जाने योगी कैबिनेट के मंत्रियों का पूरा विवरण
योगी के मंत्रिमंडल में 22 कैबिनेट, नौ स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री तथा 13 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली। आइये जानते हैं योगी कैबिनेट में शामिल मंत्रियों का पूरा प्रोफाइल-
लखनऊ (जेएनएन)। योगी आदित्यनाथ ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। गोरक्षनाथ पीठ के महंत व सांसद योगी आदित्य नाथ योगी ने प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डां दिनेश शर्मा समेत 47 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने शपथ ली। योगी के मंत्रिमंडल में 22 कैबिनेट, नौ स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री तथा 13 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली। आइये जानते हैं योगी कैबिनेट में शामिल मंत्रियों का पूरा प्रोफाइल-
केशव प्रसाद मौर्य-- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व ङ्क्षहदू परिषद और बजरंग दल में सक्रिय रहे केशव प्रसाद मौर्य पहली बार 2002 में इलाहाबाद पश्चिम सीट से चुनाव लड़े परंतु जीत हासिल न कर सके। 2012 में अपने पैतृक क्षेत्र सिराथू से लड़े और जीत गए। वर्ष 2014 की मोदी लहर ने केशव प्रसाद को लोकसभा का सदस्य बना दिया। जिला कौशांबी के कसिया गांव में जन्मे केशव ने अप्रैल 2016 में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली है। प्रखर हिन्दुत्ववादी नेता की छवि वाले केशव ने चाय की दुकान से डिप्टी सीएम तक सफर तय किया है।
- महापौर डा. दिनेश शर्मा- लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य से भी जुड़े है। नगर निगम की सियासत के साथ ही डा. दिनेश शर्मा को संगठन चलाने का भी अच्छा खासा अनुभव है। वर्तमान में भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने वाले दिनेश गुजरात राज्य के संगठन प्रभारी भी है। भारतीय जनता युवा मोर्चा अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए लोकप्रिय रहे दिनेश उप्र मेेयर काउंसिल के अध्यक्ष भी रहे है। अपनी स्वच्छ और जुझारू छवि के बल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नजदीकी बने दिनेश अब नई सियासी पारी के लिए तैयार है।
1- सतीश महाना
जन्म :14 अक्टूबर 1960
जन्म स्थान : हरजेन्दर नगर, कानपुर
शिक्षा : बीएससी, क्राइस्ट चर्च कालेज कानपुर
पत्नी : अनीता महाना
पुत्र : करन महाना
पुत्री : नेहा महाना
राजनीतिक कॅरियर : सतीश महाना वर्ष 1991 में कैंट विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने। इसके बाद 1993, 1996, 2002, 2007 में लगातार कैंट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते। परिसीमन के बाद वह महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र से 2012 में चुनाव लड़े। महाराजपुर से 2017 में दोबारा चुनाव जीते। इस बीच वर्ष 1996 में वह नगर विकास राज्यमंत्री भी रहे। वर्ष 2009 में सतीश महाना ने कानपुर संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा जिसमें वह पराजित हो गए।
संगठन में कार्य : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्कार सतीश महाना को बचपन से अपने पिता स्वर्गीय राम अवतार महाना से मिले थे। वह संघ में काफी सक्रिय थे। सतीश महाना के राजनीतिक जीवन की शुरुआत बजरंग दल और आरएसएस में शहर स्तर के पदाधिकारी के रूप में हुई।
