खुद को सचिवालय अधिकारी बताकर ठगने वाला गिरफ्तार
जागरण संवाददाता, लखनऊ : बेसिक शिक्षा निदेशालय में बैग सप्लाई का टेंडर दिलाने के नाम पर कोल
जागरण संवाददाता, लखनऊ : बेसिक शिक्षा निदेशालय में बैग सप्लाई का टेंडर दिलाने के नाम पर कोलकाता के लेदर फैक्ट्री मालिक से 46.52 लाख की ठगी के आरोपित दुर्गेश शुक्ला को हजरतगंज पुलिस ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। आरोपित ने खुद को सचिवालय में अनुभाग अधिकारी बताकर कारोबारी से ठगी की थी। सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्र के मुताबिक पकड़ा गया राहुल उर्फ राम जेल में बंद अभिषेक निगम का करीबी है। जो ठगी के गिरोह में कई वर्षो से सक्रिय था।
इंस्पेक्टर हजरतगंज आनंद कुमार शाही ने बताया कि आरोपित दुर्गेश ने मूलरूप से कोलकाता के म्युनिसिपल कॉरपोरेशन, तिलजला साउथ निवासी सरफराज आलम को झांसे में लेकर ठगी की थी। कार पर विधानसभा का पास दिखाकर दुर्गेश ने बोला था कि उसकी पहुंच सचिवालय के अधिकारियों के अलावा कई मंत्रियों तक है।
करीब डेढ़ वर्ष पूर्व हुई थी मुलाकात
आरोपित की मुलाकात सरफराज से करीब डेढ़ वर्ष पूर्व हुई थी। इंस्पेक्टर ने बताया कि दुर्गेश अर्जुन नगर, आलमबाग का रहने वाला है और अभिषेक निगम का दायां हाथ माना जाता है। अभिषेक के जेल में बंद होने के बाद से वह उसका सारा काम देख रहा था।
प्रमुख सचिव बेसिक के नाम पर लिया था डिमांड ड्राफ्ट
विवेचक संतोष तिवारी के मुताबिक आरोपित ने कारोबारी को भरोसे में लेकर उनसे प्रमुख सचिव बेसिक के नाम पर 52 हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट भी बनवा लिया था। इसके बाद उसने धीरे-धीरे कर कुल 46 लाख 52 हजार रुपये ले लिए, लेकिन उन्हें कोई काम नहीं दिलाया। पीड़ित ने कई बार दुर्गेश से मुलाकात भी की थी, लेकिन उन्हें कोई लाभ नहीं मिला था।
अभिषेक को मंत्री बताकर मिलवाया था
दुर्गेश ने सरफराज को सचिवालय में ले जाकर अभिषेक निगम को मंत्री बताकर उनकी मुलाकात करवाई थी। इसपर अभिषेक ने सरफराज को तीन करोड़ का फर्जी चेक दिखाया था और जल्द ही काम मिल जाने की बात कही थी। पूछने पर सरफराज को डाक के माध्यम से चेक भेजे जाने की जानकारी दी गई थी। हालांकि डाक पहुंचने पर चेक की जगह उसमें जाली दस्तावेज मिले, जिसके बाद सरफराज को संदेह हुआ था।
फ्लाइट से कोलकाता गए थे चार युवक
सरफराज की कंपनी का सर्वे करने के नाम पर दुर्गेश ने उनसे अपने साथियों हरिशंकर, विवेक सिन्हा और महमूद अली समेत चार लोगों का हवाई टिकट कराया था। इसके बाद चारों फ्लाइट से कोलकाता गए थे और वहां उन्होंने कंपनी को काम देने की स्वीकृति दे दी थी। इंस्पेक्टर का कहना है कि इस मामले में दुर्गेश का साथ देने वाले साजी सिद्दीकी, हरिशंकर, विवेक सिन्हा और महमूद अली की तलाश की जा रही है। वहीं जेल में बंद अभिषेक निगम के खिलाफ भी इस मामले में कार्रवाई की जाएगी।
कई लोगों से ठगे हैं करोड़ों
खुद को मंत्री तो कभी मंत्री का पीआरओ बताकर करोड़ों रुपये ठगी करने वाला अभिषेक निगम का नाम वर्ष 2016 में प्रकाश में आया था। इसके खिलाफ पीड़ित फरियाद लेकर थाने तो कभी पुलिस ऑफिस के चक्कर काट रहे थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई थी। हालांकि तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने एफआइआर दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश दिए तो आरोपित के कारनामे उजागर हुए। सरकारी टेंडर से लेकर ठेका दिलाने के नाम पर अभिषेक ने यूपी समेत विभिन्न प्रदेशों के लोगों से करोड़ों रुपये हड़पे थे। अभिषेक के खिलाफ राजधानी के विभिन्न थानों में कई मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस ने आरोपित के अन्य साथियों को भी गिरफ्तार किया था।
सचिवालय पास का दुरुपयोग
राजधानी में तमाम ऐसे वाहनों पर सचिवालय का पास लगा देखा जा सकता है, जो इसके लिए वैध भी नहीं हैं। कई वाहनों पर वर्ष 2016 और 2017 के ऐसे भी पास लगे देखे जा सकते हैं, जिनकी वैधता समाप्त हो चुकी है। खास बात यह है कि ट्रैफिक पुलिस भी ऐसी गाड़ियों की चेकिंग करने से कतराती है, जिसके कारण पास का दुरुपयोग जारी है।