Move to Jagran APP

वन विभाग की मंशा से हो रहा पक्षियों की जान का सौदा

स्थानीय पुलिस से विभाग ने कभी नहीं की मदद की मांग। स्थायी दुकान की जमीन को लेकर भी चल रहा है विवाद।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 10:49 AM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 10:49 AM (IST)
वन विभाग की मंशा से हो रहा पक्षियों की जान का सौदा
वन विभाग की मंशा से हो रहा पक्षियों की जान का सौदा

लखनऊ, जेएनएन। वन विभाग की मंशा से नक्खास में प्रतिबंधित पक्षियों की जान का सौदा बदस्तूर जारी है। विभाग के जिम्मेदार सबकुछ जानते हुए भी लापरवाही बरत रहे हैं और पक्षियों की तस्करी को बढ़ावा दे रहे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वह छापा मारें भी तो किस आधार पर क्योंकि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं है कि कौन पक्षी प्रतिबंधित है और कौन नहीं। खास बात यह है कि वन विभाग ने चौक पुलिस से इस बारे में कोई सहयोग नहीं मांगा।

loksabha election banner

पुलिस सूत्रों के मुताबिक पक्षियों का सौदा जिस स्थायी दुकानों में हो रहा है, उस जमीन को लेकर भी दो पक्षों में विवाद है। दोनों पक्षों के लोग जमीन के मालिकाना हक को लेकर कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं। उधर, दुकान का लाइसेंस भी संबंधित विभाग की ओर से नहीं लिया गया है। बावजूद इसके खुलेआम कालाबाजारी हो रही है और वन विभाग चुप्पी साधे हुए है। डीएफओ ने एसटीएफ के सहयोग से समय-समय पर कार्रवाई की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। हालांकि वास्तविकता कुछ और ही है।

इन तस्करों पर पुलिस भी मेहरबान

प्रतिबंधित पक्षियों के तस्करों पर पुलिस भी मेहरबान नजर आती है। नक्खास निवासी रामऔतार और जाहिद तराई क्षेत्रों से तोते और अन्य पक्षी की तस्करी करते हैं। यही नहीं पलिया में कुछ समय पहने पकड़ा गया खटीमा निवासी राकेश मसी व वेल्शन पर भी तस्करी की एफआइआर दर्ज हुई थी। हालांकि दोनों के नेटवर्क कहां तक फैले हैं और इसके पीछे कौन है? इसका पता पुलिस नहीं लगा सकी। 

ठंड में बढ़ जाती है मांग

प्रतिबंधित पक्षियों की ठंड में सर्वाधिक मांग बढ़ जाती है। तस्कर लोगों को तरह तरह की बीमारियां दूर करने की बात कहकर पक्षियों को मारकर खाने की सलाह देते हैं। झांसा दिया जाता है कि ठंड में यह ज्यादा फायदेमंद होता है, जिससे लालच में आकर लोग इन्हें खरीदते हैं। श्रावस्ती जिले के भिनगा और सोहेलवा जंगल में प्रतिबंधित पक्षियों का बसेरा है। राजधानी ही नहीं बल्कि श्रावस्ती के भिनगा, इकौना, गिलौला, जमुनहा समेत कई बाजारों और कस्बों में तस्कर खुलेआम प्रतिबंधित पक्षियों का सौदा करते दिख जाएंगे। तस्कर रुपये मिलने पर राष्ट्रीय पक्षी मोर से लेकर तोता, बटेर, बगुला, मुनिया, गौरैया, फाक्ता व टर्की मुर्गा, उल्लू और कबूतरों में गिरहबाज व शिराजी समेत कई प्रजातियों की पक्षी उपलब्ध कराने की बात कहते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.