2-सत्यदेव पचौरी
जन्म : 12 अगस्त, 1948
जन्म स्थान : भिंड (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एमएससी केमेस्ट्री, वीएसएसडी कालेज कानपुर।
पत्नी : रमापति पचौरी।
पुत्री : रितु पचौरी, नीतू पचौरी।
पुत्र : अनूप पचौरी।
राजनीतिक कॅरियर : 1991 में आर्यनगर विधानसभा से चुनाव जीते। 1993, 1996 में आर्यनगर विधानसभा से चुनाव हारे। 2004 में लोकसभा चुनाव हारे। 2012 में गोविंद नगर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव जीते। 2017 में दोबारा गोविंद नगर में चुनाव जीते।
संगठनात्मक कार्य : 1968 से भारतीय जनसंघ से कार्य शुरू किया। 1972 में वीएसएसडी कालेज में विद्यार्थी परिषद के प्रत्याशी के रूप में छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जीता। 1980 से भाजपा में विभिन्न पदों पर रहे। भाजपा अनुशासन समिति के प्रदेश अध्यक्ष रहे। भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष रहे।
3- चेतन चौहान
विधायक अमरोहा की नौगावां सीट
उम्र : 69
जन्म स्थान : बरेली
मूल निवास : मुरादाबाद का मूंढापांडे
शिक्षा : पूना यूनिर्वसिटी से परास्नातक
व्यवसाय : पूर्व क्रिकेटर के साथ बैंक आफ बडौदा में रीजनल मैनेजर भी रहे हैं। वर्तमान में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी के चेयरमैन भी हैं। गजरौला औद्योगिक क्षेत्र में नेशनल हाईवे-24 पर उनकी कोरल न्यूज प्रिंट के नाम से औद्योगिक इकाई भी है।
राजनीतिक जीवन : 2017 के भाजपा के टिकट पर अमरोहा जनपद की नौगावां सादात सीट से विधायक चुने गए। सपा के जावेद आब्दी को 20648 मतों से हराया। 1991 और 1998 में अमरोहा लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने। बडे भाई सुरेश प्रताप सिंह व नरेश प्रताप सिंह चौहान भी क्षेत्रीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं
4- सिद्धार्थनाथ सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के नाती हैं। इलाहाबाद की शहर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में पहली बार भाजपा को जीत दिलाने का श्रेय है। यह प्रतिष्ठित कायस्थ परिवार से आते हैं। इनके पिता स्व. विजयनाथ सिंह के बड़े भाई चौ. नौनिहाल सिंह प्रदेश की एनडी तिवारी एवं वीपी सिंह सरकार में कद्दावर मंत्री रहे हैं। एक अक्टूबर 1963 नई दिल्ली में जन्में सिद्धार्थनाथ ने बीए (ऑनर्स) अर्थशास्त्र से किया है। परिवार में पत्नि डॉ. नीता सिंह एवं दो पुत्र सिद्धांत एवं निशांत हैं। वह 1997 में भाजपा के सक्रिय सदस्य बने। फिर 1998 में भाजपा युवा मोर्चा में दिल्ली प्रदेश के कार्यसमिति सदस्य बन गए। जबकि 2000 में भाजपा युवा मोर्चा में राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य एवं मीडिया सचिव बने। इनके बेहतर काम को देखते हुए 2002 में भाजपा की केंद्रीय मीडिया सेल के सहसंयोजक का दायित्व दिया गया। मिलनसार एवं मेहनती प्रवृत्ति वाले सिद्धार्थनाथ आगे चलकर गुजरात, कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मीडिया समन्वयक बनाए गए। फिर 2009 में राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं समन्वयक लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी गई। वहीं 2010 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य एवं पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी बने। जबकि 2012 में गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में सौराष्ट्र के केंद्रीय टीम के समन्वयक रहे। इसके अलावा आंध्रप्रदेश के प्रदेश प्रभारी रहे।
