लोहिया अस्पताल में बच्चों के टेढ़े पैरों का निश्शुल्क इलाज
लोहिया अस्पताल में खुली मिरैकल फीट क्लब फुट क्लीनिक। यहां पर आथरेपेडिक सर्जन की टीम ऐसे बच्चों का बेहतर इलाज करती है।
लखनऊ, जेएनएन। डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय में अब बच्चों के टेढ़े-मेढ़े पैरों का भी निश्शुल्क इलाज शुरू किया गया है। नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) की मदद से यहां पर क्लीनिक खोली गई है। मिरैकल फीट क्लब फुट क्लीनिक में हर शुक्रवार को ऐसे बच्चों को दिखाया जा सकता है। यहां पर आथरेपेडिक सर्जन की टीम ऐसे बच्चों का बेहतर इलाज करती है। अस्पताल के निदेशक डॉ. डीएस नेगी ने बताया कि पिछले हफ्ते से एनएचएम के सहयोग से मिरैकल फीट इंडिया की मदद से यह काम शुरू किया गया है।
अस्पताल के फिजियोथैरेपी कक्ष में यह क्लीनिक स्थापित की गई है। डॉ. डीएस नेगी कहते हैं कि ऐसे बच्चों का यहां पर प्लॉस्टर चढ़ाकर, कैलिपर व स्पेशल जूतों की मदद से इलाज किया जाता है। यही नहीं पैरों की सर्जरी कर भी इलाज किया जाता है। समय रहते अगर इलाज शुरू कर दिया जाए तो बेहतर परिणाम मिलते हैं। इलाज पूरी तरह मुफ्त है और इसके लिए किसी भी तरह की फीस नहीं ली जाती।
यह हो सकते हैं कारण
जन्मजात कारणों के अलावा पैर की मांसपेशियों में खून की कमी होने से भी क्लब फुट की बीमारी हो जाती है। इसके अलावा संक्रमण, पोलियो अथवा रीढ़ की जन्मजात बीमारी क्लब फुट के प्रमुख कारण होते हैं। इसके अलावा अगर जन्म के समय या पूर्व में मां ने स्टेरॉयड दवाओं को इस्तेमाल अधिक किया हो तो भी बच्चे में यह दिक्कत आ जाती है।
ऐसे शुरू होता उपचार
क्लब फुट का इलाज जन्म के साथ ही शुरू करना चाहिए। उपचार की आरंभिक अवस्था में पैर को खींचकर और मोड़कर बाहर और ऊपर की तरफ कर दिया जाता है। इसके बाद पैर की अंगुलियों से लेकर जांघ के ऊपरी हिस्से तक प्लास्टर चढ़ा दिया जाता है। प्लास्टर एक से दो हफ्ते में बदल दिया जाता है। छह से आठ प्लास्टर के बाद मरीज के पैर में सुधारने आने की संभावना नजर आने लगती है। इसके बाद स्पेशल जूते तैयार किए जाते हैं। फिर वह मरीज को पहनाए जाते हैं।
क्लब फुट में फिजियोथेरेपी से काफी राहत
क्लब फुट की बीमारी प्लास्टर से दूर की जा सकती है। मगर प्लास्टर के हट जाने के बाद कुछ वर्ष बच्चों को स्पेशल जूते पहनने होते हैं। ऐसा न करने पर पांव फिर टेढ़े होने लगते हैं। फिजियोथेरेपी भी इस समस्या का बेहतर समाधान करती है। डॉक्टरी सलाह के अनुसार प्लास्टर चढ़ाने और स्ट्रेपिंग (हाथ से पंजे को सीधा करने का प्रयास करना और मालिश) इत्यादि से भी इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है।
इलाज में देरी तो आपरेशन ही विकल्प
पैर का टेढ़ापन बहुत अधिक होने और देर से इलाज शुरू करने पर ऑपरेशन ही आखिरी उपाय बचता है। अगर बच्चे के चलना शुरू करने की उम्र से पहले ही आपरेशन करवा दिया जाए तो काफी अच्छा रिजल्ट आता है।
जल्द मिलेगा आयुष्मान से इलाज
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में भी गरीब मरीजों को आयुष्मान भारत योजना के तहत निश्शुल्क इलाज की सुविधा दी जाएगी। निदेशक डॉ. दीपक मालवीय ने बताया कि मरीजों को निश्शुल्क इलाज मिलेगा। इसके लिए जल्द ही आयुष्मान मित्र तैनात किए जाएंगे और उनकी मदद से इस योजना के पात्र लोगों को इलाज दिया जाएगा। इसे लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 20 दिसंबर को शासन स्तर पर एक बैठक भी बुलाई है, इसके लिए जरूरी औपचारिकताएं जल्द से जल्द पूरी कर ली जाएंगी।
संस्थान में सुपर स्पेशिएलिटी इलाज की सुविधा होने के बावजूद अभी तक गरीब मरीज निश्शुल्क इलाज से वंचित थे, मगर केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना में शामिल न होने के कारण बीते दिनों इसे लेकर सवाल खड़े किए गए थे। इसके बाद शासन स्तर से बढ़े दबाव के बाद आयुर्विज्ञान संस्थान ने आखिरकार इलाज देने का ऐलान कर दिया। उधर दूसरी ओर इसके बगल में स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त अस्पताल जिसका इसमें विलय किया जा रहा है, वहां अभी तक सौ मरीजों का आयुष्मान भारत योजना के तहत निश्शुल्क इलाज किया जा चुका है।
क्या है क्लब फुट
बच्चों की हड्डियों और जोड़ों के जन्मजात विकार के कारण पैर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। यह बीमारी क्लब फुट कहलाती है। क्लब फुट होने पर पैर नीचे की तरफ अंदर की ओर मुड़ा प्रतीत होता है। साथ ही एड़ी जमीन से उठी होती है। इससे चलने में परेशानी होती है। यह एक पैर या फिर दोनों पैर में भी होती है।