सर्जरी से लेकर फैक्टरी में बेटियां, हर क्षेत्र में युवकों को दे रही चुनौतियां
मैकेनिकल और सिविल इंजीनियरिंग के साथ मेडिकल में ट्रेडिशनल स्ट्रीम से हटकर ले रहीं दूसरी जगहों पर दाखिला। ट्रामा सर्जरी और पीडियाटिक मेडिसिन के साथ टेक्निकल फील्ड में प्रमुख पदों पर महिलाएं।
लखनऊ[राफिया नाज ]। सिविल इंजीनियरिंग हो या इलेक्टिकल, न्यूरोलॉजी हो या पीडियाटिक। मेडिकल से लेकर इंजीनियरिंग और सर्जरी से लेकर फैक्ट्री, हर जगह युवतिया न सिर्फ युवकों के एकाधिकार का मिथक तोड़ रहीं हैं, बल्कि उनका बेहतर प्रदर्शन युवकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं। किसी को मजबूत बिल्डिंग की तकनीक समझनी, तो कोई हर रोज कुछ नया सीखना चाहती है। वजह कुछ भी हो, लेकिन संघर्ष जारी है। कहीं मंजिल मिल चुकी है तो कहीं सफर जारी है। आज आपको बता रहे हैं ऐसी ही कुछ युवतियों के बारे में जो चुनौती भरे क्षेत्रों में हैं या जाने वाली हैं। लेडी डॉक्टर मतलब गायनी नहीं
केजीएमयू नॉन पीजी जेआर पारुल उपाध्याय बताती हैं, गायनी के साथ अब क्लीनिकल और नॉन क्लीनिकल दोनों क्षेत्र में लेडी डॉक्टर बेहतर कर रही हैं। ट्रामा सर्जरी में अपना करियर बनाना चाहती हूं। अब ऐसा नहीं है कि लेडी डॉक्टर हो तो गायनेकोलॉजिस्ट हों। रुचि और क्षमता का रखें ध्यान
केजीएमयू नॉन पीजी जेआर अनामिका के मुताबिक, सर्जरी हो या मेडिसिन, सभी क्षेत्र में महिलाएं बेहतर कर रही हैं। भीड़ के साथ जाने के बजाए जो पसंद हो वही करना चाहिए। मैं गायनी के बजाए स्किन डर्मा को वरीयता दूंगी। फील्ड चुनने से पहले इंट्रेस्ट, क्षमता का आकलन करना चाहिए।
भाई के साथ ठीक करती थी ट्यूबवेल
मैकेनिकल इंजीनियरिंग अर्पिता का कहना है कि शुरू से ही मशीनों का शौक था। घर में कुछ भी टूटता-फूटता था तो मैं खुद ठीक करती थी। कई बार भाई के साथ घर का ट्यूबवेल भी ठीक किया था इसलिए मैंने यह टेक्निकल कोर्स सीखा है। लड़के कर सकते हैं तो लड़किया क्यों नहीं
इलेक्टिकल इंजीनियरिंग नेहा ने बताया, बिजली तार व करंट इलेक्टिकल इंजीनियरिंग का हिस्सा है। घर के छोटे मोटे काम करना मुडो शुरू से ही पसंद था। मेरे मामा इलेक्ट्रीशियन थे उनसे यह काम सीखा था। बाद में कॅरियर के तौर पर चुना। मुझे लड़के चिढ़ाते थे कि यह फील्ड लड़कों की है। बिल्डिंग की खूबसूरती नहीं मजबूती में है इंट्रेस्ट
सिविल इंजीनियरिंग अर्चना गौतम बताते हैं, अधिकतर लड़किया इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स करती हैं लेकिन मुडो शुरू से बड़ी बिल्डिंगों को देखकर यह लगता था कि यह कितनी मजबूती से टिकी होंगी। घर में भी कभी कुछ टूट फूट हो रही हो तो मैं उसमें मदद करती थी।