5- नंदगोपाल गुप्त 'नंदी
नंदगोपाल गुप्त 'नंदी इलाहाबाद की शहर दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। इनका शुरुआती जीवन काफी चुनौती भरा रहा। इलाहाबाद के बहादुरगंज मुहल्ले में 23 अप्रैल 1974 को जन्में नंदी के पिता सुरेश चंद्र डाक विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। जबकि मां विमला देवी घर में सिलाई, बुनाई करती थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते नंदी सिर्फ हाईस्कूल तक ही पढ़ सके। वह बचपन में पटाखा, रंग-गुलाल की दुकान लगाते। आर्थिक स्थिति सुधरने पर 1992 में मिठाई की दुकान लगाई। इसके बाद ट्रक लिया। फिर घी व दवाओं की एजेसियां ली। फिर 1994 में एक रिश्तेदार के साथ मिलकर ईंट का भट्टा खोला। आर्थिक स्थिति सुधरने पर नंदी ग्रुप ऑफ कंपनी बना ली। वह 2007 में राजनीति में उतरे। बसपा की टिकट पर शहर दक्षिणी से चुनाव लड़ा और भाजपा के कद्दावर नेता केशरीनाथ त्रिपाठी एवं कांग्रेस की डॉ. रीता बहुगुणा जोशी को पराजित किया। प्रदेश में बसपा सरकार बनने पर नंदी कैबिनेट मंत्री बने। इनके ऊपर 12 जुलाई 2010 जनलेवा हमला हुआ। इससे नंदी का करीब चार माह तक इलाज चला। 2012 के चुनाव में नंदी सपा प्रत्याशी हाजी परवेज अहमद से 414 से पराजित हुए। इसके बाद पत्नी 2012 में हुए नगर निगम चुनाव में महापौर चुनी गईं। 2014 लोकसभा चुनाव में नंदी कांग्रेस के टिकट से इलाहाबाद के प्रत्याशी रहे और एक लाख से अधिक मत हासिल किया। इसे देखते हुए कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में उन्हें मंडल प्रचार प्रभारी बनाया, ऐन चुनाव के पहले वह भाजपा में शामिल हो गए। इनके परिवार में बेटे अभिषेक, नमन एवं बेटी जाह्नवी है।
6 - डा. धर्म सिंह सैनी, विधायक नकुड़
-जन्म : चार अप्रैल, 1961
- जन्म स्थान : गांव सोना तहसील नकुड़ जनपद सहारनपुर
- शिक्षा बीएएमएस
- परिवार का विवरण- पत्नी, तीन पुत्र, एक बेटी।
- 2002 से लगातार विधायक। वर्ष 2007 में बसपा शासन काल में बेसिक शिक्षा मंत्री रहे। वर्ष 2012 में विधायक रहते हुए लोक लेखा समिति के चेयरमैन रहे। वर्ष 2012 में बसपा से विधायक चुने गए पर वर्ष 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते। उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष इमरान मसूद को पराजित किया है।
7- सूर्य प्रताप शाही, कैबिनेट मंत्री
सूर्य प्रताप शाही, कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। शाही प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकारों में गृहमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और आबकारी मंत्री के पदों पर रह चुके सूर्यप्रताप शाही इस बार देवरिया की पथरदेवा सीट से विधानसभा में पहुंचे हैं। उन्होंने 1984 की इंदिरा लहर में भी कसया सीट से जीत हासिल की थी। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे शाही ने 1985 से 1989 तक, 1991 से 1993 और 1996 से 2002 तक कसया विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
8- स्वामी प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री
