निवेश कराने के नाम पर जालसाजो ने डॉक्टर दंपती को बनाया शिकार, ठगेे 35 लाख
तहरीर देने पर इंस्पेक्टर गाजीपुर ने नहीं लिखी एफआइआर। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवा के निवर्तमान अपर निदेशक हैं पीडि़त।
लखनऊ, जेएनएन। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवा के निवर्तमान अपर निदेशक डॉ. चंद्रभानु चौरसिया व उनकी पत्नी डॉ. सुनीता चौरसिया से जालसाजों ने करीब 35 लाख रुपये उठा दिए। जालसाजों ने डॉक्टर दंपती से निवेश के नाम पर रुपये लिए थे। इस मामले में पीडि़त दंपती ने गाजीपुर थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी। आरोप है कि इंस्पेक्टर गाजीपुर ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की और जालसाजों ने पिछले हफ्ते दो लाख रुपये और हड़प लिए। यही नहीं तहरीर देने पर एफआइआर भी दर्ज नहीं की। डॉ. चौरसिया ने पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर इंस्पेक्टर गाजीपुर की शिकायत की है।
पत्र में 14 अप्रैल 2019 से 12 फरवरी 2020 तक किए गए शिकायत का उल्लेख है। पत्र में पीडि़त ने उनके साथ हुई जालसाजी की छानबीन कर आरोपितों पर कार्रवाई करने की मांग की है। आरोप है कि लगातार रुपये हड़प रहे आरोपितों ने रकम वापस दिलाने के नाम पर फिर से दो लाख रुपये ठग लिए। ठगी की जानकारी होने पर पीडि़त ने 12 फरवरी को इंस्पेक्टर गाजीपुर से मिलकर शिकायत की। आरोप है कि 18 फरवरी तक इंस्पेक्टर ने इस मामले में कार्रवाई तो दूर एफआइआर दर्ज करना भी मुनासिब नहीं समझा। परेशान होकर पीडि़त ने पुलिस आयुक्त सुजीत पांडेय से प्रकरण की शिकायत की। इसके बाद साइबर सेल को मामले की जांच सौंपी गई।
डॉक्टर चौरसिया का आरोप है कि हाल में दो लाख रुपये हड़पने वालों में दीपक खन्ना नाम के शख्स ने खुद को डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर नई दिल्ली का डिप्टी जनरल मैनेजर बताया था। इसके अलावा आरोपितों में संतोष कुमार, एस कुमार, राजीव अग्रवाल, अशी मलिक व समीर चौरसिया शामिल हैं, जिन्होंने खुद को कंपनी का पदाधिकारी बताया था। वहीं इंस्पेक्टर गाजीपुर का कहना है कि इस प्रकरण में वर्ष 2019 में एफआइआर दर्ज की गई थी, जिसकी विवेचना हो रही है। कार्यवाही नहीं करने का आरोप निराधार है।