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लखनऊ में पुलिसवर्दी में आत्मसमर्पण करने पहुंंचा था गैंगेस्‍टर व‍िकास का भाई दीप, पूछताछ में बताई ये बातें

जेल में पूछताछ के दौरान पुलिस को आरोपित ने सारी बात बताई है। आरोपित ने बताया कि वह पहले दिन असफल होने पर अगले दिन मंकी कैप और मोटी जैकेट पहनकर कोर्ट परिसर में पहुँचा था। इस दौरान पुलिसकर्मी उसे पहचान नहीं सके।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 09:44 AM (IST)
कुख्यात विकास दुबे के भाई पर घोषित था इनाम, कुर्की के बाद किया था समर्पण।

लखनऊ, [ज्ञान बिहारी मिश्र]। कुख्यात विकास दुबे का भाई न्यायालय में आत्मसमर्पण करने के लिए पुलिस की वर्दी में पहुँचा था। आरोपित ने टोपी भी लगाई थी। हालांकि उसने पुलिस का बैज, लोगो और बेल्ट नहीं पहना था। पहले दिन पुलिस के सतर्क हो जाने पर वह पुलिसकर्मियों की आंख में धूल झोंककर उन्हीं के सामने से निकल गया था। हालांकि दूसरे दिन दीप प्रकाश उर्फ दीपक दुबे ने दोबारा वेश बदलकर गेट नम्बर आठ से दोबारा प्रवेश किया और न्यायालय में समर्पण कर दिया था।

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जेल में पूछताछ के दौरान पुलिस को आरोपित ने सारी बात बताई है। आरोपित ने बताया कि वह पहले दिन असफल होने पर अगले दिन मंकी कैप और मोटी जैकेट पहनकर कोर्ट परिसर में पहुँचा था। इस दौरान पुलिसकर्मी उसे पहचान नहीं सके और आसानी से उसने समर्पण कर दिया था। फिलहाल कृष्णानगर पुलिस आरोपित के बयान दर्ज कर रही है। हालांकि अभी तक पुलिस आरोपित के नाम से दर्ज असलहे को बरामद नहीं कर सकी है। पुलिस उसी प्रतिबंधित असलहे की तलाश में है, जिसके साथ वर्ष 2017 में विकास दुबे पकड़ा गया था। विकास के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई हुई थी। इसी मामले में शिथिल पर्यवेक्षण के कारण एसआइटी ने तत्कालीन इंस्पेक्टर कृष्णानगर को लघु दंड का दोषी माना है, जिसपर कार्यवाही प्रचलित है। पुलिस को चकमा देकर दीप प्रकाश ने न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था, जिसके बाद माना जा रहा था कि आरोपित को पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिया जाएगा। हालांकि अभी तक पुलिस दीप प्रकाश की कस्टडी रिमांड नहीं ले पाई है।

गुमराह कर रहा आरोपित

सूत्रों के मुताबिक आरोपित दीप प्रकाश पुलिस को लगातार गुमराह कर रहा है। वह कहां छिपा रहा, किन लोगों ने उसकी मदद की और कैसे उसने आत्मसमर्पण किया, इन सभी बिंदुओं पर आरोपित गोलमोल जवाब दे रहा है। यहां तक की पुलिस को वह अपने लाइसेंसी असलहे के बारे में भी जानकारी नहीं दे रहा। पुलिस का दावा है कि जल्द ही आरोपित के नाम से दर्ज असलहे को बरामद कर लिया जाएगा।

ये है मामला

गैंगेस्टर विकास दुबे ने दो जुलाई की रात कानपुर के बिकरु गांव में दबिश पर गए पुलिसकर्मियों पर साथियों संग हमला बोल दिया था। हमले में डिप्टी एसपी समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। विकास दुबे को उज्जैन से एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। इस बीच कानपुर में आरोपित ने भागने की कोशिश की थी और मुठभेड़ में मारा गया था। उधर, दीप प्रकाश बिकरु कांड के बाद से ही फरार था। आरोपित पर इनाम भी घोषित था। 21 दिसंबर को उसके मकान की कुर्की हुई थी, जिसके बाद 23 दिसंबर को दीप प्रकाश ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था।आरोपित दीप प्रकाश के खिलाफ कृष्णानगर कोतवाली में धोखाधड़ी, रंगदारी व धमकी समेत अन्य धाराओं में एफआइआर दर्ज हुई थी। वहीं एसआइटी की रिपोर्ट के बाद कृष्णानगर कोतवाली में विकास दुबे का जमानत कराने के दौरान उसपर दर्ज अपराधिक मामलों की जानकारी कोर्ट में न देने पर दीप प्रकाश के खिलाफ एक और एफआइआर दर्ज की गई थी, जिसमें वह फरार था।


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