22 जून 2016 को बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य पड़रौना से विधायक हैं। स्वामी बसपा के नेता विधायक दल और विधानसभा में नेता विपक्ष रह चुके हैं। चार बार विधायक रह चुके स्वामी, बसपा राज में कैबिनेट मंत्री थे। कांगे्रस के वरिष्ठ नेता आरपीएन सिंह 2009 में पड़रौना विधानसभा की सीट खाली कर सांसद बने तो उपचुनाव में स्वामी प्रसाद विजयी हुए। इसके बाद 2012 और 2017 में भी उन्होंने इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा।
9- डॉ. रीता बहुगुणा जोशी (कैबिनेट मंत्री)
प्रदेश की राजनीति में 67 वर्षीय रीता बहुगुणा जोशी का नाम जाना पहचाना। रीता जोशी राज्य के दिवंगत राजनेता हेमवतीनंदन बहुगुणा की पुत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके विजय बहुगुणा की बहन हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मध्यकालीन तथा आधुनिक इतिहास की प्रोफेसर रहीं रीता वर्ष 1995 से 2000 तक इलाहाबाद की महापौर (मेयर) भी रही हैं। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर जीतीं। इस बार भी वह इसी सीट से भाजपा से विधायक बनी हैं।
10- ब्रजेश पाठक (कैबिनेट मंत्री)
बसपा से पूर्व सांसद रहे ब्रजेश पाठक इस चुनाव में भाजपा में शामिल हो गए थे। बसपा में दलित-ब्राह्मण गठजोड़ की शुरुआत पाठक ने ही की थी। हरदोई के रहने वाले बृजेश पाठक
ने लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति से सियासी जीवन की शुरुआत की और छात्रसंघ अध्यक्ष भी चुने गए थे।
11- आशुतोष टंडन उर्फ गोपाल टंडन (कैबिनेट मंत्री)
लखनऊ पूर्वी सीट से भाजपा नेता लालजी टंडन के बेटे आशुतोष टंडन उर्फ गोपाल टंडन इस बार दोबारा विधायक बने हैं। उन्होंने करीब-करीब एकतरफा जीत में कांग्रेस के अनुराग
भदौरिया को 80 हजार वोटों से हराया।
12- श्रीकांत शर्मा (कैबिनेट मंत्री)
वृंदावन सीट से विधायक और भाजपा प्रवक्ता व राष्ट्रीय सचिव का श्रीकांत शर्मा मीडिया में पार्टी का पक्ष प्रमुखता से रखने के लिए जाने जाते हैं। इन्हें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और अरुण जेटली का करीबी भी माना जाता है। शर्मा का जन्म मथुरा में हुआ और शुरुआती शिक्षा भी यहीं से हुई। लेकिन बाद उच्च शिक्षा के लिए वह दिल्ली आ गए। दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज से स्नातक करने के दौरान आरएसएस के संपर्क में आए और भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी में सक्रिय छात्र नेता के रूप में उभरे। कहा जा रहा है कि जब यह डीयू में थे तब यहां एनएसयूआई का कब्जा था लेकिन इन्होंने कुछ ऐसे काम किया जिसका बाद में एबीवीपी को फायदा मिला।
13- रमापति शास्त्री (कैबिनेट मंत्री)
मनकापुर सुरक्षित से जिले में रिकॉर्ड मतों से जीते रमापति शास्त्री पहले भी स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। 15 अक्टूबर 1952 में जन्मे श्री शास्त्री स्नातक है। और शास्त्री उपाधि मिली है। प्रदेश महामंत्री रहे शास्त्री कांशी प्रांत के प्रभारी भी रहे। जनसंघ से 77 में चुनाव लड़ पहली बार विधायक बने। उसके बाद 77 मे जनता पार्टी से और 91 मे भाजपा जीते। कल्याण सिंह के कार्यकाल में समाज कल्याण और महिला कल्याण के साथ राजस्व मंत्री रहे। इसके बाद फिर कल्याण सरकारऔर राम प्रकाश गुप्ता सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे। 85 से 90 तक अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रहे। दो बार युवा मोर्चा प्रदेश महामंत्री भी रहे। राजनाथ सरकार में भी स्वास्थ मंत्री रहे। इसके अलावा पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। 1975 में डीआईआर मे जेल भी गये। राम मंदिर आंदोलन में भाग लिया और जेल गये।
