Move to Jagran APP

KGMU में फर्जी हस्ताक्षर कर बेचा जा रहा मुफ्त का खून, गार्डो और कर्मचारियों से साठगांठ-FIR दर्ज

केजीएमयू दलाल कर रहे धंधा गार्डो और कर्मचारियों के शामिल होने की आशंका। दलालों ने तीमारदारों से डोनर की एवज में दो से चार हजार रुपये प्रति यूनिट वसूली की।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 10:40 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jan 2020 10:40 AM (IST)
KGMU में फर्जी हस्ताक्षर कर बेचा जा रहा मुफ्त का खून, गार्डो और कर्मचारियों से साठगांठ-FIR दर्ज
KGMU में फर्जी हस्ताक्षर कर बेचा जा रहा मुफ्त का खून, गार्डो और कर्मचारियों से साठगांठ-FIR दर्ज

लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू में खून का अवैध कारोबार का खुलासा हुआ है। दलालों ने गार्ड, कर्मचारियों से साठगांठ कर मुफ्त का खून बेचने का धंधा किया। इस गठजोड़ ने विभागाध्यक्ष-रेजीडेंट के फर्जी हस्ताक्षर से महीनों तक यह खेल किया। मामला पकड़ में आने के बाद प्रॉक्टर के पत्र पर चौक कोतवाली में एफआइआर दर्ज की गई।

loksabha election banner

केजीएमयू में हर रोज 300 से 350 यूनिट रक्त की खपत होती है। यहां भर्ती मरीजों को मुफ्त रक्त देने कराने का प्रावधान है। इसके लिए रक्तदाता अनिवार्य है। वहीं विशेष परिस्थितियों में विभागाध्यक्ष की सहमति से बिना रक्तदाता खून उपलब्ध करा दिया जाता है। इसी में दलाल, कर्मी और गार्ड मिलकर खेल कर गए। ब्लड बैंक के कर्मियों संग सांठगाठ कर दलालों ने खून बेचने का धंधा शुरू कर दिया। दलालों ने तीमारदारों से डोनर की एवज में दो से चार हजार रुपये प्रति यूनिट वसूली की। विभागाध्यक्ष, रेजीडेंट के हस्ताक्षर से खून जारी कराकर लाखों रुपये का वारा-न्यारा कर डाला। बड़े स्तर पर गड़बड़ी होने पर विभागाध्यक्ष ने बगैर रक्तदाता उपलब्ध कराए गए खून का ब्योरा चेक किया। इसमें लेटर पैड, फॉर्म पर नोटिंग व इमरजेंसी रिक्वायरमेंट फर्जी निकली।

सुल्तान, मोनू और हैदर हैं सरगना

शिकायती पत्र में खून के धंधे में सुल्तान खान, मो. मोनू व हैदर अब्बास को सरगना करार दिया गया है। यह फर्जी लेटर पैड का इस्तेमाल करते थे। वहीं, मो. रशीद डॉक्टर की रिक्वेस्ट व फॉर्म पर फर्जी हस्ताक्षर करते थे। मो. फैसल एक डॉक्टर का ड्राइवर है। अनिल दीक्षित पूर्व में गार्ड रह चुका है। इसके अलावा मो. आजाद, मो. साहिल तीमारदारों को फांसते थे।

मोबाइल के सहारे धंधा

दलालों का धंधा मोबाइल के सहारे चल रहा था। तीमारदार संपर्क में आते ही उसका नंबर ले लेते थे। नंबर मिलाकर उसे ऑन रखने को कहते थे। ब्लड बैंक में किस कर्मी से किस काउंटर पर मिलना है। उसकी फोन पर ही जानकारी अपडेट करते थे।

एक मरीज पर दस यूनिट खेल, हर महीने लाखों का गोलमाल

दरअसल, ब्लड बैंक में विभाग के डॉक्टरों के नंबर लिंक हैं। कोई भी डॉक्टर बगैर रक्तदाता खून की सिफारिश का पत्र भेजता है तो उसके मोबाइल पर मैसेज जाता है। मगर, मैसेज को डॉक्टर नजरंदाज करते रहे। जब अधिक मैसेज आने लगे, तब चिकित्सक सक्रिय हुए। धंधे का भंडाफोड़ हुआ। एक-एक मरीज पर दस-दस यूनिट रक्त जारी किया गया।

कर्मचारियों की संलिप्तता की भी होगी जांच

प्रॉक्टर प्रो. आरएएस कुशवाहा और विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने कहा कि दलालों के साथ-साथ कर्मचारियों की संलिप्तता की भी जांच होगी। तीमारदारों से पूछताछ में गार्ड, ड्राइवर, कर्मियों के नाम आए हैं। पुलिस की जांच के बाद संबंधित पर कार्रवाई होगी।

ड्राइवर समेत नौ के नाम सौंपे

ब्लड बैंक में मरीज के लिए खून लेने गए सीतापुर के रालामऊ निवासी राजकुमार कनौजिया के पास एक जनवरी को फर्जी हस्ताक्षर वाला फॉर्म पकड़ा गया। इसके अलावा दिसंबर को करछना प्रयागराज के दिलीप कुमार समेत करीब 10 फर्जी हस्ताक्षर पकड़े गए। इसमें नौ लोगों के नाम उजागर हुए। शिकायत में इन दोनों मरीजों का हवाला दिया गया है।

फर्जी दस्तखत पर आइडी नंबर होते रहे जनरेट 

शताब्दी भवन के प्रथम तल पर ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग का ब्लड बैंक है। कैंपस में ट्रॉमा सेंटर से लेकर शताब्दी तक गिरोह सक्रिय है। तीमारदारों को खून के नाम पर लूटा गया। इस दौरान उनके ब्लड फॉर्म पर डॉक्टर की फर्जी नोटिंग कर मरीज की जिंदगी बचाने का हवाला दिया। साथ ही इमरजेंसी रिक्वायरमेंट लिखकर विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा के हस्ताक्षर कर दिए। वहीं काउंटर नंबर पांच पर तैनात कर्मी यूएचआइडी का मिलान कर मरीज की भर्ती की पुष्टि करता रहा। इसके बाद बगैर रक्तदाता के ब्लड बैंक की आइडी नंबर जनरेट कर जीरो बैलेंस की रसीद जारी करने का धंधा किया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.