Fraud: आनलाइन मोबाइल और टैबलेट बुक करा छह लोगों ने लगाया 40 लाख का चूना, लखनऊ पुलिस ने किया गिरफ्तार
लखनऊ में आनलाइन मोबाइल टैबलेट बुक कराकर छह लोगों ने 40 लाख का चूना लगा दिया। पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। वे सब फर्जी मेल आइडी से आर्डर करते थे। डिलीवरी पर निकाल लेते थे माल और मिट्टी और पत्थर भरकर डिब्बा वापस कर देते थे।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। मड़ियांव पुलिस ने आनलाइन मोबाइल और टैबलेट बुक कराकर फ्लिपकार्ट का माल डिलीवर करने वाली कंपनी को 40 लाख रुपये का चूना लगाने वाले छह जालसाजों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपितों में गिरोह का सरगना सचिन तिवारी एक बैंक अधिकारी का बेटा और बीए द्वितीय वर्ष का छात्र है। वह अपने साथी के साथ मिलकर फर्जी मेल आइडी बनाकर फ्लिपकार्ट से महंगे मोबाइल, टैबलेट और स्मार्ट वाच आदि बुक कराता था। डिलीवरी मिलने के बाद वह सामान निकाल लेता उसके बाद डब्बे में उतने ही वजन की मिट्टी और पत्थर भरकर गलत पते पर सामान की डिलीवरी और अन्य बहाने से कंपनी को डब्बा वापस कर देता था।
डीसीपी उत्तरी सैयद मोहम्मद कासिम आब्दी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपितों में अयोध्या खंडासा का सचिन तिवारी, अंबेडकर नगर भीटी उमरावा का रहने वाला अभिषेक दुबे, बीकेटी लालपुर का शुभम यादव, इटौंजा सिरसा का धर्मवीर यादव, रवींद्र कुमार और विकास यादव है। इनके पास से 43 मोबाइल एप्पल कंपनी के, सात टैबलेट, टेप व अन्य वस्तुएं बरामद हुई हैं।
धर्मवीर, रवींद्र और शुभम डिलीवरी का काम करते थे। एडीसीपी अभिजीत आर शंकर ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर आरोपितों को इंस्पेक्टर मड़ियांव अनिल सिंह और उनकी टीम ने मड़ियांव फ्लाइओवर के पास से गिरफ्तार किया है। सरगना सचिन के पिता एक बैंक में अधिकारी हैं। वह सिटी एकेडमी डिग्री कालेज से बीए द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहा था।
तीन माह पूर्व डिलीवरी ब्वायज की कंपनी में कराई थी भर्ती
एसीपी अलीगंज आशुतोष कुमार ने बताया कि गिरोह का सरगना है। वह बहुत खर्चीला है। इसके तहत धर्मवीर, रवींद्र और शुभम से उसकी एक होटल में मुलाकात हुई थी। वहां इनके बीच दोस्ती हो गई। चूंकि सचिन के शौक काफी महंगे हैं। उसने आनलाइन कैश आन डिलिवरी का आर्डर देकर माल बुक कराकर कंपनी को इस तरह से चपत लगाने की योजना बनाई। वह बहुत तेज दिमाग का है। तीनों की डिलीवरी ब्वाय के रूप में कपनी में भर्ती कराई।
सचिन यहां आइआइएम रोड पर रहता था। उसने फर्जी मेल आइडी से माल बुक कराना शुरू किया। माल लेकर अकसर धर्मवीर, रवींद्र और शुभम को ही आना होता था। वह डिलीवरी मिलने के बाद माल निकालकर डिब्बे में मिट्टी और पत्थर भरकर फिर उसकी वैसी ही पैकिंग कर देता था। फिर कंपनी पर गलत माल अथवा पते पर सामान पहुंचने की शिकायत कर पैकिंग वापस कर देते थे। माल अभिषेक अपने घर पर रखता था। माल इकट्ठा होने पर उसे 30-35 फीसद डिस्काउंट पर बेचते थे। इस तरह लोगों को 60-70 हजार के मोबाइल 50 से 45 हजार रुपये में मिल जाते थे।