साल भर करते हैं केसरिया मक्खन का इंतजार, इस जायके का हब है लखनऊ का ये चौराहा
लखनवी जायकों में शुमार केसरिया मक्खन दूर-दराज तक अपनी पहचान बना चुका है। दिल्ली, मुंबई तक लोग पैक कराकर ले जाते हैं।
लखनऊ, कुसुम भारती। माखन कन्हैया के किस्सों से पहले ही जायकेदार रहा है। आज भी इसके स्वाद के शौकीन कम नहीं हैं। राजधानी में केसरिया मक्खन का लोग सालभर इंतजार करते हैं। इसका अंदाजा चौक चौराहे पर लगी मक्खन की दुकानों के पास भीड़ को देखकर लगाया जा सकता है। इस चौराहे पर करीब 10-12 अस्थाई दुकानें हैं, जो बरसों से इस जगह को गुलजार किए हैं। लखनवी जायकों में शुमार केसरिया मक्खन दूर-दराज तक अपनी पहचान बना चुका है। दिल्ली, मुंबई तक लोग पैक कराकर ले जाते हैं।
क्रिकेटर, मंत्री, अभिनेता सभी ने चखा स्वाद
गया प्रसाद मक्खन वाले के नाम से 1965 से दुकान लगा रहे हैं। उनके बेटे बृजेश कश्यप कहते हैं, सवेरे सात बजे से शाम पांच बजे तक दुकान लगाते हैं। कभी-कभी जल्दी भी खत्म हो जाता है। कई बार ऑर्डर देने पर तुरंत भी मक्खन तैयार करते हैं, मगर इसमें मेहनत दोगुनी लगती है और इसकी विधि केवल हमारे पास ही है। वह कहते हैं, पिछले साल भारतीय क्रिकेट टीम के नयन मोंगिया आए थे। क्रिकेटर कपिल देव, लालजी टंडन, स्व. अटल बिहारी, मुरली मनोहर जोशी अपनी कार्यकारिणी टीम के साथ मक्खन का स्वाद ले चुके हैं।
पुरखों के जमाने से लगा रहे दुकान
मक्खन का पुश्तैनी काम करने वाले सर्वेश कश्यप कहते हैं, बाबा के जमाने से दुकान लगा रहे हैं। अक्टूबर से मार्च तक केवल चार महीने इसकी बिक्री होती है क्योंकि इसी मौसम में यह तैयार किया जाता है। इस दौरान अच्छी कमाई हो जाती है। बाकी आठ महीने कुल्फी की दुकान लगाते हैं। वहीं, पार्टनरशिप में दुकान लगा रहे बृजेश व रितेश मिश्रा कहते हैं, लखनऊ के लोग ही नहीं, पर्यटक भी यहां एक बार मक्खन का स्वाद चखने जरूर आते हैं। रेड फिल्म की शूटिंग के दौरान अभिनेता अजय देवगन और अनुपम खेर भी यहां आए थे। खास बात यह है कि इसे चौबीस घंटे रखकर खा सकते हैं। हर दिन करीब एक हजार क्विंटल मक्खन बिक जाता है।
ओस में रखकर तैयार होता है मक्खन
मक्खन विक्रेता बताते हैं, इसे बनाने के लिए करीब 20-25 लीटर दूध और आठ से दस किलो दूध की क्रीम को साथ में उबालते हैं। फिर रात में करीब 12 बजे से सवेरे दो-तीन बजे तक इसको ओस में रखते हैं। इसके बाद सवेरे चार बजे उठकर मथानी से मथते हैं। जब उसका झाग निकलता है तब उसमें चीनी, इलायची पाउडर, केवड़ा, केसर, काजू, बादाम, पिस्ता आदि मेवे डालकर करीब एक घंटे तक खूब फेंटते हैं। इस तरह तैयार मक्खन बाजार में बिकता है। इसकी कीमत पांच सौ रुपये किलो है। वहीं, इससे निकलने वाला दूध 20 से 30 रुपये प्रति गिलास बिकता है।