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UP: सरकारी खरीद न होने से सुगंधित धान उत्पादक परेशान, चावल निर्यात प्रोत्साहन योजना में भी मनमानी

उत्तर प्रदेश में धान उत्पादन बढ़ने और निर्यात की संभावना कमजोर होने से किसानों की परेशानी बढ़ी है। खासतौर से बासमती जैसे सुगंधित धान की प्रजाति उगाने वाले किसानों पर दोहरी मार है। सरकार सुगंधित धान की खरीद नहीं करती है जिससे पश्चिमी यूपी में आढ़ती मनमानी पर उतारू हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 04 Nov 2020 08:43 AM (IST)Updated: Wed, 04 Nov 2020 08:43 AM (IST)
उत्तर प्रदेश में धान उत्पादन बढ़ने और निर्यात की संभावना कमजोर होने से किसानों की परेशानी बढ़ी है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में धान उत्पादन बढ़ने और निर्यात की संभावना कमजोर होने से किसानों की परेशानी बढ़ी है। खासतौर से बासमती जैसे सुगंधित धान की प्रजाति उगाने वाले किसानों पर दोहरी मार है। सरकार सुगंधित धान की खरीद नहीं करती है, जिससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आढ़ती मनमानी पर उतारू हैं। यही वजह है कि पिछले साल की तुलना में इस बार सुगंधित धान 900 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल सस्ता बिक रहा है। उधर, चावल निर्यात प्रोत्साहन योजना का लाभ न मिल पाने के कारण निर्यातक भी हरियाणा की मंडियों से धान खरीदने को वरीयता दे रहे हैं। इससे उत्तर प्रदेश से चावल निर्यात पर भी विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ती दिख रही है।

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सामान्य से लागत अधिक होने के कारण पूसा, बासमती, 1509, 1121, सरबती व सुगंध जैसी प्रजातियों का धान उत्पादन करने वाले किसानों की स्थिति खराब है। इन प्रजातियों के चावल का निर्यात अधिक होने के कारण अमूमन हर वर्ष किसानों को अच्छे दाम मिल जाते थे। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और तराई क्षेत्रों का बासमती चावल विदेश में खूब पसंद किया जाता है। इससे हरियाणा व पंजाब का बाजार भी प्रभावित होने लगा था, लेकिन इस वर्ष तस्वीर उलट है। सुगंधित धान के किसानों को सामान्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। हापुड़ के किसान संजीव का कहना है कि सरकार को सुगंधित धान का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए।

चावल निर्यात को राहत देने की मांग : हरियाणा की मंडियों में सुविधाएं व राहत अधिक मिलने के कारण प्रदेश के पश्चिमी जिलों मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर, हापुड़, शामली, बागपत व सहारनपुर की मंडियों में खरीदार कम आ रहे है। उत्तर प्रदेश राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय भालोटिया ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में चावल निर्यात प्रोत्साहन योजना में मनमानी की शिकायत की है। उन्होंने आरोप लगाया कि नए कृषि कानूनों की आड़ लेकर मेरठ व अलीगढ़ मंडल के मंडी अधिकारियों द्वारा निर्यातकों को मिलने वाली सुविधा व छूट नहीं दी जा रही है। इस कारण चावल निर्यातक अपनी पूरी जरूरत का धान नहीं खरीद पा रहे हैं, जिसका नुकसान किसानों व निर्यातकों को हो रहा है।

अब तक खरीदा 5.56 लाख मीट्रिक टन धान : धान खरीद में तेजी नहीं आ पा रही है। एक माह से अधिक अवधि बीतने के बाद भी अब तक 87,259 किसानों से 5.56 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया जबकि लक्ष्य 55 लाख मीट्रिक टन है।


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