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घर पर थी महिला, पांच माह से कागज पर चल रहा था इलाज

लोकबंधु अस्पताल में मरीजों की भर्ती में घोटाला चल रहा है भर्ती के लिए आए मरीज को अस्पताल में पहले से ही बताया भर्ती।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 28 May 2019 05:07 PM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 05:07 PM (IST)
घर पर थी महिला, पांच माह से कागज पर चल रहा था इलाज
घर पर थी महिला, पांच माह से कागज पर चल रहा था इलाज

लखनऊ, जेएनएन। लोकबंधु अस्पताल में भर्ती के नाम पर खेल चल रहा है। यहां भर्ती महिला को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। मगर, रिकॉर्ड में उसे महीनों भर्ती ही रखा गया। वहीं दोबारा हालत गंभीर होने पर वह सोमवार को अस्पताल पहुंची। इसके बाद मामले का भंडाफोड़ हुआ। आशंका है कि महिला की पेशेंट आइडी से कर्मियों ने दवा और सामान का वारा-न्यारा किया है।

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आलमबाग निवासी सोनल वर्मा (26) गर्भवती हैं। उन्हें सोमवार को प्रसव पीड़ा हुई। ऐसे में पति एसके वर्मा उन्हें लेकर लोकबंधु अस्पताल पहुंचे। सात बजे पहुंची सोनल को इमरजेंसी में भर्ती नहीं किया गया। वह दर्द से तड़पती रहीं। ऐसे में आठ बजे ओपीडी खुली। इसके बाद पति एसके वर्मा ने पर्चा बनवाकर ओपीडी में डॉक्टर को दिखाया। यहां डॉक्टर ने भर्ती के लिए लिखा। वहीं कक्ष संख्या 12 में भर्ती का कागज बनाने से इन्कार कर दिया। कर्मचारी ने मरीज को पहले से वार्ड में भर्ती बताया। यह सुनकर परिजन दंग रह गए। उन्होंने मरीज को बाहर बैठा बताया। मगर कर्मी ने वार्ड में पहले से भर्ती बताकर कागज बनाने से मना कर दिया।

जनवरी में डिस्चार्ज हो गया था मरीज : एसके वर्मा के मुताबिक  सोनल बाहर बैठीं फर्श पर दर्द से तड़प रही थीं। उन्होंने कर्मी को बताया कि सोनल को जनवरी में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान मरीज की जनवरी की डिस्चार्ज स्लिप भी दिखाई। मगर कर्मी ने दोबारा भर्ती करने से इन्कार कर दिया। ऐसे में मामले की अफसरों से शिकायत की।

तीन घंटे दौड़ाया, गड़बड़ी की आशंका : सात बजे आई सोनल को दस बजे के करीब भर्ती किया गया। ऐसे में अस्पताल में इलाज के लिए तीन घंटे भटकना पड़ा। वहीं जनवरी में डिस्चार्ज होने के बावजूद मरीज को भर्ती रखने में सवाल खड़े हो रहे हैं। आशंका है कि कंप्यूटर में मरीज को भर्ती कर उसकी पेशेंट आइडी ऑन रखी गई। इसमें उसके नाम पर दवा आदि सामान जारी करने की आशंका है।

क्या बोले अधिकारी  

 लोकबंधु अस्पताल के  चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पीएन अहिरवार के मुताबिक पहले मरीज डिस्चार्ज हुआ था। उस वक्त नेटवर्क में समस्या थी। इस वजह से सॉफ्टवेयर पर डिस्चार्ज अपलोड नहीं किया जा सका। अब उसके नाम पर दवा आदि जारी की गई कि नहीं यह तो जांच करने पर ही पता चलेगा।

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