Ayodhya Ram Mandir: भक्तों के लिए खुशखबरी, सामने आई निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर की फोटो; ट्रस्ट ने ट्विटर पर की अपलोड
Ayodhya Ram Mandir रामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय के आधिकारिक ट्विटर हेंडल राम मंदिर निर्माण की ताजा तस्वीरें अपलोड की गई हैं। यह तस्वीरें गर्भगृह की निर्माणाधीन दीवार की है। निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।
अयोध्या, संवाद सूत्र। Ayodhya Ram Mandir रामजन्मभूमि स्थल पर गगनचुंबी भव्य राम मंदिर आकार लेने लगा है। गर्भगृह का 45 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है। नित्य प्रति चल रहे निर्माण से मंदिर की भव्यता लोगों को आकर्षित भी करने लगी है। दिसंबर 2023 तक रामलला का भव्य दिव्य गर्भगृह बनकर तैयार हो जाएगा। साथ ही मंदिर का प्रथम तल भी पूरा हो जाएगा। इसी के बाद शुभ मुहूर्त पर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट रामलला काे उनके नए मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित करने का आयोजन करेगा। फिर भक्त नए गर्भगृह में रामलला का दर्शन पूजन कर सकेंगे। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने बुधवार को मंदिर निर्माण के कई आकर्षक चित्र जारी किए हैं।
नौ नवंबर 2019 को सुप्रीम फैसला आया तो करोड़ों रामभक्तों में मंदिर निर्माण की साध पूरी होने की उत्कंठा भी जग गई। पांच अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना महामारी के बीच पूरे कोविड प्रोटोकाल के साथ अयाेध्या आकर मंदिर के गर्भगृह स्थल पर पूजा अर्चना कर राम मंदिर की आधार शिला रखी। लार्सन एंड टुब्रो को मंदिर और परकोटा (प्राचीर) के निर्माण का ठेका दिया गया। टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स सलाहकार के रूप में नियुक्त हुआ। कालजयी मंदिर निर्माण की नींव तैयार करने के लिए विभिन्न आइआइटी के विज्ञानियों ने मिलकर मंदिर नींव की डिजाइन तैयार की। नवंबर-2020 में एक विशेषज्ञ समिति नींव डिजाइन के लिए गठित हुई।
नेशनल जियो रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) हैदराबाद की रिपोर्ट पर निर्धारित मंदिर स्थल व आसपास लगभग छह एकड़ भूमि से लगभग 1.85 लाख घनमीटर मलबा और पुरानी ढीली मिट्टी को हटाया गया। इस काम में करीब तीन माह का समय लगा। गर्भगृह में 14 मीटर व उसके चारों ओर 12 मीटर की गहराई तक मलबा व बालू हटाई गई। इसके बाद तैयार गड़डे को विशेष इंजीनियरिंग मिश्रण से भरा गया। गर्भगृह में 56 परत और शेष क्षेत्र में 48 लेयर में इसकी फिलिंग हुई। यह कार्य अप्रैल 2021 से सितंबर 2021 तक हुआ, जिसमें छह माह का समय लगा।
अक्टूबर 2021 से जनवरी 2022 के मध्य भूमिगत सतह की ऊपरी सतह पर राफ्ट ढलाई हुई। इन दो प्रक्रिया के पूरा होने के बाद संयुक्त रूप से मंदिर के सुपर स्ट्रक्चर की नींव तैयार हो सकी। जनवरी 2022 को राफ्ट ढलाई पूरी हुई। प्लिंथ निर्माण कार्य 24 जनवरी 2022 को शुरू हुआ, जो सितंबर में समाप्त हुआ। प्लिंथ को राफ्ट के ऊपर 6.5 मीटर की ऊंचाई तक उठाया गया।
इसमें कर्नाटक और तेलंगाना के ग्रेनाइट पत्थर के17 हजार ब्लाक लगे। इस बीच प्लिंथ के साथ गर्भगृह निर्माण शुरू हो गया था, जो अब धीरे धीरे गगनचुंबी आकार ले रहा है। इसमें राजस्थान की गुलाबी रंग की गढ़ी शिलाओं का प्रयोग किया जा रहा है। एक शिला दूसरे से तांबे के तार से जोड़कर निर्धारित आकार प्रदान किया जा रहा है। गर्भगृह की दीवारें तैयार की जा रही हैं।