14- एसपी सिंह बघेल (कैबिनेट मंत्री)
इनका पूरा नाम सत्यपाल सिंह बघेल है। यह फिरोजाबाद के टूंडला से विधायक चुने गए हैं। 1993 में राजनीति में आते ही पुलिस की सब इंस्पेक्टर की नौकरी छोड़ी। मूल रूप से औरैया के रहने वाले हैं। 1998 में लोकसभा का चुनाव सपा की टिकट पर जलेसर सीट से जीता। वह इस सीट से लगातार तीन बार सांसद रहे। 2009 में सपा से अनमन हुई और बसपा का दामन थाम लिया। 2009 में बसपा के टिकट पर फिरोजाबाद में विस चुनाव अखिलेश यादव के खिलाफ लड़ा और दूसरे नम्बर पर रहे। अखिलेश के सीट छोड़ने पर हुए उप चुनाव में राजबब्बर से हार गए। 2010 में बसपा से राज्यसभा सांसद बने। 2014 में बसपा से भी मोह भंग हुआ और भाजपा का दामन थाम लिया। 2014 में फिरोजाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन सपा सांसद अक्षय यादव से हार गए। भाजपा ने बघेल को पिछड़ा वर्ग आयोग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। विस चुनाव फिरोजाबाद की टूंडला (सुरक्षित सीट) विस से चुनाव लड़ने का फैसला लिया और अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष
पद छोड़ दिया।
15-चौधरी लक्ष्मी नारायण
मथुरा जिले की राजनीति में इनकी अच्छी पकड़ है। इस बार वह फिर मथुरा से विधायक चुने गए हैं। जिला पंचायत चुनाव 2015 को भाजपा ने उत्तरप्रदेश में केवल एक ही स्थान से विजयश्री हासिल की थी और वह जगह मथुरा जिला पंचायत थी। चौधरी लक्ष्मी नारायण की पत्नी ममता चौधरी मथुरा जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं।
16- गुलाब देवी
सम्भल की चंदौसी सीट से विधायक
पति का नाम : रामपाल सिंह, गन्ना विकास संस्थान से सेवानिवृत्त
उम्र : 61
निवास : चंदौसी
शिक्षा : एमए, बीएड
व्यवसाय : माध्यमिक परीषद के स्कूल में प्रधानाचार्य।
राजनीतिक जीवन : राजनीति की शुरुआत उन्होंने विद्यार्थी जीवन से ही कर दी थी। विद्यार्थियों की समस्याओं का निस्तारण कराना उनकी प्राथमिकता में शामिल रहा। वर्ष 1989-90 में उन्होंने नगर पालिका परिषद की सभासद बनीं। 1991 में पहली बार चुनाव जीतकर विधायक बनीं। 1996 में जीतने पर महिला कल्याण एवं बाल विकास पुष्टाहार राज्यमंत्री बनीं। 2002 में भी विधायक बनीं। 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2017 में फिर से भाजपा के टिकट पर विधायक बनीं हैं।
17- नाम : भूपेंद्र सिंह, एमएलसी
पिता : करन सिंह
उम्र : 50
निवास : मेहंदी सिंकदरपुर, छजलैट मुरादाबाद
शिक्षा : स्नातक प्रथम वर्ष हिंदू कालेज, इंटर आरएन इंटर कालेज
-अमरोहा की निशि से विवाह
व्यवसाय : खेतीबाड़ी
राजनीतिक जीवन : वर्ष 89-90 में विहिप से जुड़े। 1991 में भाजपा की सदस्यता। जिले में मंत्री, कोषाध्यक्ष, महामंत्री और सदस्यता प्रमुख रहे। 1996-2000 तक जिलाध्यक्ष 1999 में लोकसभा सम्भल क्षेत्र से मुलायम के खिलाफ चुनाव लड़े 1.57 लाख वोट मिले। 2002-2007 तक विभाग संयोजक। मंडल में भाजपा तीन सीट जीती। 2007-2012 तक क्षेत्रीय मंत्री। 2012 से 2016 तक क्षेत्रीय अध्यक्ष। दोबारा 2016 में क्षेत्रीय अध्यक्ष। भाजपा ने 2016 में एमएलसी बनाया।