत्वपूर्ण लोग अपने चहेते महाराज (मुख्यमंत्री महंत आदित्यनाथ योगी) के सामने थे। गोरक्षपीठाधीश्वर के मुख्यमंत्री बनने से सब बेइंतहा खुश थे, पर कसक इस बात थी कि अब उन्हें महाराज का उतना समय नहीं मिलेगा। सुबह-शाम मुस्कराते हुए रोज हाल-चाल पूछना तथा चुनिंदा लोगों से हास-परिहास जैसी रोजमर्रा की चीजें अब अतीत की बातें हो जाएंगीं। मुख्यमंत्री के रूप में आएंगे भी तो बदली व्यवस्था में यह सब उस तरह नहीं हो पाएगा।
समस्या लेकर आने वालों को भरसक संतुष्ट करके ही भेजें
मंदिर में प्रवास के दौरान योगी ने भी अपने भरे-पूरे पीठ परिवार की भावनाओं को समझा। बोले मैं अब यहां अधिक समय नहीं दे सकूंगा। मेरे न रहने पर भी रूटीन के सारे काम बेहतर तरीके से होने चाहिए। समस्या लेकर आने वालों को भरसक संतुष्ट करके भेंजे। जो समस्या मेरे स्तर की है, उसे समाधान के लिए मेरे पास भेजें। अनुरोध आया कि मंदिर में मुख्यमंत्री का एक कैंप कार्यालय बन जाता तो बेहतर होता। जवाब आया कि शीघ्र ही ऐसा होगा।
तीन बजे जागे, योग-साधना के बाद मठ ने नीचे उतरे
अपने मठ में निवास के दौरान योगी रोज की तरह तड़के तीन बजे सोकर उठ गए। स्नान-ध्यान, योग एवं साधना के बाद करीब पांच बजे नीचे उतरे। पहले गुरु गोरखनाथ और फिर क्रम से मंदिर स्थित सभी देवी देवताओं की पूजा की। साथ ही पूरे मंदिर परिसर की परिक्रमा भी।
गोशाला भी पहुंचे
मंदिर भ्रमण के दौरान योगी गोशाला भी पहुंचे। गायों खासकर बच्चों ने उनको घेर लिया। सबमें पास आने की होड़ मची थी। योगी ने किसी को सहलाया, किसी को थपकी दी। कुछ को नाम से पुकारा। कुछ को मीठी झिड़की भी दी। पसंद के अनुसार कुछ को गुड़ खिलाया तो कुछ को बिस्कुट और हरा चारा। इस समय तक सुबह के करीब 6.30 बज चुके थे।
नीचे एवं ऊपर के कक्ष में जारी रहा मुलाकात का सिलसिला:
शनिवार की तरह ही कुछ लोगों ने पीठाधीश्वर के नीचे के कक्ष में मुलाकात की तो कुछ लोगों से वह ऊपर के कक्ष में मिले। मिलने वालों में अधिकतर लोग महाराणा शिक्षा परिषद, गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय और अन्य संस्थाओं से जुड़े लोग ही थे। उन्हें मिलाने में अरुणेश शाही सेतु का काम करते दिखे। मिलने वाले खास लोगों में जस्टिस केडी शाही, मदनमोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओंकार सिंह, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीकांत पांडेय, अयोध्या के महंत सुरेश दास आदि प्रमुख रहे।
द्वारिका तिवारी, प्रो. यूपी सिंह एवं डॉ.प्रदीप की जिम्मेदारी बढ़ी
योगी के न रहने पर भी रोजमर्रा के काम आसानी से हों, इसके लिए दायित्व भी बांट दिए गए। मंदिर कार्यालय के प्रभारी द्वारिका तिवारी पहले की ही तरह मंदिर परिसर और इसमें स्थित सभी संस्थाओं का काम देखते रहेंगे। रूटीन के कामों में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए वित्तीय अधिकार बिल, बाउचर, दस्तावेजों और चेकों पर दस्तखत का अधिकार महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और पूर्व कुलपति प्रो.यूपी सिंह को दिया गया। वे सुबह कुछ समय तक मंदिर के कार्यालय में भी बैठेंगे। महाराणा प्रताप पीजी कालेज जंगल धूसड़ के प्राचार्य डा.प्रदीप राव परिषद से जुड़ी शिक्षण संस्थाओं की निगरानी करेंगे। शाम को कुछ समय वह भी मंदिर के कार्यालय में बैठेंगे।
देर रात तक निबटाया काम
रात करीब सात बजे योगी बतौर मुख्यमंत्री पहली बार गोरक्षपीठ में पहुंचे थे। गुरु गोरखनाथ के दर्शन और ब्रह्मलीन पीठाधीश्वरों की समाधि पर पुष्पांजलि के बाद करीब घंटे भर तक मठ की पहली मंजिल स्थित गोरक्षपीठाधीश्वर के कक्ष में बैठकर लोगों से मिले। इसके बाद ऊपरी मंजिल के कक्ष में भी रात करीब दस बजे तक प्रमुख लोगों से मिलने का सिलसिला जारी रहा। इसके बाद सबके साथ भोजन किया। इसके बाद भी कुछ देर तक अपने कक्ष में पीठ से जुड़ी संस्थाओं के तमाम लंबित कामों का निस्तारण किया और सोने चले गए।