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काम पांच घंटे का-पैसा 12 घंटे का, नगर निगम में अब इस मशीन को लेकर निकला फर्जीवाड़ा Lucknow News

लखनऊ नगर निगम में मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनों के संचालन में निकला फर्जीवाड़ा। प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट ने घोटाले की तरफ इशारा किया।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 03:40 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 08:31 AM (IST)
काम पांच घंटे का-पैसा 12 घंटे का, नगर निगम में अब इस मशीन को लेकर निकला फर्जीवाड़ा Lucknow News
काम पांच घंटे का-पैसा 12 घंटे का, नगर निगम में अब इस मशीन को लेकर निकला फर्जीवाड़ा Lucknow News

लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। सड़कों से धूल साफ करने के खेल की चल रही जांच के प्रारम्भिक तथ्य घोटाले की तरफ इशारा कर रहे हैं। इसमें ठेकेदार के साथ ही अफसरों की गर्दन फंसती नजर आ रही है। नगर निगम के अफसरों ने सड़क की धूल साफ करने के नाम पर ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाया था।

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स्वीपिंग मशीन को हर दिन बारह घंटे चलना था और निजी एजेंसी को इसके लिए हर दिन 95 लीटर डीजल (प्रति वाहन) नगर निगम देता था, लेकिन अभिलेखों में पांच घंटे ही चलने का जिक्र है। इसी तरह वाहनों के पुराने पार्ट निकालकर मशीनों की मरम्मत की जाती थी। रखरखाव में अनदेखी करने वाले ठेकेदार को अफसरों ने नोटिस तक नहीं जारी किया था। दैनिक जागरण ने ही इस गड़बड़ी से पर्दा उठाया था।

अपर नगर आयुक्त डॉ.अर्चना द्विवेदी की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय जांच कमेटी ने पाया गया मैकेनिकल रोड स्वीपिंग पर हर साल सत्तर से नब्बे लाख के भुगतान का खेल हो रहा था। टीम में शामिल  मुख्य अभियंता (सिविल) मनीष सिंह, मुख्य नगर लेखा परीक्षक बनवारी लाल और मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी महामिलिंद ने पाया कि बारिश के समय भी मशीन धूल साफ कर रही थी। जीपीएस सिस्टम में पाया गया कि मशीन पांच से साढ़े पांच घंटे ही चल रही थी, लेकिन तेल और संचालन भी बारह घंटे का दिखाया जा रहा था।

यह है मामला

मैकेनिकल रोड स्वीपिंग के संचालन के भुगतान की नगर आयुक्त डॉ.इंद्रमणि त्रिपाठी के पास आई तो उन्होंने उसमे गड़बड़ी की आशंका के चलते जांच के आदेश दिए थे।

31 अक्टूबर 2016 को तीन वर्ष के लिए मेसर्स तलवार को नगर निगम ने अपनी चार मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनों के संचालन और उसका रखरखाव का ठेका दिया था। वर्ष 2008-09 में खरीद गई दो मशीनों में प्रति मशीन का प्रतिदिन 7640 रुपये और वर्ष 2013-14 में खरीदी गई दो मशीनों का प्रति मशीन प्रतिदिन 5760 रुपये का भुगतान होना था। मई 2018 तक का भुगतान भी कर दिया गया था

एक जून 2018 से तीस अप्रैल 2019 तक का 73,44,852 रुपये का बिल एक साथ भेजा गया था, जबकि हर माह बिल भेजना चाहिए था।

इन बिंदुओं पर हो रही जांच

  • मशीनों के संचालन में किन नियमों का पालन दिया।
  • अधिकांश समय रोड स्वीपिंग चलते नहीं देखी गई। होते नहीं देखा।
  • पूर्व में मेरे (नगर आयुक्त) द्वारा ठेकेदार को नोटिस दिया गया, लेकिन पत्रावली में नोटिस की प्रति नहीं है।
  • कंपनी को मशीनों का रखरखाव करना था तो इस पर पार्ट में कितना खर्च किया गया।

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