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14.5 करोड़ घोटाले में बहराइच के राजकीय निर्माण निगम के चार अधिकारी सस्पेंड

वरिष्ठ लेखाकार के खिलाफ हो रही जांच कई और पर कार्रवाई तय। ऑडिट में फर्जी लेटर हेड के जरिए बजट के घोटाले का सामने आया मामला।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 05:41 PM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 05:41 PM (IST)
14.5 करोड़ घोटाले में बहराइच के राजकीय निर्माण निगम के चार अधिकारी सस्पेंड
14.5 करोड़ घोटाले में बहराइच के राजकीय निर्माण निगम के चार अधिकारी सस्पेंड

बहराइच, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के बहराइच में स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज निर्माण में 14.5 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला ऑडिट में पकड़ा गया है। शुरुआती जांच में कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम के चार अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है। वरिष्ठ लेखाधिकारी के खिलाफ जांच बैठाई गई है, जबकि निर्माण कार्य कर रही संस्था से भी अभिलेख तलब किए गए हैं। शासन की कार्रवाई से संस्थाओं में हड़कंप की स्थित मची हुई है।

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बताते चलें कि जिले में स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज के निर्माण को 2016-17 में मंजूरी मिली थी। कॉलेज के निर्माण कार्य पर 1.35 अरब व 54 करोड़ रुपये इंफ्राटक्चर कुल 189 करोड़ रुपये का बजट शासन ने मंजूर किया था। वर्ष 2017 में राजकीय निर्माण निगम ने इसका ठेका मेसर्स यूनिवर्सल कांट्रैक्टर एंड इंजीनियर प्राइवेट लिमिटेड को दिया था। यह संस्था मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य करा रही है। अब तक संस्था को 25 किस्तों में आरएनएन (राजकीय निर्माण निगम) की संस्तुति पर शासन ने बजट अवमुक्त किया है। शासन से अवमुक्त बजट का कमेटी गठित कर ऑडिट कराया गया तो 14.5 करोड़ रुपये यूनिवर्सल कंपनी के लेटर हेड के जरिए भुगतना दर्शाया गया है, जबकि यह पैसा कंपनी को मिला ही नहीं है। राजकीय निर्माण निगम का कहना है कि इसका मैटेरियल यूनिवर्सल कंपनी को मुहैया कराया गया है, लेकिन इसके अभिलेख संस्था की ओर से ऑडिट टीम की ओर से मुहैया नहीं कराया गया है। प्रथमदृष्टया कार्यदायी संस्था आरएनएन के प्रोजेक्ट मैनेजर गिरीशचंद्र चतुर्वेदी, एचपी भट्ट, डीके सिंह व आरएस यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। वरिष्ठ लेखाकार रहे प्रदीप अग्रवाल के खिलाफ जांच शुरू की गई है। इस कार्रवाई से दोनों संस्थाओं में हड़कंप की स्थित मची हुई है। कई और पर गाज गिर सकती है।

लेटर हेड पर हस्ताक्षर की हो रही फोरेंसिक जांच

जिस लेटर हेड पर हस्ताक्षर का सहारा लेकर शासन से 14.5 करोड़ रुपये अवमुक्त कर बंदरबांट किया गया है, उस पर बनाए गए हस्ताक्षर यूनिवर्सल कंपनी के अधिकारियों के हस्ताक्षर से मेल नहीं खा रहा है। लिहाजा इसकी फोरेंसिक जांच भी कराई जा रही है, ताकि फर्जी हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी को गिरफ्त में लाया जा सके।

क्या कहते हैं प्रोजेक्ट मैनेजर ?

मेसर्स यूनिवर्सल कांट्रैक्टर एंड इंजीनियर प्राइवेट लिमिटेड प्रोजेक्ट मैनेजर ललित कुमार के मुताबिक, आरएनएन की ओर से कोई भी मैटेरियल यूनिवर्सल को मुहैया नहीं कराया गया है। ऑडिट टीम के सामने सभी प्रपत्र उपलब्ध करा दिए गए हैं।


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